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अवशेष शिक्षामित्रों के समायोजन के विधिक आधार

जैसाकि हमने अपनी कल की पोस्ट में बताया था कि शिक्षामित्रों के सभी संघो और संयुक्त सक्रिय टीम (संघ)
के नेताओं को कोई विधिक जानकारी है न ही प्रशासनिक समझ। ये बात हम पुनः सिद्ध करते हैं। आज अवशेष समायोजन को लेकर जो निराशा का वातावरण बना है वो इन लोगों की अल्पज्ञता की देंन है।
ये लोग जिन 16664 पदों पर अपना होने का दावा कर के अवशेष को वर्गलाते रहे वे पद अवशेष के लिए न थे और न हो सकते हैं। इन पदों का शिक्षामित्रों से कोई सम्बन्ध ही नहीं है।
✍🏼आइये समझते हैं:-
पहली बात ये साफ़ कर दें हम अपनी पोस्ट में जो भी तथ्य लिखते हैं उनके दस्तावेज़ी सुबूत होने के बाद ही लिखते है।
🔻समायोजन के लिए तीन चरण होते हैं, पहला पदों का सृजन, दूसरा विधिक समस्या और तीसरा वित्तीय संसाधन।।
🔻14841 अवशेष के मामले में पहली बात पद सृजन की कोई समस्या नहीं है क्योकि एसएसए कैडर के तहत इनके पद सुरक्षित रखे गए हैं और राज्य सरकार इनपर किसी अन्य की भर्ती करने का अधिकार नहीं रखती है। जबकि हमारे अल्पज्ञ शिक्षामित्र नेता हाई कोर्ट में पद बचाने की लड़ाई लड़ते रहे कितना हास्यास्पद है।
🔻अब दूसरी बात अवशेष शिक्षामित्रों के मामले विधिक समस्या का हवाला दिया जाता है ये राज्य की इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है। जब राज्य सरकार ने समायोजन किया है तो अवशेष के समायोजन का क्या विपरीत प्रभाव पड़ेगा ये समझ से परे है। बल्कि हमारी नज़र में इनका समायोजन केस को मज़बूती प्रदान करेगा।
🔻अब तीसरा और अंतिम चरण वित्तीय संसाधन। यहाँ केंद्र सरकार द्वारा अवशेष 14841 के नियमित वेतन को पिछले दो वर्षो से लगातार मंजूरी दी जाती रही है। चूँकि शिक्षामित्रों का बजट एसएसए के तहत सैंक्शन है इसलिए वित्तीय समस्या गौण है।
दूसरी बात "राज्य में आरटीई का पालन ही तब तक होगा जब तक केंद्र सरकार बजट उपलब्ध करवाती रहेगी" (आरटीई नियमावली)
🔻अब एक ख़ास बिंदु अवशेष शिक्षामित्र अवशेष कैसे रह गए।
इस का जवाब राज्य सरकार बेसिक शिक्षा सचिव् के शब्दों में:-
Accordingly, surplus & deficit schools will be identified after placement of teachers currently being recruited. Thereafter, redeployment of teachers to the extent
required will be done in June 2016.
अर्थात जून 2015 में साथ स्थानांतरण होने थे लेकिन अब ये स्थानातरण जून 2016 में होंगे। कारन ये है कि बड़ी संख्या में शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया गतिमान है।
🔻अब आप समझ गए होंगे कि अवशेष के लिए पद शेष न बचने का एकमात्र कारण स्थानातरण नीति लागू न हो पाना रहा। और फ़िलहाल इसकी प्रक्रिया समाप्त होते ही अवशेष की आधी समस्या समाप्त हो जायेगी।
इसलिये निराश न हों और धैर्य बनाये रखें।
★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं।।
©रबी बहार*, केसी सोनकर और साथी।।

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