परिषदीय स्कूलों में 16000 सहायक अध्यापकों की भर्ती में सत्रवार वरीयता दिए जाने की मांग में दाखिल याचिका में पर हाईकोर्ट ने चयन प्रक्रिया में हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में बेसिक शिक्षा विभाग और राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
फिलहाल बेसिक शिक्षक भर्ती नियमावली के 15 वें संशोधन का मामला सुप्रीमकोर्ट में लंबित है। सर्वोच्च अदालत का निर्णय आने के बाद ही इस मामले में कोई सुनवाई हो सकती है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को चयन और नियुक्ति प्रक्रिया जारी रखने की छूट दी है। अरुण कुमार चौहान की ओर से दाखिल याचिका पर न्यायमूर्ति मनोज मिश्र सुनवाई कर रहे हैं।
याचिका में कहा गया था कि 16000 सहायक अध्यापकों की भर्ती में अभ्यर्थियों को सत्रवार वरीयता दी जानी चाहिए। अर्थात सत्र 2010 को पहले, 2011 को उसके बाद 2012 को उसके बाद नियुक्ति में अवसर दिया जाए क्योंकि 12 वें संशोधन से पूर्व यही व्यवस्था लागू थी। सरकार ने 12 वां संशोधन रद्द कर 15 वां संशोधन लागू किया था जिसे हाईकोर्ट की खंडपीठ ने शिवकुमार पाठक केस में रद्द कर दिया। इसके बाद 16 वां संशोधन लागू किया गया। यह संशोधन भी हाईकोर्ट द्वारा अमान्य घोषित किया जा चुका है। ऐसे में 12 वें संशोधन के पूर्व की स्थिति बहाल हो गई है।
याचिका का विरोध करते हुए अधिवक्ता सीमांत सिंह ने दलील दी कि कोई भी संशोधन रद्द होने से उसके पूर्व की स्थिति स्वत: बहाल नहीं हो सकती है जब तक कि सरकार फिर से पूर्व की स्थिति को बहाल न करे। 15 वें संशोधन का मामला शिवकुमार पाठक केस में सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। इसमें भर्ती कुल प्राप्त अंकों के गुणांक के आधार पर की गई है। अब तक इस संशोधन के तहत 70 हजार के करीब सहायक अध्यापकों की नियुक्ति हो चुकी है। कोर्ट ने चयन प्रक्रिया में हस्तक्षेप से इंकार करते हुए कहा है कि चयन सुप्रीमकोर्ट के शिवकुमार पाठक केस में निर्णय पर निर्भर करेगा। इस दौरान बेसिक शिक्षा विभाग और राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
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फिलहाल बेसिक शिक्षक भर्ती नियमावली के 15 वें संशोधन का मामला सुप्रीमकोर्ट में लंबित है। सर्वोच्च अदालत का निर्णय आने के बाद ही इस मामले में कोई सुनवाई हो सकती है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को चयन और नियुक्ति प्रक्रिया जारी रखने की छूट दी है। अरुण कुमार चौहान की ओर से दाखिल याचिका पर न्यायमूर्ति मनोज मिश्र सुनवाई कर रहे हैं।
याचिका में कहा गया था कि 16000 सहायक अध्यापकों की भर्ती में अभ्यर्थियों को सत्रवार वरीयता दी जानी चाहिए। अर्थात सत्र 2010 को पहले, 2011 को उसके बाद 2012 को उसके बाद नियुक्ति में अवसर दिया जाए क्योंकि 12 वें संशोधन से पूर्व यही व्यवस्था लागू थी। सरकार ने 12 वां संशोधन रद्द कर 15 वां संशोधन लागू किया था जिसे हाईकोर्ट की खंडपीठ ने शिवकुमार पाठक केस में रद्द कर दिया। इसके बाद 16 वां संशोधन लागू किया गया। यह संशोधन भी हाईकोर्ट द्वारा अमान्य घोषित किया जा चुका है। ऐसे में 12 वें संशोधन के पूर्व की स्थिति बहाल हो गई है।
याचिका का विरोध करते हुए अधिवक्ता सीमांत सिंह ने दलील दी कि कोई भी संशोधन रद्द होने से उसके पूर्व की स्थिति स्वत: बहाल नहीं हो सकती है जब तक कि सरकार फिर से पूर्व की स्थिति को बहाल न करे। 15 वें संशोधन का मामला शिवकुमार पाठक केस में सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। इसमें भर्ती कुल प्राप्त अंकों के गुणांक के आधार पर की गई है। अब तक इस संशोधन के तहत 70 हजार के करीब सहायक अध्यापकों की नियुक्ति हो चुकी है। कोर्ट ने चयन प्रक्रिया में हस्तक्षेप से इंकार करते हुए कहा है कि चयन सुप्रीमकोर्ट के शिवकुमार पाठक केस में निर्णय पर निर्भर करेगा। इस दौरान बेसिक शिक्षा विभाग और राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
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