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शिक्षामित्र समायोजन मामला अब फैसला होने के करीब , वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ कोलिन गोन्साल्विस शिक्षामित्रों के पक्ष में अकाट्य साक्ष्यों के साथ 27 जुलाई की सुनवाई में मौजूद होंगे

शिक्षामित्र समायोजन मामला अब फैसला होने के करीब है। शिक्षमित्र संघों और टीमों के बड़े बड़े दावो और वादों की पोल खुलने ही वाली है। क्योंकि एनसीटीई ने हाई कोर्ट में भ्रामक हलफनामा दाखिल कर समायोजन रद्द करवाने में अहम भूमिका अदा की थी।
और इसी क्रम में एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में दाखिल की गई सभी प्लीडिंग्स को जस का तस मंगवाया था। इस पर संघो द्वारा एनसीटीई से परिवर्तित हलफनामे की मांग की गई और लगातार एनसीटीई से संपर्क बनाये रखने की बात कही जाती रही है।

◆अब जबकि 27 जुलाई से पहले कोर्ट ने सभी पार्टीस से रिटेन सबमिशन दाखिल करने का अनुरोध किया है। ऐसे में एनसीटीई एमएचआरडी और भारत सरकार की ओर से लिखित बहस/ सबमिशन जमा किया गया होगा या किया जायेगा।

■ शिक्षामित्रों को समायोजन बचाने के लिए एमएचआरडी और एनसीटीई का स्पष्टीकरण ज़रूरी था।

जिस कारण शिक्षमित्रों के दवाब के चलते शिक्षामित्रों के दोनों बड़े संगठन जितेंद्र शाही और गाज़ी इमाम आला एनसीटीई एक्ट 2010 यथा संशोधित में उल्लेखित (12क) पर एमएचआरडी और एनसीटीई से स्पष्टीकरण प्राप्त करने को प्रयास करेंगे, ये बात बार दोहराते रहे हैं। लेकिन अब तक इस पर कोई काम नहीं करवा सके हैं।

उक्त संशोधन में उल्लेख है कि "वो समस्त लोग जो शिक्षक के रूप में नियुक्त किये गए हों चाहे वो किसी भी नाम से जाने जाते हों अप्रशिक्षित अध्यापक हैं"

◆मिशन सुप्रीम कोर्ट समूह के विधिक जानकार आज ये खुलासा कर रहे हैं कि एनसीटीई के वकील गौरव शर्मा और अनिल सोनी 26 अप्रैल को सुनवाई में मौजूद थे और संभवतः लिखित सबमिशन दाखिल करने वाले हैं या फिर कर चुके है। इसलिए किसी खुशफहमी में न रहते हुए हमारे समूह के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ कोलिन गोन्साल्विस शिक्षामित्रों के पक्ष में अकाट्य साक्ष्यों के साथ 27 जुलाई की सुनवाई में मौजूद होंगे और एनसीटीई को उसके भ्रामक हलफनामे पर घेरेंगे। क्योंकि......
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