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यूपीटीईटी प्रमाणपत्र पर असमंजस, चार महीने बाद भी शासन की हीलाहवाली से 2015 का सर्टिफिकेट अब तक जारी नहीं हो सका

इलाहाबाद  : बेसिक शिक्षा परिषद में एक के बाद एक शिक्षक भर्ती शुरू हो रही है, लेकिन इसको लेकर अफसर गंभीर नहीं हैं। यही वजह है कि जिन प्रमाणपत्रों के दम पर शिक्षक बनने का मौका मिलना है वह देने में ढिलाई बरती जा रही है। शासन की लापरवाही से टीईटी 2015 का प्रमाणपत्र जारी नहीं हो सका है।
ऐसे में अंकपत्र से काउंसिलिंग होगी, वहीं 2011 के प्रमाणपत्र का रिकॉर्ड माध्यमिक शिक्षा परिषद के पास नहीं है। इससे फर्जीवाड़ा हो रहा है। कई शिक्षक पकड़े जा चुके हैं और तमाम की अब तक जांच लंबित है।

परिषदीय स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए टीईटी उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। इसके बाद भी टीईटी की समय से परीक्षा कराने एवं उसका प्रमाणपत्र आदि जारी करने में मनमानी हो रही है। 2015 की परीक्षा के लिए शासन को कई बार प्रस्ताव भेजा गया, आखिरकार यह इम्तिहान दो फरवरी 2016 को कराया जा सका। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने तत्परता दिखाकर परिणाम मार्च में जारी करा दिया और उसके बाद प्रमाणपत्र ऑनलाइन देने का आदेश भी जारी हुआ। इतने के बाद भी बड़े अफसर प्रमाणपत्र के स्वरूप पर राय लेते रहे। उनका कहना था कि सर्टिफिकेट ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों तरह से दिया जाए। इस ऊहापोह का नतीजा हुआ कि चार महीने बाद वह जारी नहीं हो सका है, हालांकि अब ऑनलाइन प्रमाणपत्र देने पर सहमति बनी है। ऐसे में 16448 शिक्षकों की भर्ती में अभ्यर्थी अंकपत्र के सहारे ही काउंसिलिंग कराएंगे। इसका आदेश भी जारी हुआ है।

प्रदेश में टीईटी की पहली परीक्षा 2011 में माध्यमिक शिक्षा परिषद ने कराई थी, लेकिन इसमें उत्तीर्ण कराने के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ। परिषद के पास टीईटी 2011 की न तो ओएमआर शीट हैं और न ही कोई अन्य रिकॉर्ड। इसका लाभ उठाकर तमाम अभ्यर्थियों ने फर्जी प्रमाणपत्र तैयार कर लिए हैं। पिछले दिनों हरदोई समेत कई जिलों में फर्जी टीईटी प्रमाणपत्र पकड़े गए हैं। इधर हुई भर्तियों में अभी सारे प्रमाणपत्रों की जांच नहीं हुई है वह पूरी होने पर फर्जीवाड़ा करने वालों की तादाद बढ़ने के पूरे आसार हैं।
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