शिक्षकों के भाग्य का होगा फैसला, 24 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में संभावित अंतिम सुनवाई पर तकरीबन एक लाख उन शिक्षकों की निगाहें टिकी हुई है जिनकी नियुक्ति टीईटी को पात्रता परीक्षा मानते हुए एकेडमिक रिकार्ड के आधार पर हुई

यूपी में शिक्षक भर्ती के विवादों पर 24 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में संभावित अंतिम सुनवाई पर तकरीबन एक लाख उन शिक्षकों की निगाहें टिकी हुई है जिनकी नियुक्ति टीईटी को पात्रता परीक्षा मानते हुए एकेडमिक
रिकार्ड के आधार पर की गई।
पिछले चार साल में प्राथमिक स्कूलों में 9970, 10800, 4280 व 3500 उर्दू, 10000, 15000 सहायक अध्यापकों और उच्च प्राथमिक स्कूलों में विज्ञान व गणित विषय के 29,334 सहायक अध्यापकों की भर्ती एकेडमिक रिकार्ड के आधार पर पूरी हो चुकी है।जबकि प्राथमिक स्कूलों में ही 16448 सहायक अध्यापकों की भर्ती एकेडमिक रिकार्ड के आधार पर चल रही है। ये सभी भर्तियां टीईटी को पात्रता परीक्षा मानते हुए अभ्यर्थियों के हाईस्कूल, इंटर, स्नातक व प्रशिक्षण अर्हता में मिले अंकों के आधार पर की गई। इसके खिलाफ कुछ अभ्यर्थियों ने टीईटी के अंकों को वरीयता नहीं देने के कारण याचिका कर रखी है। हालांकि एनसीटीई ने आरटीआई के जवाब में यह साफ कर दिया है कि भर्ती का आधार राज्य सरकार तय करेगी। टीईटी के अंकों को वरीयता देना या नहीं देना राज्य सरकार का अधिकार है।हाईकोर्ट ने बीटीसी डिग्रीधारियों के लिए अध्यापक सेवा नियमावली 1981 में 15वां संशोधन किया गया था जिसमें एकेडमिक रिकार्ड के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति का प्रावधान था। जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया। यह प्रकरण भी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।

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