प्राथमिक शिक्षा से जुड़े हिंदुस्तान के उत्तरप्रदेश राज्य के सबसे विवादित मुद्दे पर 07 April की सुनवाई हेतु
साथियों सुनवाई अवश्य होगी और लंच से पहले होगी, अफ़वाहों से बचें |
साथियों सुनवाई अवश्य होगी और लंच से पहले होगी, अफ़वाहों से बचें |
हमारी टीम पूरी तरह से तैयार है जिसके लिए निम्नलिखित याचिकाएँ मात्र अब केस के लिए निर्णायक होंगी :-
परमादेश याचिकाएँ :-
1) WP (c) 167/2015 Himanshu Rana & oths Vs Union of India & oths (मुख्य)
2) WP (c) 107/2016 Durgesh Pratap Singh & oths Vs Union of India & oths
3) WP (c) 120/2016 Jyotsana & oths Vs Union of India & oths
परमादेश याचिकाएँ :-
1) WP (c) 167/2015 Himanshu Rana & oths Vs Union of India & oths (मुख्य)
2) WP (c) 107/2016 Durgesh Pratap Singh & oths Vs Union of India & oths
3) WP (c) 120/2016 Jyotsana & oths Vs Union of India & oths
शिक्षा-मित्रों के प्रशिक्षण को अवैध कराने हेतु
slp civil (cc) 1621-22/2016 Himanshu Rana Vs State of UP & oths etc etc ...
Slp civil Amit Singh & oths Vs State of UP & oths etc etc ...
slp civil (cc) 1621-22/2016 Himanshu Rana Vs State of UP & oths etc etc ...
Slp civil Amit Singh & oths Vs State of UP & oths etc etc ...
उपरोक्त उल्लेखित याचिकाओं पर लिखित दस्तावेज़ तैयार किए जा चुके हैं जिन्हें ओपन कोर्ट में मेंशन करवाकर उपरोक्त समस्त याचिकाओं के समस्त प्रतिवादियों को कॉपी सर्व करा दी जाएगी |
इसके अलावा संगठित प्रयास से वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत भूषण जी को भी हमारे प्रतिनिनिधियों के द्वारा हायर किया गया है |
साथियों शुरू से लेकर आज तक केस को इस मोड़ पर लाने वाली आपकी ये टीम अपने सर्वोत्तम प्रयास कर रही है और पिछले आठ माह में सुनवाई न होना कितना पीड़ा दायक होता है वो हमसे बेहतर कोई नहीं जानता है लेकिन न्यायपालिका से न्याय मिलने में हो रही देरी चिंता का विषय है, इन तारीख़ों के चक्कर से बचने के लिए कभी भी आपकी इस टीम ने माननीय उच्च न्यायालय में किसी वाद को नहीं रखा लेकिन माननीय सर्वोच्च न्यायालय में जो व्यस्तता की स्थिति को देखकर जो आठ माह से निराशा हाथ लग रही है वो अत्यंत गम्भीर है लेकिन महादेव ने चाहा तो इस बार बेरोज़गारों की पीड़ा को देखते हुए सुनवाई अनाव्रत चलेगी |
साथियों एक गम्भीर बात जो कुछ तुच्छ लोगों के द्वारा सोशल मीडिया पर न्यायपालिका को लेकर की जाती है जो कि ग़लत है सुनवाई न होने का कारान मात्र और मात्र न्यायपालिका या कह दीजिए कि न्यायमूर्ति की व्यस्तता है इसके अलावा जनहित के केस में इस प्रकार की बातें कभी भी न्यायपालिका में नहीं होती हैं और हमारे केस में लगभग पाँच लाख लोगों और उनके परिवारों के हितों की बात जुड़ी है लेकिन न्याय होगा विधिक-अनुसार |
बाक़ी बस यही कहूँगा कि धैर्य रखें मैं अपनी पूरी टीम के साथ सर्वोच्च देता आया हूँ, दे रहा हूँ और केस निर्णायक हो तब तक देता भी रहूँगा |
बाक़ी केस और सुनवाई की जानकारी हेतु विस्तार से बाद में |
हर हर महादेव
धन्यवाद
आपका कार्यकर्ता
हिमांशु राणा
हिमांशु राणा
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