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शिक्षकों के लियन अधिकार पर बंटे अफसर, जूनियर विद्यालयों में 29,334 शिक्षकों की भर्ती का मामला, याचिकाएं विचाराधीन होने से शिक्षक निर्णय नहीं ले पा रहे

बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों व कर्मचारियों को राज्य सरकार के कर्मचारियों की तरह लिएन मिलता है। यानि जब तक दूसरी नौकरी पक्की न हो जाए तब तक पहली नौकरी पर अधिकार बना रहता है।

इलाहाबाद : प्राथमिक स्कूलों की टीचरी छोड़कर जूनियर हाईस्कूल में विज्ञान/गणित विषय के 29,334 सहायक अध्यापकों की भर्ती में चयनित शिक्षकों के लिए धारणाधिकार (लिएन) पहेली बन गया है। बेसिक शिक्षा अधिकारियों की मनमानी के कारण प्रदेशभर के हजारों शिक्षक परेशान हैं। भर्ती को लेकर कई याचिकाएं हाईकोर्ट में विचाराधीन होने के कारण ये शिक्षक अपने भविष्य को लेकर कोई ठोस निर्णय नहीं ले पा रहे हैं।


दरअसल 11 जुलाई 2013 को जब विज्ञान/गणित शिक्षकों की भर्ती शुरू हुई तो प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ा रहे शिक्षकों ने भी आवेदन किया। इनमें से हजारों प्राइमरी शिक्षकों को जूनियर हाईस्कूल में नौकरी भी मिल गई। लेकिन भर्ती में टीईटी अंकों को वेटेज दिए जाने समेत अन्य मामलों पर हाईकोर्ट में याचिकाएं विचाराधीन होने के कारण प्राइमरी से जूनियर में चयनित शिक्षकों को धारणाधिकार लेना पड़ा।ताकि यदि किन्हीं कारणों से जूनियर हाईस्कूल की नौकरी जाती भी है तो कम से कम प्राथमिक स्कूल की नौकरी बची रहे।


नियुक्ति के समय बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने एक साल का धारणाधिकार (लिएन) दिया था। एक साल की अवधि समाप्त होने के बाद इन शिक्षकों ने लिएन बढ़ाने का अनुरोध किया तो लखनऊ ने हाईकोर्ट के अंतिम आदेश तक धारणाधिकार बढ़ा दिया। बीएसए सुल्तानपुर ने तीन साल का लिएन दिया है। बीएसए गाजियाबाद व जौनपुर ने महज एक साल का लिएन स्वीकृत किया।
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