तबादले और स्कूल
नौकरी चाहे सरकारी हो या निजी क्षेत्र की तबादले और पदोन्नति की प्रक्रिया अवश्य होती है । इसका होना भी आवश्यक है क्योंकि तबादले की प्रक्रिया द्वारा विभाग या कर्मचारी की आवश्यकतानुसार किसी भी कार्मिक का तबादला किया जाता है । यह विभाग और कर्मचारी के हित में होता है ।
गर्मी और दीपावली की छुट्टियों के दौरान तबादलो के समाचारो अफवाहों का जोर होता है । तबादले हो या न हो परंतु जोड़ तोड़ चलती रहती है । बीते वर्षों में सरकार ने भी स्थानांतरण नीति बनाने के लिए विचार किया था परंतु पता नहीं कहाँ उलझ गई कि न तो नीति बना पाई न ही वापस चर्चा ही कर पाई हाँ बीच बीच अपने चहेतो को सुख प्रदान करने के लिए विभिन्न उठा पटक जरूर की है चाहे उसे समानीकरण कहे या स्टाफिँग पेटर्न । इनके आड में कितने कार्मिक इधर उधर किए गए ।
यह बात नहीं है कि स्थानांतरण नीति बनाना सरकार के लिए कठिन है परंतु इसके लिए सरकार को अपने हितों का त्याग करना कठिन लगता है शायद यही कारण है कि आज तक स्थानांतरण नीति आज तक नहीं बन पाई है । अगर यह नीति बन जाती तो शायद एक पारदर्शिता आ जाती और कोई विरोध दिखाई न पड़ता ।
तबादलो की माँग समय समय पर हर संगठन करता रहा है । सरकारों के बनने के समय यह माँग और जोर पकड़ लेती है । राजनीतिक पार्टियाँ भी अपने चुनावी भाषणों में इसे खूब काम में लेती है परंतु पता नहीं बाद में क्यूँ भूल जाती है । पिछले कितने ही वर्षों से प्रतिबंधित क्षेत्रों से भी तबादलें की माँग होने लगी है । पिछले कितने ही वर्षों से यहाँ पर बाहरी जिलों से लगे कर्मचारियों ने अपने जिले में स्थानांतरण की इच्छा जाहिर की है और सही भी है अपनी इच्छित जगह पर वह अपने पूर्ण मन से अपनी सेवाएँ दे सकता है और अपने परिवार की जरूरतो और समाज के दायित्वों को पूरा कर सकता है । प्रतिबंधित क्षेत्रों के कर्मचारियों ने अपने स्वयं के संगठन बना कर कितने ही बार सरकार से निवेदन भी किया है परंतु क्या पता सरकार क्या विचार कर रही है ।
तबादले से स्कूल के वातावरण में भी बदलाव आता है । कहीं स्टाफ की कमी पूरी हो जाती है तो कहीं स्टाफ और कम हो जाता है । कहीं अच्छे स्टाफ के आने पर शैक्षिक स्तर में सुधार भी आता है । इस तरह तबादले स्कूल वातावरण में नयापन लेकर आते है लेकिन इस तरह बिना किसी नीति के किए गए तबादलो से कितने ही स्कूलों की स्थिति और खराब हो जाती है और विरोध के स्वर उठने लगते है फलस्वरूप स्कूल की तालाबंदी की खबरे आने लगती है । अच्छा है सरकार स्थानांतरण नीति बनाए ताकि तबादलो में पारदर्शिता आ सके और कर्मचारियों को भी मानसिक और आर्थिक रूप से लाभ मिल सके ।
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नौकरी चाहे सरकारी हो या निजी क्षेत्र की तबादले और पदोन्नति की प्रक्रिया अवश्य होती है । इसका होना भी आवश्यक है क्योंकि तबादले की प्रक्रिया द्वारा विभाग या कर्मचारी की आवश्यकतानुसार किसी भी कार्मिक का तबादला किया जाता है । यह विभाग और कर्मचारी के हित में होता है ।
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गर्मी और दीपावली की छुट्टियों के दौरान तबादलो के समाचारो अफवाहों का जोर होता है । तबादले हो या न हो परंतु जोड़ तोड़ चलती रहती है । बीते वर्षों में सरकार ने भी स्थानांतरण नीति बनाने के लिए विचार किया था परंतु पता नहीं कहाँ उलझ गई कि न तो नीति बना पाई न ही वापस चर्चा ही कर पाई हाँ बीच बीच अपने चहेतो को सुख प्रदान करने के लिए विभिन्न उठा पटक जरूर की है चाहे उसे समानीकरण कहे या स्टाफिँग पेटर्न । इनके आड में कितने कार्मिक इधर उधर किए गए ।
यह बात नहीं है कि स्थानांतरण नीति बनाना सरकार के लिए कठिन है परंतु इसके लिए सरकार को अपने हितों का त्याग करना कठिन लगता है शायद यही कारण है कि आज तक स्थानांतरण नीति आज तक नहीं बन पाई है । अगर यह नीति बन जाती तो शायद एक पारदर्शिता आ जाती और कोई विरोध दिखाई न पड़ता ।
तबादलो की माँग समय समय पर हर संगठन करता रहा है । सरकारों के बनने के समय यह माँग और जोर पकड़ लेती है । राजनीतिक पार्टियाँ भी अपने चुनावी भाषणों में इसे खूब काम में लेती है परंतु पता नहीं बाद में क्यूँ भूल जाती है । पिछले कितने ही वर्षों से प्रतिबंधित क्षेत्रों से भी तबादलें की माँग होने लगी है । पिछले कितने ही वर्षों से यहाँ पर बाहरी जिलों से लगे कर्मचारियों ने अपने जिले में स्थानांतरण की इच्छा जाहिर की है और सही भी है अपनी इच्छित जगह पर वह अपने पूर्ण मन से अपनी सेवाएँ दे सकता है और अपने परिवार की जरूरतो और समाज के दायित्वों को पूरा कर सकता है । प्रतिबंधित क्षेत्रों के कर्मचारियों ने अपने स्वयं के संगठन बना कर कितने ही बार सरकार से निवेदन भी किया है परंतु क्या पता सरकार क्या विचार कर रही है ।
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तबादले से स्कूल के वातावरण में भी बदलाव आता है । कहीं स्टाफ की कमी पूरी हो जाती है तो कहीं स्टाफ और कम हो जाता है । कहीं अच्छे स्टाफ के आने पर शैक्षिक स्तर में सुधार भी आता है । इस तरह तबादले स्कूल वातावरण में नयापन लेकर आते है लेकिन इस तरह बिना किसी नीति के किए गए तबादलो से कितने ही स्कूलों की स्थिति और खराब हो जाती है और विरोध के स्वर उठने लगते है फलस्वरूप स्कूल की तालाबंदी की खबरे आने लगती है । अच्छा है सरकार स्थानांतरण नीति बनाए ताकि तबादलो में पारदर्शिता आ सके और कर्मचारियों को भी मानसिक और आर्थिक रूप से लाभ मिल सके ।
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