सरकारी विभागों के बड़े अधिकारियों के तबादले के मौजूदा नियमों में जल्दी ही अहम बदलाव किया जाएगा। विभिन्न मंत्रलयों में काम करने वाले संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों को एक निश्चित अवधि मिलेगी ताकि वह अपनी जिम्मेदारियों को एक सही अंजाम तक पहुंचा सकें।
हाल के दिनों में कई सचिवों को इसके तहत या तो दीर्घावधि की जिम्मेदारी सौंपी गई है या फिर उनके कार्यकाल को बढ़ाया गया है। लेकिन अब इसे संस्थागत तरीके से नियम के रूप में स्थापित किया जाएगा। सरकार चाहती है कि किसी संवेदनशील परियोजना से जुड़े अधिकारी को ज्यादा समय तक काम करने का मौका दिया जाए। ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जहां सरकारी परियोजनाओं को लागू करने में सबसे बड़ी अड़चन अधिकारियों का बदल जाना रहा है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, सिर्फ निवेशक समुदाय ही भारत से अधिकारियों के तेजी से बदलने की शिकायत नहीं करता रहा है, बल्कि कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में देश का पक्ष भी कमजोर साबित हुआ है। 1
कालाधन और आतंकवादियों को धन उपलब्ध कराने पर रोक संबंधी एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भारत का पक्ष कमजोर पड़ गया। जिस अधिकारी को वहां भेजा गया था वह भारत की स्थिति को मजबूती से नहीं रख पाया। 1बाद में पता चला कि इस मामले को लंबे समय से देख रहे अधिकारी सेवानिवृत्त हो गए और उनकी जगह इस विषय का ज्ञान नहीं रखने वाले अधिकारी को बहाल किया गया। 1इसी तरह एक अंतरराष्ट्रीय निवेशक सम्मेलन में एक निवेशक ने वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री के सामने अधिकारियों के होने वाले तबादले से उसकी परियोजना में आ रही दिक्कतों का मामला उठा दिया था। नया नियम निवेश, कराधान, कालाधन और अंतरराष्ट्रीय रिश्तों से जुड़े अहम अधिकारियों को लंबे समय तक काम करने का मौका देगा।’ निवेशकों की लगातार शिकायत के बाद सरकार उठाने जा रही है कदम1’>>संयुक्त सचिव स्तर तक के अधिकारियों का होगा लंबा कार्यकाल
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हाल के दिनों में कई सचिवों को इसके तहत या तो दीर्घावधि की जिम्मेदारी सौंपी गई है या फिर उनके कार्यकाल को बढ़ाया गया है। लेकिन अब इसे संस्थागत तरीके से नियम के रूप में स्थापित किया जाएगा। सरकार चाहती है कि किसी संवेदनशील परियोजना से जुड़े अधिकारी को ज्यादा समय तक काम करने का मौका दिया जाए। ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जहां सरकारी परियोजनाओं को लागू करने में सबसे बड़ी अड़चन अधिकारियों का बदल जाना रहा है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, सिर्फ निवेशक समुदाय ही भारत से अधिकारियों के तेजी से बदलने की शिकायत नहीं करता रहा है, बल्कि कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में देश का पक्ष भी कमजोर साबित हुआ है। 1
कालाधन और आतंकवादियों को धन उपलब्ध कराने पर रोक संबंधी एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भारत का पक्ष कमजोर पड़ गया। जिस अधिकारी को वहां भेजा गया था वह भारत की स्थिति को मजबूती से नहीं रख पाया। 1बाद में पता चला कि इस मामले को लंबे समय से देख रहे अधिकारी सेवानिवृत्त हो गए और उनकी जगह इस विषय का ज्ञान नहीं रखने वाले अधिकारी को बहाल किया गया। 1इसी तरह एक अंतरराष्ट्रीय निवेशक सम्मेलन में एक निवेशक ने वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री के सामने अधिकारियों के होने वाले तबादले से उसकी परियोजना में आ रही दिक्कतों का मामला उठा दिया था। नया नियम निवेश, कराधान, कालाधन और अंतरराष्ट्रीय रिश्तों से जुड़े अहम अधिकारियों को लंबे समय तक काम करने का मौका देगा।’ निवेशकों की लगातार शिकायत के बाद सरकार उठाने जा रही है कदम1’>>संयुक्त सचिव स्तर तक के अधिकारियों का होगा लंबा कार्यकाल
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