सुप्रीम कोर्ट में 2/05/2017 से 09/05/2017 के बीच लगातार सुनवाई हुई जिसमे 9/05/2017 को सुनवाई के पश्चात आये कोर्ट आर्डर में ये स्पष्ट हो गया है कि अब 17/05/2017 को सिर्फ एक घंटे की सुनवाई बची है.
*एक घंटा सुनवाई शेष, अपीयर होने वाले अधिकता सैकड़ों में।*
सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के प्रमुख बिंदु जिन पर शिक्षामित्र अधिवक्ता कोलिन गोंसाल्विस ने निम्नलिखित पक्ष रखा:-
*मूल नियुक्ति*
शिक्षामित्रों की मौलिक नियुक्ति आरटीई एक्ट और यूपी बेसिक शिक्षा अधिनियम 1972 के अधीन एक शिक्षक के रूप में हुई। नियमावली 1981 में भी शिक्षक के रूप में परिभाषित हैं। स्थानीय प्राधिकारी के द्वारा नियुक्त शिक्षक की श्रेणी में आते हैं और इनकी नियुक्ति वर्ष 2000 से 2010 तक होती रही है।
सुप्रीम कोर्ट में वर्ष 2013 में दाखिल mhrd और ncte के हलफनामे के अनुसार ये अप्रशिक्षित अध्यापक हैं जिन्हें प्रशिक्षित किया गया है। *(लिखित बहस)*
*शिक्षामित्र योजना*
शिक्षामित्र योजना एक विधायी योजना थी और विधायी योजना में सुप्रीम कोर्ट केसेस में कोर्ट ने व्यवस्था दी है के उन्हें नियमित होने का अधिकार है। महत्त्वपूर्ण बिंदु ये की राज्य ने स्वयं इन्हें समायोजित किया है जो के राज्य का अधिकार है। *(लिखित बहस)*
*शिक्षामित्र प्रशिक्षण*
शिक्षामित्र प्रशिक्षण आरटीई की धारा 35(1) के अधीन जारी अधिनियम की बाध्यता का अंग है जिसे सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे और जस्टिस वर्मा कमेटी की शिफारिश पर खुद सुप्रीम कोर्ट ने अप्रुवड किया है। प्रशिक्षण पर हाई कोर्ट ने भी कोई उंगली नही उठाई है। *(लिखित बहस)*
*शिक्षामित्रों पर टेट लागू नहीं।*
शिक्षामित्रों पर टेट लागू नही होता है ये तथ्य 8 नवंबर 2010 की गाइड लाइन, 23 अगस्त 2010 के पारा 4, ncte की 11 फरवरी 2011 की गाइड लाइन, सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णीत फैसले, ncte एक्ट के 12क और 26 अक्टूबर 2015 के पत्र अनुसार स्पष्ट है। *(लिखित और मौखिक बहस)*
*बीएड धारक बेसिक शिक्षक के पद हेतु अयोग्य*
सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णीत आधा दर्जन फैसलों, ncte गाइड लाइन 2001, सितम्बर 2012 की mhrd अनुमति के अनुसार बीएड डिग्री बेसिक शिक्षक पद हेतु बीटीसी के स्थानापन्न नहीं है, बीएड धारको को बेसिक में नही रख सकते हैं। *(लिखित व मौखिक बहस)*
*हाई कोर्ट फैसले की बड़ी त्रुटियां*
हाई कोर्ट द्वारा निर्णीत फैसले में बहुत से बिंदुओं पर गलत विश्लेषण किया गया जिन्हें विस्तृत रूप से कोर्ट के समक्ष रखा। *(लिखित और मौखिक बहस)*
*एमएससी सुप्रीम कोर्ट की कार्य शैली पर वही लोग उंगली उठा रहे हैं जिनके द्वारा लिखित बहस जमा नही की गई और वे हमारे अधिवक्ता द्वारा जमा की गई बहस की प्रति पर अपनी तैयारी करके पहुंचे। जिन मुद्दों पर कोई अधिवक्ता एक घंटा बोल सकता है उसी को मात्र 2 पेज लिखित बहस में समेटा जा सकता है। लिखित बहस/सबमिशन कोर्ट को समझने का बेहतरीन माध्ययम होता हैं। एमएससी की ओर से 4 सबमिशन अलग अलग डेट पर जमा किये गए हैं ताकि सनद रहे। मौखिक बहस में बहुत से बिंदु छूट जाते हैं लेकिन लिखित में ऐसा नही होता है।*
एमएससी के अधिवक्ता ने दस मिनट की बहस में सिर्फ उन बिंदुओं पर ही बात की जो अब तक कि अन्य लोगों की बहस में शामिल नही हो पाए थे। स्पष्ट है कि कोर्ट द्वारा कोई सवाल नही उठाये गए, उम्मीद है परिणाम सुखद और सकारात्मक होगा, बिना टेट होगा।
★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नही।
©मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप यूपी।।
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*एक घंटा सुनवाई शेष, अपीयर होने वाले अधिकता सैकड़ों में।*
सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के प्रमुख बिंदु जिन पर शिक्षामित्र अधिवक्ता कोलिन गोंसाल्विस ने निम्नलिखित पक्ष रखा:-
*मूल नियुक्ति*
शिक्षामित्रों की मौलिक नियुक्ति आरटीई एक्ट और यूपी बेसिक शिक्षा अधिनियम 1972 के अधीन एक शिक्षक के रूप में हुई। नियमावली 1981 में भी शिक्षक के रूप में परिभाषित हैं। स्थानीय प्राधिकारी के द्वारा नियुक्त शिक्षक की श्रेणी में आते हैं और इनकी नियुक्ति वर्ष 2000 से 2010 तक होती रही है।
सुप्रीम कोर्ट में वर्ष 2013 में दाखिल mhrd और ncte के हलफनामे के अनुसार ये अप्रशिक्षित अध्यापक हैं जिन्हें प्रशिक्षित किया गया है। *(लिखित बहस)*
*शिक्षामित्र योजना*
शिक्षामित्र योजना एक विधायी योजना थी और विधायी योजना में सुप्रीम कोर्ट केसेस में कोर्ट ने व्यवस्था दी है के उन्हें नियमित होने का अधिकार है। महत्त्वपूर्ण बिंदु ये की राज्य ने स्वयं इन्हें समायोजित किया है जो के राज्य का अधिकार है। *(लिखित बहस)*
*शिक्षामित्र प्रशिक्षण*
शिक्षामित्र प्रशिक्षण आरटीई की धारा 35(1) के अधीन जारी अधिनियम की बाध्यता का अंग है जिसे सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे और जस्टिस वर्मा कमेटी की शिफारिश पर खुद सुप्रीम कोर्ट ने अप्रुवड किया है। प्रशिक्षण पर हाई कोर्ट ने भी कोई उंगली नही उठाई है। *(लिखित बहस)*
*शिक्षामित्रों पर टेट लागू नहीं।*
शिक्षामित्रों पर टेट लागू नही होता है ये तथ्य 8 नवंबर 2010 की गाइड लाइन, 23 अगस्त 2010 के पारा 4, ncte की 11 फरवरी 2011 की गाइड लाइन, सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णीत फैसले, ncte एक्ट के 12क और 26 अक्टूबर 2015 के पत्र अनुसार स्पष्ट है। *(लिखित और मौखिक बहस)*
*बीएड धारक बेसिक शिक्षक के पद हेतु अयोग्य*
सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णीत आधा दर्जन फैसलों, ncte गाइड लाइन 2001, सितम्बर 2012 की mhrd अनुमति के अनुसार बीएड डिग्री बेसिक शिक्षक पद हेतु बीटीसी के स्थानापन्न नहीं है, बीएड धारको को बेसिक में नही रख सकते हैं। *(लिखित व मौखिक बहस)*
*हाई कोर्ट फैसले की बड़ी त्रुटियां*
हाई कोर्ट द्वारा निर्णीत फैसले में बहुत से बिंदुओं पर गलत विश्लेषण किया गया जिन्हें विस्तृत रूप से कोर्ट के समक्ष रखा। *(लिखित और मौखिक बहस)*
*एमएससी सुप्रीम कोर्ट की कार्य शैली पर वही लोग उंगली उठा रहे हैं जिनके द्वारा लिखित बहस जमा नही की गई और वे हमारे अधिवक्ता द्वारा जमा की गई बहस की प्रति पर अपनी तैयारी करके पहुंचे। जिन मुद्दों पर कोई अधिवक्ता एक घंटा बोल सकता है उसी को मात्र 2 पेज लिखित बहस में समेटा जा सकता है। लिखित बहस/सबमिशन कोर्ट को समझने का बेहतरीन माध्ययम होता हैं। एमएससी की ओर से 4 सबमिशन अलग अलग डेट पर जमा किये गए हैं ताकि सनद रहे। मौखिक बहस में बहुत से बिंदु छूट जाते हैं लेकिन लिखित में ऐसा नही होता है।*
एमएससी के अधिवक्ता ने दस मिनट की बहस में सिर्फ उन बिंदुओं पर ही बात की जो अब तक कि अन्य लोगों की बहस में शामिल नही हो पाए थे। स्पष्ट है कि कोर्ट द्वारा कोई सवाल नही उठाये गए, उम्मीद है परिणाम सुखद और सकारात्मक होगा, बिना टेट होगा।
★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नही।
©मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप यूपी।।
- जज ने क्या कहा, ये 17 को ही पता चलेगा ,17 मई तक इन्तिज़ार ही तो करना है
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