9342 एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती में मेरिट से नहीं, लिखित परीक्षा से होगी भर्ती

एलटी ग्रेड के पद पर एकेडेमिक मेरिट के बजाए अब लिखित परीक्षा के आधार पर भर्ती की तैयारी की जा रही है। शिक्षा निदेशालय ने एकेडेमिक मेरिट पर सहायक अध्यापकों की भर्ती करने से हाथ खड़े कर दिए हैं। अब इन शिक्षकों की भर्ती का माध्यम क्या होगा, इसके लिए निदेशालय ने शासन को पत्र लिखा है।
माना जा रहा है कि यह भर्ती अब अधीनस्थ सेवा चयन आयोग या फिर माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में से किसी एक से कराई जा सकती है। इस बीच माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड और उच्च शिक्षा सेवा चयन आयोग को खत्म कर उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा आयोग का गठन होता है तो एलटी ग्रेट भर्ती का जिम्मा उसे भी दिया जा सकता है। राजकीय इंटर कॉलेजों में 9342 एलटी ग्रेड शिक्षकों की एकेडेमिक मेरिट के आधार पर भर्ती के लिए आवेदन की प्रक्रिया 25 दिसंबर 2016 को शुरू हुई थी। एक माह में इसके लिए प्रदेश भर से पांच लाख से अधिक आवेदन आए।

अभ्यर्थियों को उम्मीद थी कि मेरिट के आधार नियुक्ति की प्रक्रिया जल्द पूरी हो जाएगी, लेकिन करीब छह माह बीत जाने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। अब शिक्षा निदेशालय मेरिट के बजाए लिखित परीक्षा के आधार पर भर्ती का मन बना रहा है। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड शिक्षकों की भर्ती के लिए परीक्षाएं आयोजित कराते हैं। अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक रमेश के मुताबिक इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा गया है।

शैक्षिक योग्यता के अंकों के आधार पर सहायक अध्यापकों की एकेडेमिक मेरिट तैयार होनी थी। इसके तहत अभ्यर्थी के हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, स्नातक एवं प्रशिक्षण के नंबरों को जोड़कर उसी के आधार पर मेरिट बनाई जानी थी। फिर उच्च मेरिट वाले अभ्यर्थियों का चयन होना था।

टीजीटी-पीजीटी प्रतियोगी मोर्चा सहायक अध्यापक (एलटी ग्रेड) की भर्ती एकेडेमिक मेरिट के आधार पर कराने के खिलाफ रहा है। इसे लेकर मोर्चा लंबे समय से आंदोलन भी कर रहा है। मोर्चा के पदाधिकारी मेरिट के बजाए लिखित परीक्षा की मांग को लेकर माध्यमिक शिक्षा मंत्री समेत उच्चाधिकारियों से भी मिल चुके हैं। लिखित परीक्षा होने से पारदर्शिता आएगी, क्योंकि एलटी ग्रेड की पिछली भर्ती में 6500 सीटों में से मात्र 2500 की नियुक्ति हो सकी, क्योंकि बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी पाने की कोशिश की थी। 6500 की भर्ती हो भी गई, लेकिन बाद में प्रमाण पत्र के सत्यापन में फर्जी प्रमाण पत्रों का मामला सामने आने के बाद 4000 अभ्यर्थी नियुक्ति पत्र ही लेने नहीं पहुंचे।
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