इलाहाबाद1उत्तर प्रदेश सरकार हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद मृत पुलिस कर्मियों के आश्रितों को नौकरी नहीं देगी, बल्कि फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी। गृह विभाग इसकी तैयारी कर रहा है। अपील फाइल करने के लिए सरकारी अधिवक्ता की राय ले ली गई है।
वर्ष 2011 से 2014 के बीच नौकरी के दौरान मृत हुए प्रदेश के सैकड़ों पुलिसकर्मियों के आश्रित महकमे में अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने की आस लगाए बैठे हैं, लेकिन शासन के सुप्रीम कोर्ट जाने के निर्णय से नौकरी पाने की लगाए बैठे उन सभी आश्रितों को बड़ा झटका लगेगा। प्रदेश सरकार के गृह विभाग ने एक निर्णय लिया था कि वर्ष 2011 से 2014 के बीच नौकरी के दौरान मृत हुए उन्हीं पुलिस कर्मियों के आश्रितों को दारोगा पद पर नौकरी दी जाएगी जिन्होंने 15 अक्टूबर 2014 तक मृतक आश्रित के रूप में नौकरी के लिए आवेदन कर रखा है।
इस कटऑफ डेट तक सैकड़ों आश्रित आवेदन नहीं कर सके। सरकार का कहना है कि अब मृतक आश्रितों की दारोगा पद पर नियुक्ति के लिए 19 अगस्त 2015 से नई नियमावली आ गई है। इस कारण जिन आश्रितों ने कटऑफ डेट 15 अक्टूबर 2014 तक आवेदन नहीं किया था उनकी नियुक्ति पर विचार अब नये कानून से होगा। 1नये कानून में दारोगा पद पर मृतक आश्रित नौकरी के लिए परीक्षा आदि कराकर भर्ती के नियम कड़े कर दिए गए हैं। समय सीमा में आवेदन न कर सके आश्रितों की याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि वह नये कानून आने के पहले दिए गए सभी आवेदनों पर पुराने नियम के तहत विचार कर आश्रितों को नौकरी दे।
एकल पीठ के इस आदेश के खिलाफ सरकार ने खंडपीठ के समक्ष विशेष अपील दायर की तथा कहा कि दारोगा का पद जिम्मेदारी का है। इस कारण पुराने नियम में बदलाव कर नया कानून लाया गया है, ताकि योग्य लोग ही दारोगा बन सकें। शेष को सिपाही की नौकरी दी जाएगी, लेकिन सरकार की इस दलील को हाईकोर्ट ने नहीं माना और आदेश दिया कि नया कानून आने से पहले दिए गए आश्रितों के आवेदन पर दारोगा की नौकरी सरकार पुराने नियमों से ही करे। सरकार कोर्ट के इस आदेश से सहमत नहीं है और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर ली है।’>>हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की तैयारी1’>>अपील फाइल करने के लिए गृह विभाग ने सरकारी अधिवक्ता से ली राय
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वर्ष 2011 से 2014 के बीच नौकरी के दौरान मृत हुए प्रदेश के सैकड़ों पुलिसकर्मियों के आश्रित महकमे में अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने की आस लगाए बैठे हैं, लेकिन शासन के सुप्रीम कोर्ट जाने के निर्णय से नौकरी पाने की लगाए बैठे उन सभी आश्रितों को बड़ा झटका लगेगा। प्रदेश सरकार के गृह विभाग ने एक निर्णय लिया था कि वर्ष 2011 से 2014 के बीच नौकरी के दौरान मृत हुए उन्हीं पुलिस कर्मियों के आश्रितों को दारोगा पद पर नौकरी दी जाएगी जिन्होंने 15 अक्टूबर 2014 तक मृतक आश्रित के रूप में नौकरी के लिए आवेदन कर रखा है।
इस कटऑफ डेट तक सैकड़ों आश्रित आवेदन नहीं कर सके। सरकार का कहना है कि अब मृतक आश्रितों की दारोगा पद पर नियुक्ति के लिए 19 अगस्त 2015 से नई नियमावली आ गई है। इस कारण जिन आश्रितों ने कटऑफ डेट 15 अक्टूबर 2014 तक आवेदन नहीं किया था उनकी नियुक्ति पर विचार अब नये कानून से होगा। 1नये कानून में दारोगा पद पर मृतक आश्रित नौकरी के लिए परीक्षा आदि कराकर भर्ती के नियम कड़े कर दिए गए हैं। समय सीमा में आवेदन न कर सके आश्रितों की याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि वह नये कानून आने के पहले दिए गए सभी आवेदनों पर पुराने नियम के तहत विचार कर आश्रितों को नौकरी दे।
एकल पीठ के इस आदेश के खिलाफ सरकार ने खंडपीठ के समक्ष विशेष अपील दायर की तथा कहा कि दारोगा का पद जिम्मेदारी का है। इस कारण पुराने नियम में बदलाव कर नया कानून लाया गया है, ताकि योग्य लोग ही दारोगा बन सकें। शेष को सिपाही की नौकरी दी जाएगी, लेकिन सरकार की इस दलील को हाईकोर्ट ने नहीं माना और आदेश दिया कि नया कानून आने से पहले दिए गए आश्रितों के आवेदन पर दारोगा की नौकरी सरकार पुराने नियमों से ही करे। सरकार कोर्ट के इस आदेश से सहमत नहीं है और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर ली है।’>>हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की तैयारी1’>>अपील फाइल करने के लिए गृह विभाग ने सरकारी अधिवक्ता से ली राय
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