इलाहाबाद : प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सरकार ने सीधी भर्ती
पर भले ही रोक लगा रखी है लेकिन, अब शिक्षक पात्रता परीक्षा यानि टीईटी के
पेंच से सीधी भर्तियों का रास्ता फिर खुलने के आसार हैं। हाईकोर्ट ने
नियमावली का संज्ञान लेकर पदोन्नति में भी टीईटी
अनिवार्य किया है।
ऐसे में पदोन्नति के दावेदार अधिकांश शिक्षक यह परीक्षा
उत्तीर्ण नहीं है और जो परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके हैं, उनकी सेवा तीन साल
की नहीं हुई है।
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के पद सीधी भर्ती से
ही भरे जाते हैं, वहीं उच्च प्राथमिक स्कूलों के लिए भी 2013-14 में
विज्ञान-गणित शिक्षकों की सीधी भर्ती हुई थी। उसके बाद से अब तक उच्च
प्राथमिक स्कूलों की सीधी भर्ती नहीं हुई है, बल्कि भाजपा सरकार ने निर्णय
लिया कि उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों के पद प्राथमिक स्कूलों के
शिक्षकों की पदोन्नति से भरे जाएंगे और सीधी भर्ती नहीं होगी। ऐसे में कला
वर्ग व भाषा आदि के पद पदोन्नति से भरे गए। इसी बीच बीएड टीईटी उच्च
प्राथमिक बेरोजगार संघ ने पदोन्नति में नियमों की अवहेलना का प्रकरण
हाईकोर्ट में रखा। कोर्ट ने पदोन्नति में टीईटी को अनिवार्य कर दिया। संघ
ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद नई दिल्ली यानि एनसीटीई व मानव संसाधन
विकास मंत्रलय को कई अधिसूचनाओं का हवाला देकर बताया कि पदोन्नति में नियम
टूट रहे हैं। ऐसे शिक्षकों को उत्तर प्रदेश में पदोन्नत किया जा रहा है,
जिनके पास न्यूनतम योग्यता नहीं है। इसका संज्ञान लेकर मंत्रलय के सचिव
आलोक जवाहर ने बीते 17 जनवरी को अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा को पत्र भी
भेजा है। विभागीय सूत्रों की मानें तो प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में
जूनियर स्तर पर टीईटी उत्तीर्ण शिक्षकों की संख्या न के बराबर है। जो
शिक्षक टीईटी उत्तीर्ण भी हैं, उनकी सेवा अभी तीन वर्ष की नहीं हुई है। ऐसे
में पदोन्नतियों पर विराम लगना तय है। वहीं, उप्र बेसिक शिक्षा अध्यापक
नियमावली 1981 (यथा संशोधित) के भाग तीन की धारा पांच के अंत में यह
व्यवस्था दी गई है कि यदि जूनियर विद्यालयों में पदोन्नति के लिए उपयुक्त
अध्यापक उपलब्ध न हों तो नियम 15 के अनुसार सारे पद सीधी भर्ती से भरे
जाएंगे।
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