इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग से पांच साल में हुई सभी भर्तियों की
सीबीआइ जांच में पीसीएस सहित अन्य परीक्षाओं की उत्तरपुस्तिकाएं जलाने का
सच भी उजागर होगा। आरोप है कि इन कॉपियों को पूर्व अध्यक्ष डा. अनिल यादव
के इशारे पर जलाया गया था, ताकि भर्तियों में हुए भ्रष्टाचार के सबूत नष्ट
हो जाएं।
आरोप है कि
मुख्य परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं को चार साल तक
संरक्षित रखने के नियम में बदलाव कर दिया गया, जबकि आयोग ने सूचना अधिकार
अधिनियम के तहत मांगे गए जवाब में कहा था कि कॉपियों को एक साल तक संरक्षित
रखने का नियम है उसके बाद नष्ट कर दिया जाता है। यह प्रकरण उस समय सतह पर
आया जब आयोग की ओर से पीसीएस 2012 भर्ती परीक्षा का परिणाम 2014 में जारी
किया गया था। प्रतियोगी छात्र अवनीश पांडेय ने भर्तियों में भ्रष्टाचार
होने का आरोप लगा सूचना अधिकार के तहत उत्तर पुस्तिका देखने की इच्छा जताई
थी। पीसीएस 2012 की मुख्य परीक्षा में आयोग ने 4660 कापियां संरक्षित की
थीं। आरटीआइ पर आयोग की ओर से दिए गए जवाब में बताया गया था कि मुख्य
परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं जला दी गई हैं। आयोग ने कहा था कि उत्तर
पुस्तिकाओं को एक साल तक संरक्षित रखने का नियम है। इसके बाद नष्ट कर दिया
जाता है। अवनीश पांडेय सहित अन्य ने आरोप लगाया था कि पीसीएस सहित अन्य
परीक्षाओं में भ्रष्टाचार हुआ है इसीलिए उत्तर पुस्तिकाओं को सबूत मिटाने
के इरादे से जला दिया गया है, आयोग में पुराने नियम के अनुसार मुख्य
परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं को कम से कम चार साल तक और किसी मामले में
न्यायालय में वाद दायर होने पर उसका अंतिम निर्णय होने तक संरक्षित रखने का
नियम था। आयोग का कहना है कि मुख्य परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाएं एक साल
तक ही रखने का नियम कई वर्षो से है। सीबीआइ जांच में यह स्थिति भी साफ हो
जाएगी कि आयोग ने पीसीएस परीक्षा सहित अन्य की उत्तर पुस्तिकाएं किस नियम
और किन परिस्थितियों में जलाकर नष्ट कीं।
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