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दरअसल, 25 जुलाई ही वह तारीख है, जब 2017 में प्रदेश के एक लाख 37 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन शीर्ष कोर्ट ने रद कर दिया। शिक्षामित्रों ने इसके विरोध में लंबे समय तक उग्र आंदोलन चलाया और अब तक रह-रहकर प्रदर्शन होता रहा है। इनके साथ ही बीएड-टीईटी 2011 की नियुक्ति का शीर्ष कोर्ट ने अंतिम फैसला सुनाया। ठीक एक बरस बाद दोनों वर्गों की सरकार ने सुधि ली है।
उप मुख्यमंत्री की कमेटी शिक्षामित्रों पर करेगी मंथन
मुख्यमंत्री ने शिक्षामित्रों की विभिन्न समस्याओं से संबंधित सभी पहलुओं पर विचार करने के लिए उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में कमेटी गठित की है। इस समिति में अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा डा. प्रभात कुमार, अपर मुख्य सचिव वित्त व प्रमुख सचिव न्याय सदस्य होंगे। यही नहीं समिति चाहे तो किसी अन्य अधिकारी व व्यक्ति को भी विशेष आमंत्री के रूप में शामिल किया जा सकता है।
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बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में एक लाख 72 हजार शिक्षामित्र तैनात हैं। उनमें से चरणबद्ध तरीके से एक लाख 37 हजार शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के रूप में समायोजित किया गया। उनका समायोजन पहले हाईकोर्ट और फिर शीर्ष कोर्ट से रद हो गया। इसके बाद से शिक्षामित्र नियमित अध्यापक के रूप में नियुक्ति की मांग को लेकर अड़े हैं।
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शिक्षामित्रों ने मुख्यमंत्री से मिलकर मांग उठाई कि देश के 13 राज्यों में शिक्षामित्रों व पैरा शिक्षकों को समान कार्य का समान वेतन के तहत नियमित किया गया है और वहां बेहतर भुगतान वर्ष भर मिल रहा है। माना जा रहा है कि अब गठित समिति इन प्रस्तावों व अन्य सुझावों पर चर्चा करके निर्णय लेगी।
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प्रमुख सचिव न्याय बीएड-टीईटी 2011 की अवशेष नियुक्ति खंगालेंगे
मुख्यमंत्री ने बीएड-टीईटी 2011 के अभ्यर्थियों की मांगों को लेकर प्रमुख सचिव न्याय की अध्यक्षता में कमेटी गठित की है। इसमें अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा प्रभात कुमार व प्रमुख सचिव गृह को सदस्य बनाया गया है। इसमें भी अन्य अफसर व व्यक्ति को विशेष आमंत्री के रूप में समिति को रखने की छूट है। असल में, 2011 में परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 72825 शिक्षकों की भर्ती शुरू हुई। 2014 तक 66 हजार 655 अभ्यर्थियों को विभिन्न जिलों में नियुक्ति दी गई।
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इसी बीच शीर्ष कोर्ट ने सात दिसंबर 2015 को 1100 याचियों को नियुक्ति देने का आदेश किया। शासन से 862 अभ्यर्थियों की नियुक्ति करने का आदेश हुआ, उस समय 832 को नियुक्ति भी मिल गई। यह देखकर 24 फरवरी 2016 तक करीब 35 हजार अन्य बीएड अभ्यर्थी भी याची बन गए। शीर्ष कोर्ट ने 24 अगस्त 2016 व 17 नवंबर 2016 को इन्हें नियुक्त करने का आदेश दिया लेकिन, उसका अनुपालन नहीं हुआ।
25 जुलाई 2017 को शीर्ष कोर्ट ने अंतिम आदेश में कहा कि अब प्रदेश सरकार चाहे तो अलग से विज्ञापन निकालकर भर्ती के शेष पद भर सकती है। इससे अभ्यर्थियों में उम्मीद जगी लेकिन, 24 अप्रैल 2018 को शासन ने यह भर्ती प्रक्रिया बंद कर दी। इससे अभ्यर्थी लगातार नियुक्ति की मांग कर रहे हैं। बीते 29 जून को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद यानी एनसीटीई ने भी बीएड को प्राथमिक स्कूलों में मान्य कर दिया है। अब समिति उनकी नियुक्ति पर विचार करेगी।