जागरण संवाददाता, आगरा: शासन के आदेश बाद परिषदीय स्कूलों में तैनात
करीब एक हजार पांच सौ शिक्षकों की जांच होगी। डीएम की अध्यक्षता वाली टीम
इन शिक्षकों के प्रमाण पत्रों का सत्यापन और मैरिट सूची से मिलान करेगी।
अंदेशा है कि फर्जी प्रमाण पत्रों के बल पर कुछ लोग शिक्षक बन गए हैं।
विभागीय कर्मचारियों का कहना है कि वे एसआइटी की जांच पर यकीन रखते हैं,
अन्य पर नहीं। हालांकि यहां पूर्व में विभागीय और प्रशासनिक जांच में कोई
फर्जीवाड़ा उजागर नहीं हुआ था। जिले में 2011, 2012, 2014, 2015, 2016 में
शिक्षक भर्ती हुई हैं। 2015 में गणित और विज्ञान के 580 शिक्षकों की भर्ती
हुई थी। 2016 में सौ शिक्षक सामान्य विषयों के, 100 उर्दू के भर्ती हुए थे।
जानकारों का कहना है कि 2010 से लेकर अब तक करीब एक हजार 500 शिक्षक भर्ती
हुए हैं। इसके अलावा अंतरजनपदीय तबादला प्रक्रिया के तहत भी सैकड़ों की
संख्या में शिक्षक यहां आए हैं। साथ ही यहां से तमाम शिक्षक अंतरजनपदीय
तबादला प्रक्रिया के माध्यम से अन्य जिलों में जा चुके हैं। शासन स्तर से
जांच का फरमान सुनाने से बेसिक शिक्षा विभाग के बाबुओं के हलक सूखे हुए
हैं। खासतौर से उनके जो 2010 से लेकर अब तक शिक्षक भर्ती के पटल बाबू बने
रहे हैं। उन्हें अंदेशा सता रहा है कि कहीं जांच में कलई न खुल जाए। इधर,
शिक्षक भर्ती की विभागीय और प्रशासनिक जांच पूर्व में हो चुकी है। लेकिन
किसी फर्जीवाड़ा का पर्दाफाश नहीं हुआ। विभागीय सूत्रों का कहना है कि अगर
जांच एसआइटी से कराई जाए तो सत्यता उजागर हो सकती है।
बीएसए आनंद प्रकाश शर्मा ने बताया कि अभी इस संबंध में डीएम ने मीटिंग
नहीं की है। मीटिंग के बाद ही जांच शुरू हो सकेगी। - जिले में 241 फर्जी
शिक्षक तो पहले से हैं। शासन द्वारा गठित कमेटी को जांच फर्जी शिक्षक
संख्या 242 से शुरू करनी होगी। क्योंकि 241 फर्जी शिक्षकों की सूची तो
विभाग के पास पहले से है। ये फर्जी शिक्षक एसआइटी की जांच रिपोर्ट के आधार
पर चिन्हित किए गए थे। हालांकि एसआइटी ने 541 की सूची सौंपी थी। विभागीय
सूत्रों का कहना है कि अन्य मामलों की गहराई से जांच नहीं की थी। जबकि
विभागीय कर्मचारियों का कहना है कि अन्य फर्जी अभ्यर्थी तबादला लेकर अन्य
जिले में चले गए हैं। इसलिए उनके प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं हो सका था।
- पूर्व में की गई जांचों का नहीं निकला निष्कर्ष
इलाहाबाद में तैनात एक विभागीय अधिकारी ने 2016 में शिक्षक भर्ती की
जांच की थी। उनकी जांच का कोई निष्कर्ष नहीं निकला था। 2017 में एडीएम भूमि
अध्याप्ति अधिकारी ने जांच शुरू की, लेकिन अभी तक इस जांच की रिपोर्ट नहीं
आई है।
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