नौकरी की उम्मीद में युवा से उम्रदराज हो चुके चयनितों की यह पीड़ा उप्र उच्च शिक्षा निदेशालय को महसूस नहीं हो रही है। निदेशालय की ओर से असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए विज्ञापन 37 के तहत काउंसिलिंग प्रक्रिया पूरी करने में जो ‘खेल’ चल रहा है उससे चयनित काफी आहत हैं।
अशासकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए उप्र उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग यानी यूपीएचईएससी ने विज्ञापन संख्या 37 में पंजीकृत अभ्यर्थियों का परिणाम मार्च 2018 में निकाला था, जबकि यह भर्ती 2003 में निकली थी। विभिन्न विषयों में 138 पदों के लिए परिणाम 20 से 23 मार्च के बीच जारी हुआ था। इसमें भी बड़ा खेल हुआ क्योंकि बैकलॉग के पदों के उठे विवाद के मामले में शीर्ष कोर्ट ने 371 पदों को बैकलॉग मानते हुए इतने ही पदों पर भर्ती का आदेश दिया था, जबकि पद न होने का बहाना बनाकर निदेशालय ने 138 पदों के लिए यूपीएचईएससी की ओर से साक्षात्कार प्रक्रिया पूरी करवाई। परिणाम जारी होने के बाद निदेशालय ने आठ और नौ सितंबर को 48 चयनितों की ही काउंसिलिंग करवाई। शेष चयनितों के बारे में कोई आदेश नहीं हुआ। जिन 48 लोगों की काउंसिलिंग के लिए निदेशालय ने कार्यक्रम जारी किया उनमें केवल 17 ही आ सके। शेष नदारद हैं। इनमें जो चयनित नहीं आ सके उनके लिए निदेशालय ने एक मौका देते हुए पुन: काउंसिलिंग की तारीख 14 नवंबर निर्धारित की है, जबकि शेष 90 चयनितों को यह तक नहीं बताया गया कि उनकी काउंसिलिंग का क्या होगा। नियुक्ति कब तक मिलेगी। नियुक्ति से वंचित चयनितों की मानें तो निदेशालय ने 138 की बजाए 48 लोगों की काउंसिलिंग निर्धारित करने में भी नियमों का उल्लंघन किया।
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