उ0प्र0 के लाखों शिक्षामित्र और उनके परिवारवालों की दर्द भरी वेदना

उ0प्र0 के लाखों शिक्षामित्र और उनके परिवारवालों की दर्द भरी वेदना
नफरतों के भवरजाल में केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकार ने उत्तरप्रदेश के उन लाखों शिक्षामित्रों के जीवन और भविष्य को ऐसे मोड़ पर ला खड़ा किया है जिसके आगे उन्हें घोर निराशा के सिवा कुछ भी नहीं दिखाई दे
रहा है ,जिन्होंने उम्र (40 से 55 वर्ष के ज्यादातर शिक्षामित्र)की तमाम दुश्वारियों को मात देते हुए नए प्रतियोगी छात्रों के सामने अपने आप को मजबूती से दो दो बार खड़ा किया फिर उस मोड़ पर सरकार और उनके कूटनीतिक अधिकारियों के शातिराना चाल और छल के द्वारा एक बार फिर शिक्षामित्रों को समाज मे अपमानित करने की गहरी साजिशें रच दीं।
केंद्र और राज्य सरकार की सत्ता बीजेपी के हाथ में होने के वावजूद आज उ0प्र0 के लाखों शिक्षामित्र अपनेआप को असहाय और कमजोर महसूस कर रहे हैं उन्हें समझ में नही आ रहा है कि किस पर भरोसा करें और कँहा जाएँ कि उन्हें न्याय मिले क्योंकि जो भी है सब के सब उनका मानसिक,शारीरिक और आर्थिक शोषण ही करने के चक्कर में हैं।
संघर्ष करना मानव का परम कर्तव्य है क्योंकि संघर्ष से आशा की किरणें प्रस्फुटित होती हैं, स्वामी दयानंद सरस्वती ने कहा है कि अन्याय करने वाले से ज्यादा कसूरवार अन्याय सहने वाला होता है, इसलिए लोकतांत्रिक व्यवस्था में आस्था रखने वालों को विधिक तरीके से संघर्ष का ऐसा सिलसिलेवार अभियान जारी रखना चाहिए ताकि अन्याय एक दिन अपनी गलती मानने के लिए मजबूर हो जाए ,वास्तव में देश में नहीं बल्कि दुनिया में शायद कोई व्यक्ति हो ,शायद कोई व्यवस्था हो जो खुद में पूर्ण हो, कौन ऐसा व्यक्ति है जिसकी हैसियत इतनी है कि वह खुद को परिपूर्ण बता दें, यदि शिक्षामित्र मामले में कहीं पर कुछ नगण्य विधिक त्रुटियां थी, तो उन्हें बड़ी संजीदगी के साथ सुधारा जा सकता था परंतु उन्हीं अत्यल्प त्रुटियों के सहारे शिक्षा मित्र बंधुओं के उदित होते भविष्य को बर्बाद करने का बहुत ही घिनौना साजिश रचा गया जो अति निंदनीय है ,
शरीर के किसी भाग में यदि फोड़ा हो जाता है तो लोग उस फोड़े का इलाज करते हैं,न कि शरीर को बर्बाद कर देते हैं,
लेकिन शिक्षामित्र मामले में त्रुटियों को सुधार करने की हिम्मत या योग्यता न दिखाकर संवेदनशील व्यवस्थाओं ने शिक्षामित्रों पर ही अयोग्यता का ठप्पा लगाया, हमें उन चेहरों को याद रखना चाहिए जिन्होंने झूठे वादे करके हमें गुमराह किया, हमारे भविष्य को साजिश के तहत बर्बाद किया,
पद में ,सत्ता में नशा होता है और जब कोई व्यक्ति ऐसे नशे से आक्रांत हो जाता है ,तो वह कल्याणकारी निर्णय लेने में सर्वथा अक्षमता का शिकार हो जाता है ,शायद ऐसा ही कुछ शिक्षामित्रों बंधुओं के मामले में दृष्टव्य हुआ ,परंतु संघर्ष जारी रहना चाहिए क्योंकि सत्य कभी मरता नहीं है, अतः हमें निर्मल जल की तरह सदैव प्रवाहमान रहना चाहिए ,और अब अन्याय के खिलाफ सुनियोजित ढंग से संगठित होकर एक बड़े स्तर का महाआंदोलन जो किसी भी हद तक गुजर जाने का माद्दा रखने वाले जाबांज शिक्षामित्र सिपाहियों की फौज होनी चाहिए।
15 जनवरी से 26 जनवरी का समय बर्बाद नही होने दिया जाएगा,इस बार प्रण कर ले सभी कि इस बार 26 जनवरी लखनऊ से लेकर दिल्ली तक की धरती पर पूरा उत्तरप्रदेश का एक एक शिक्षामित्र अपनी 18 वर्षो के अनुभव और अपने जवानी के 18 वर्षो का हिसाब लेने पहुंचना है ,अपने साथ हुए हर धोखे का और अपने 1000 साथियों के असमय मौत के जिम्मेदारों से उनका हिसाब लेने के लिए सबको 26 जनवरी को एकत्रित होकर एक बड़े जनसैलाब के साथ अपनी हक़ के लिए एक महत्वपूर्ण जंग लड़नी ही पड़ेगी अन्यथा अभी तो 1000 मरे हैं कल न जाने कितने और होंगे अगर हम सब यूँ ही कायर बने बैठे रहे तो।
महिला शिक्षामित्रों से अनुरोध है कि अब जग जाओ अब आपकी चंडिका वाले रूप की बहुत जरूरत है ,चूड़ियां उतार फेको अब और हमारे शिक्षामित्र बहन बेटियों के सिंदूर उतारने और न जाने कितने बच्चों को अनाथ बनाने वाले जिम्मेदार लोगों से दो दो हाथ करने का समय आ गया है अपने अपने हथियार अब तैयार रखना क्योंकि अब लड़ाई आर पार की ही होगी,राशन पानी की पूरी व्यवस्था के साथ अब आगे बढ़ा जाएगा क्योंकि अब धोखे की कोई गुंजाइश नहीं है ।
सभी शिक्षामित्र भाइयों से अपील की आप भी अब एक दूसरे के ऊपर कटाक्ष करने की आदत छोड़कर एक बार फिर संगठित होकर अपनी पुरानी एकता की ताकत दिखाइए और हमे बर्बाद करने वालों को एहसास करा दीजिए कि हम जरा उलझे जरूर हैं पर अभी जान बाकी है जरूरत पड़ने पर जान दे भी सकते है और अगर जरूरत पड़ी तो ले भी सकते है ।
अन्याय के विरुद्ध सतत संघर्षशील उ0प्र0 के लाखों शिक्षामित्र