उत्तर प्रदेश सहायक शिक्षक के 69 हजार पदों पर भर्ती मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष सुनवाई कल भी जारी रहेगी।
आज सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत चंद्रा ने प्रस्ताव रखा कि याचीगण क्वालिफाइंग मार्क्स से संतुष्ट नहीं हैं तो पदों से डेढ़ गुने अभ्यर्थियों की लिस्ट बनाई जा सकती है। अधिक प्राप्तांक पाने वाले ऊपर के डेढ़ लाख अभ्यर्थियों को शॉर्टलिस्ट करने का सरकार का मौखिक प्रस्ताव है। लेकिन याचीगणों ने नामंजूर कर दिया। कहा कि ऊपर के डेढ़ लाख में शिक्षामित्रों का नहीं चयन होगा। सरकार क्वालिफाइंग मार्क्स 40 और 45 प्रतिशत तय करे।
उत्तर प्रदेश में सहायक शिक्षकों के 69 हजार पदों पर भर्ती की परीक्षा के क्वालिफाइंग मार्क्स को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में चुनौती दी गई थी। दर्जनों याचियों की ओर से दाखिल अलग-अलग नौ याचिकाओं में सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 के क्वालिफाइंग मार्क्स को लेकर चुनौती दी गई थी।
इससे पहले कल की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने सरकार की ओर से पेश मुख्य स्थाई अधिवकता से पूछा था कि क्या सरकार 7 जनवरी के शासनादेश के बगैर परीक्षा परिणाम घोषित करने को तैयार है।
न्यायालय ने निर्देश प्राप्त कर उसी दिन जानकारी देने को कहा लेकिन अपर महाधिवक्ता व मुख्य स्थाई अधिवक्ता ने बताया कि सरकार से अभी तक उन्हें समुचित निर्देश नहीं मिले हैं और पूरी बात रखने के लिए दो दिन के समय की मांग की गई। जिसके बाद न्यायालय ने यथास्थिति अगली सुनवाई तक बनाए रखने के आदेश दे दिये। जिसके बाद वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत चंद्रा ने सरकार का पक्ष रखना शुरू किया।
आज सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत चंद्रा ने प्रस्ताव रखा कि याचीगण क्वालिफाइंग मार्क्स से संतुष्ट नहीं हैं तो पदों से डेढ़ गुने अभ्यर्थियों की लिस्ट बनाई जा सकती है। अधिक प्राप्तांक पाने वाले ऊपर के डेढ़ लाख अभ्यर्थियों को शॉर्टलिस्ट करने का सरकार का मौखिक प्रस्ताव है। लेकिन याचीगणों ने नामंजूर कर दिया। कहा कि ऊपर के डेढ़ लाख में शिक्षामित्रों का नहीं चयन होगा। सरकार क्वालिफाइंग मार्क्स 40 और 45 प्रतिशत तय करे।
उत्तर प्रदेश में सहायक शिक्षकों के 69 हजार पदों पर भर्ती की परीक्षा के क्वालिफाइंग मार्क्स को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में चुनौती दी गई थी। दर्जनों याचियों की ओर से दाखिल अलग-अलग नौ याचिकाओं में सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 के क्वालिफाइंग मार्क्स को लेकर चुनौती दी गई थी।
इससे पहले कल की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने सरकार की ओर से पेश मुख्य स्थाई अधिवकता से पूछा था कि क्या सरकार 7 जनवरी के शासनादेश के बगैर परीक्षा परिणाम घोषित करने को तैयार है।
न्यायालय ने निर्देश प्राप्त कर उसी दिन जानकारी देने को कहा लेकिन अपर महाधिवक्ता व मुख्य स्थाई अधिवक्ता ने बताया कि सरकार से अभी तक उन्हें समुचित निर्देश नहीं मिले हैं और पूरी बात रखने के लिए दो दिन के समय की मांग की गई। जिसके बाद न्यायालय ने यथास्थिति अगली सुनवाई तक बनाए रखने के आदेश दे दिये। जिसके बाद वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत चंद्रा ने सरकार का पक्ष रखना शुरू किया।