90/97 कटआॅफ के पक्ष में दिये गये सरकार के तर्कों से साफ होता है इसके निर्धारण में विधि की अनुलंघनीय तीन कसौटियों का उल्लंघन किया है-
1. Doctrine of Colourable Legislation- जिसके अनुसार अप्रत्यक्ष रूप से ऐसा कोई नियम नहीं बनाया जा सकता जिस पर प्रत्यक्ष नियम बनाने पर बंदिश हो। नियमावली में शिक्षा मित्रों के लिए भारांक का प्रावधान है, इस परीक्षा के लिए अब भारांक के प्रावधान में प्रत्यक्ष रूप से कोई संशोधन नहीं किया जा सकता, अतः इसे अप्रत्यक्ष रूप से अप्रभावी करने को कोई भी प्रयास अवैध होगा। सरकार द्वारा फाइल किये गये काउंटर से साफ है कि कटऑफ भारांक को निष्प्रभावी करने के उद्देश्य से लगाया गया है जो colurable rule/ legislation के दायरे में आता है, अतः पूरी तरह अवैध है।
2. Rule of non- arbitrariness (गैर-मनमानी का नियम)- विधि के संदर्भ में ये सिद्धांत ऐसे किसी नियम का प्रतिषेध करता है जो बिना किसी पर्याप्त आधार के सम्यक विचार विमर्श के बिना किसी की इच्छा मात्र पर आधारित हो। सरकार ने परीक्षा सम्पन्न होने के ठीक अगले दिन 90/ 97 कटऑफ तय होने की सूचना दी। इस पर पहला प्रश्न इस कटऑफ अंक को तय करने के लिये क्या विशेषज्ञों की कोई समिति गठित हुई थी, उत्तर है नहीं ये तो अधिकारियों मन(मर्जी) से हुआ। अब अगला सवाल 90/ 97 ही क्यों? अगर ज्यादा कटऑफ ही योग्यता का पैमाना था तो 110/ 100 क्यों नहीं? यदि कुछ सीमित पाठ्यक्रमों पर आधारित शिक्षक योग्यता परीक्षा (टेट) में कटऑफ 82/ 90 है तो शिक्षक भर्ती परीक्षा जिसका पाठ्यक्रम बहुत ही व्यापक है उसका कटऑफ उससे कम क्यों नहीं? पिछली भर्ती परीक्षा में पहले कटऑफ 60/ 67 करने के बाद सरकार उसे कम कर 45/ 49 कर दिया था तो इस बार इन्हीं में से कोई कटऑफ क्यों नहीं?
3. Malfide intention against Shikshamitras (शिक्षा मित्रों के प्रति दुर्भावना से ग्रस्त)- सरकार ने अपने काउंटर में स्पष्ट किया है कि यदि ऊंची कटऑफ नहीं होगी तो शिक्षा मित्र जिनका शैक्षिक प्रदर्शन बहुत ही बुरा रहा है, भारांक की मदद से बीएड/ बीटीसी के अच्छे शैक्षिक प्रदर्शन वाले अभ्यर्थियों से फाइनल मेरिट में बाजी मार ले जायेंगे, अतः उन्हें रोकने के लिये ऊंचा कटऑफ रहना आवश्यक है। नियमावली के अनुसार चयन हेतु मेरिट निर्धारण लिखित परीक्षा व शैक्षिक प्रदर्शन के साथ ही भारांक को जोड़ कर किया जाना है, परन्तु सरकार के तर्क प्रमाणित करते हैं कि कटऑफ लगाने का फैसला योग्यता सुनिश्चित करने का न होकर शिक्षा मित्रों के चयन को रोकना सुनिश्चित करना है।
सरकार द्वारा फाइल काउंटर का विश्लेषण पूर्व में किया गया था, जो न देख पाये हों उनके लिये फिर से प्रस्तुत है-
69000 शिक्षक भर्ती में सरकार की तरफ से फाइल काउंटर में कहा गया है शिक्षक भर्ती परीक्षा में कटऑफ लगाना नियमावली में परिवर्तन करना नहीं है, नियमावली में तय क्राइटेरिया उन उम्मीदवारों पर लागू होता है जो परीक्षा में सफल होंगे। कटआॅफ हटाने से 25 भारांक की मदद से मात्र 35% शैक्षिक मेरिट वाले शिक्षामित्र जो लिखित परीक्षा में 45% अंक पा जायेंगे वे ऐसे गैर-शिक्षामित्रों से आगे निकल जायेंगे जिन्होंने शैक्षिक व लिखित सभी स्तरों पर 67% अंक प्राप्त किया हैं। इस तरह से 45% कटआॅफ तय होने से गंभीर विसंगति व्याप्त हो जायेगी।
इनके तर्कों को देखकर लगता है कि वस्तुतः गंभीर विसंगति इनकी समझ में है क्योंकि-
1.नियमावली में परीक्षा का प्रावधान है, उसके नियम 2(X) में समय-समय पर निर्धारित किये जाने वाले क्वालिफाइंग अंक का भी मतलब बताया गया है, नियम 2(Y) में शिक्षक भर्ती परीक्षा की गाइडलाइन्स का अर्थ बताया गया है। वर्तमान भर्ती परीक्षा की गाइडलाइन्स शासनादेश संख्या 2056/68/-4-2018 दिनांक 1 दिसम्बर 2018 को जारी हुई। इस गाइडलाइन्स में परीक्षा से संबंधित छोटी से छोटी एक-एक चीज को स्पष्ट दिया गया है, यथा परीक्षा से 5 मिनट पूर्व अभ्यर्थी को टेस्ट बुकलेट की सील खोलने को कहा जाएगा; अभ्यर्थी रफकार्य कहाँ करेगा; कौन सा उत्तर पत्रक किस रंग के लिफाफे में रखकर सील किया जायेगा, कब उत्तरमाला वेबसाइट पर डाली जायेगी, उस पर कब आपत्ति की जा सकेगी आदि बहुत सारी बातें। इनमें से अधिकतर बातें बाते बाद में भी निर्दिष्ट की जाती तो भी कोई समस्या नहीं थी। जैसे रफकार्य का स्थान परीक्षा बुकलेट में भी बता सकते थे; परीक्षा के बाद उत्तरपत्रकों को सील करने के लिफाफे का रंग केंद्र व्यवस्थापकों को अलग से भी सूचित किया जा सकता था। ये गाइडलाइन्स नियमावली से स्वतंत्र नहीं है, जब इसमें छोटी से छोटी बात भी स्पष्ट की गयी है तो कटऑफ का जिक्र क्यों नहीं किया गया?
2. शिक्षा मित्रों को मिलने वाले 25 भारांक से गंभीर विसंगति की बात करके सरकार खुद ही स्पष्ट कर रही है कि वो नियमावली के प्रावधान को गलत मान रही है। भारांक जिसकी संस्तुति सर्वोच्च न्यायालय ने की थी और सरकार ने उसका अंकीय मान निर्धारित किया था, सरकार का काउंटर इन सबके खिलाफ है।
3. सरकार ने शिक्षा मित्रों के शैक्षिक अंकों के 35% मानकर और गैर शिक्षा-मित्रों के शैक्षिक अंकों को 67% मानकर तुलना की है। सरकार के पास सभी अभ्यर्थियों के शैक्षिक प्रदर्शन का रिकार्ड है, क्या वो एक भी शिक्षा मित्र अभ्यर्थी का वास्तव में उदाहरण दे सकती है जिसके शैक्षिक अंक 35% तो छोड़िये मात्र 50% यानि शैक्षिक गुणांक 20 या उससे कम हो। वहीं गैर शिक्षा मित्रों के संदर्भ में शैक्षिक प्रदर्शन के 67% के उदाहरण से तुलना की है यानि शैक्षिक गुणांक 26.7, सरकार बताये कि कितने % बीएड व बीटीसी के शैक्षिक गुणांक 26.7% या उससे अधिक है। सरकार के काउंटर में इस उदाहरण से एकदम साफ है कि वो शिक्षामित्रों के प्रति दुर्भावना से ग्रस्त हो 65% कटआॅफ लगायी है और उसे डिफेंड करने के लिये काल्पनिक उदाहरण द्वारा न्यायालय को गुमराह करने पर भी उतर आयी है।
2. शिक्षा मित्रों को मिलने वाले 25 भारांक से गंभीर विसंगति की बात करके सरकार खुद ही स्पष्ट कर रही है कि वो नियमावली के प्रावधान को गलत मान रही है। भारांक जिसकी संस्तुति सर्वोच्च न्यायालय ने की थी और सरकार ने उसका अंकीय मान निर्धारित किया था, सरकार का काउंटर इन सबके खिलाफ है।
3. सरकार ने शिक्षा मित्रों के शैक्षिक अंकों के 35% मानकर और गैर शिक्षा-मित्रों के शैक्षिक अंकों को 67% मानकर तुलना की है। सरकार के पास सभी अभ्यर्थियों के शैक्षिक प्रदर्शन का रिकार्ड है, क्या वो एक भी शिक्षा मित्र अभ्यर्थी का वास्तव में उदाहरण दे सकती है जिसके शैक्षिक अंक 35% तो छोड़िये मात्र 50% यानि शैक्षिक गुणांक 20 या उससे कम हो। वहीं गैर शिक्षा मित्रों के संदर्भ में शैक्षिक प्रदर्शन के 67% के उदाहरण से तुलना की है यानि शैक्षिक गुणांक 26.7, सरकार बताये कि कितने % बीएड व बीटीसी के शैक्षिक गुणांक 26.7% या उससे अधिक है। सरकार के काउंटर में इस उदाहरण से एकदम साफ है कि वो शिक्षामित्रों के प्रति दुर्भावना से ग्रस्त हो 65% कटआॅफ लगायी है और उसे डिफेंड करने के लिये काल्पनिक उदाहरण द्वारा न्यायालय को गुमराह करने पर भी उतर आयी है।