प्रदेश में योगी सरकार की 68500 शिक्षक भर्ती 2018 हाल ही सितंबर माह में पूरी हुई थी जिसमे गलत जिला आवंटन पर कई बार आवाजें उठी थीं।
जिस पर कुछ याचियों ने कोर्ट का सहारा लिया था हालांकि वो लोग नौकरी कर रहे हैं।कुछ दिन पहले इस हाइकोर्ट ने केस का फैसला रिजर्व कर लिया था जिसके आगामी सप्ताह में आने के आसार हैं । फैसले में क्या होगा यह तो वक़्त बतायेगा मगर अटकलें लगी हुई हैं की याची लाभ मिल सकता है।
उत्तर प्रदेश सरकार के बेसिक शिक्षा विभाग के अपर सचिव प्रभात कुमार के अनुसार जो फैसला माननीय कोर्ट से आयगा वो अगर जायज हुआ तो लागू किया जायेगा अन्यथा आगे की कोर्ट की शरण ली जायेगी।
उनके अनुसार प्रशक्षुओं ने कॉउंसलिंग के समय कानूनी रूप से जुडिशयल हलफनामा दिया है की उन्हें मिले हुए जिले से कोई परेशानी नही है इसी वजह से सरकार ज्यादा इस पर विचार करने की स्थिति में नही है ।
उनके अनुसार प्रशक्षुओं ने कॉउंसलिंग के समय कानूनी रूप से जुडिशयल हलफनामा दिया है की उन्हें मिले हुए जिले से कोई परेशानी नही है इसी वजह से सरकार ज्यादा इस पर विचार करने की स्थिति में नही है ।
अपर सचिव प्रभात कुमार के अनुसार पुनर्मूल्यांकन में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों (4700) को नियुक्ति देने की कवायद शुरू कर दी गई है और भविष्य में अगर 68500 के सापेक्ष पुनः जिला आवंटन करना पड़ा तो मई तक लोकसभा चुनाव होने के कारण जून में ही यह सम्भव हो सकेगा।
यंहा ध्यान देने वाली बात यह है कि 68500 शिक्षक भर्ती 2018 में जिला आवंटन का मुद्दा काफी गर्म रहा था। सचिव के अनुसार अगर प्रक्रिया शुरू से करनी भी पड़ी तो सभी अभ्यर्थियों की नई नियुक्ति मानी जायेगी और उसके एवज में अब तक किये गए कार्य का पारश्रमिक नही मिलेगा और नए सिरे से प्रक्रिया प्रारंभ होगी ।
हालांकि यह सब कब होगा यह तो चुनाव बाद ही ज्ञात होगा। मगर यह तो तय है कि 68500 के सापेक्ष अगर भर्ती हुई तो सबसे अधिक हर्जाना उन अभ्यर्थियों को भरना पड़ेगा जो छह माह बिना वेतन कार्य कर रहे हैं और दूसरी तरफ वो *सामान्य वर्ग के कम गुणांक से सम्बन्ध रखते हैं जिसमे लगभग सात हजार अभ्यर्थियों के फंसने की संभावना जताई जा रही है।*
यंहा ध्यान देने वाली बात यह है कि 68500 शिक्षक भर्ती 2018 में जिला आवंटन का मुद्दा काफी गर्म रहा था। सचिव के अनुसार अगर प्रक्रिया शुरू से करनी भी पड़ी तो सभी अभ्यर्थियों की नई नियुक्ति मानी जायेगी और उसके एवज में अब तक किये गए कार्य का पारश्रमिक नही मिलेगा और नए सिरे से प्रक्रिया प्रारंभ होगी ।
हालांकि यह सब कब होगा यह तो चुनाव बाद ही ज्ञात होगा। मगर यह तो तय है कि 68500 के सापेक्ष अगर भर्ती हुई तो सबसे अधिक हर्जाना उन अभ्यर्थियों को भरना पड़ेगा जो छह माह बिना वेतन कार्य कर रहे हैं और दूसरी तरफ वो *सामान्य वर्ग के कम गुणांक से सम्बन्ध रखते हैं जिसमे लगभग सात हजार अभ्यर्थियों के फंसने की संभावना जताई जा रही है।*
दैनिक जागरण
23/02/2019
23/02/2019