दिल्ली सरकार ने सरकारी स्कूलों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। सरकारी स्कूलों में कार्यरत अतिथि शिक्षक अब स्थायी शिक्षकों के समान 60 वर्ष तक काम कर सेवानिवृत्त होंगे। बुधवार को दिल्ली कैबिनेट ने इससे संबंधी प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। इसका लाभ सभी अतिथि व अनुबंध शिक्षकों को प्राप्त होगा। इन्हें महंगाई भत्ता प्रत्येक जनवरी और जुलाई में मिलेगा।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इसे लेकर बुधवार को कैबिनेट की इमरजेंसी बैठक बुलाई थी। कैबिनेट मेें प्रस्ताव पास किए जाने के बाद उपमुख्यमंत्री ने प्रेसवार्ता में जानकारी दी कि कैबिनेट की बैठक में पॉलिसी पास की गई है। इस तरह से अतिथि शिक्षक स्थायी शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु तक कार्य करेंगे। इन शिक्षकों पर स्थायी शिक्षकों वाले कंडक्ट रुल्स(आचरण संबंधी) लागू होंगे। उन्होंने कहा कि अब वह इस प्रस्ताव को लेकर उपराज्यपाल के पास जाएंगे। मालूम हो कि इस प्रकार की पॉलिसी हरियाणा में लागू हो चुकी है।
सिसोदिया ने कहा कि हमारी सरकारबनने से पहले हर साल अतिथि शिक्षकों को नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था। हमने हर साल की भर्ती प्रक्रिया को समाप्त कर दिया। अभी जो अतिथि शिक्षक काम कर रहे हैं, उनकी सेवा को जारी रखा है। अतिथि शिक्षकों के वेतन को भी दुगुना किया गया है। अब 22 हजार अतिथि शिक्षकों का कार्यकाल समाप्त हो गया। उन्होंने सवाल किया अब स्कूल कैसे चलेंगे। स्कूलों में परीक्षा चल रही है और रिजल्ट तैयार हो रहे हैं। ऐसे में यह सब कौन करेगा।
एक अप्रैल से नया सत्र शुरु हो जाएगा
सिसोदिया ने कहा कि कई अतिथि शिक्षकों ने सीटीईटी पास नहीं किया। हमने एलजी से आग्रह करने इन मुद्दों को सुलझाया है। इस बीच सेवा विभाग का मामला आ गया। यानी शिक्षकों की नियुक्ति, शिक्षक को रखना या हटाना व किस स्कूल में कितने शिक्षक होंगे यह सेवा विभाग का विषय है। चुनी हुई सरकार स्कूल बनाएगी, स्कूल चलाएगी, लेकिन कितने शिक्षक होंगे यह केन्द्र सरकार तय करेगी।
हम दो साल से कह रहे हैं कि अतिथि शिक्षकों को नियमित कीजिए, उनके अनुभव के आधार पर ग्रेस दीजिए। दिल्ली विधानसभा में अतिथि शिक्षक को नियमित करने का बिल भी पास किया था। उसको भी नहीं माना। यह शिक्षा व्यवस्था को खराब करने की साजिश है। अब एक अप्रैल से नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो रहा है। बिना शिक्षक कैसे पढ़ाई होगी।
अतिथि शिक्षकों का प्रदर्शन जारी
कैबिनेट में प्रस्ताव पास हो जाने के बाद भी अतिथि शिक्षकों का प्रदर्शन देर शाम तक जारी रहा। पॉलिसी पास करने पर शिक्षकों ने सरकार का धन्यवाद दिया, लेकिन कहा कि जब तक लिखित में पॉलिसी को नहीं पढ़ेंगे, तब तक धरना जारी रहेगा। ऑल इंडिया गेस्ट टीचर्स एसोसिएशन सदस्य शोएब राणा ने कहा कि अब तक पॉलिसी पास करने की लिखित कॉपी नहीं मिली है। इस संबंध में बताने के लिए प्रतिनिधिमंडल को भी नहीं बुलाया गया। पॉलिसी में क्या शामिल किया गया है और क्या नहीं, इसकी जानकारी नहीं है। पॉलिसी को पढ़ने के बाद ही धरना समाप्त करने के विषय में कहा जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता लागू हो सकती है, लिहाजा तब तक प्रदर्शन कर दबाव बनाएंगेे। वरना उनका भविष्य फिर अधर में लटक जाएगा। इससे पहले सुबह अतिथि शिक्षकों को तितर-बितर किया गया। उन्हें बसों में बैठा कर दूसरी जगह ले जाया गया, लेकिन संख्या काफी होने के कारण काफी शिक्षकों का धरना जारी रहा।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इसे लेकर बुधवार को कैबिनेट की इमरजेंसी बैठक बुलाई थी। कैबिनेट मेें प्रस्ताव पास किए जाने के बाद उपमुख्यमंत्री ने प्रेसवार्ता में जानकारी दी कि कैबिनेट की बैठक में पॉलिसी पास की गई है। इस तरह से अतिथि शिक्षक स्थायी शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु तक कार्य करेंगे। इन शिक्षकों पर स्थायी शिक्षकों वाले कंडक्ट रुल्स(आचरण संबंधी) लागू होंगे। उन्होंने कहा कि अब वह इस प्रस्ताव को लेकर उपराज्यपाल के पास जाएंगे। मालूम हो कि इस प्रकार की पॉलिसी हरियाणा में लागू हो चुकी है।
- 64 हजार शिक्षकों के पद हैं सरकारी स्कूलों में।
- 58 हजार शिक्षक काम कर रहे हैं।
- इनमें अतिथि व नियमित दोनों है।
- 22 हजार अतिथि शिक्षकों की संख्या हैं।
- समय समय पर इनकी नियुक्ति मेरिट के आधार पर हुई है।
सिसोदिया ने कहा कि हमारी सरकारबनने से पहले हर साल अतिथि शिक्षकों को नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था। हमने हर साल की भर्ती प्रक्रिया को समाप्त कर दिया। अभी जो अतिथि शिक्षक काम कर रहे हैं, उनकी सेवा को जारी रखा है। अतिथि शिक्षकों के वेतन को भी दुगुना किया गया है। अब 22 हजार अतिथि शिक्षकों का कार्यकाल समाप्त हो गया। उन्होंने सवाल किया अब स्कूल कैसे चलेंगे। स्कूलों में परीक्षा चल रही है और रिजल्ट तैयार हो रहे हैं। ऐसे में यह सब कौन करेगा।
एक अप्रैल से नया सत्र शुरु हो जाएगा
सिसोदिया ने कहा कि कई अतिथि शिक्षकों ने सीटीईटी पास नहीं किया। हमने एलजी से आग्रह करने इन मुद्दों को सुलझाया है। इस बीच सेवा विभाग का मामला आ गया। यानी शिक्षकों की नियुक्ति, शिक्षक को रखना या हटाना व किस स्कूल में कितने शिक्षक होंगे यह सेवा विभाग का विषय है। चुनी हुई सरकार स्कूल बनाएगी, स्कूल चलाएगी, लेकिन कितने शिक्षक होंगे यह केन्द्र सरकार तय करेगी।
हम दो साल से कह रहे हैं कि अतिथि शिक्षकों को नियमित कीजिए, उनके अनुभव के आधार पर ग्रेस दीजिए। दिल्ली विधानसभा में अतिथि शिक्षक को नियमित करने का बिल भी पास किया था। उसको भी नहीं माना। यह शिक्षा व्यवस्था को खराब करने की साजिश है। अब एक अप्रैल से नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो रहा है। बिना शिक्षक कैसे पढ़ाई होगी।
अतिथि शिक्षकों का प्रदर्शन जारी
कैबिनेट में प्रस्ताव पास हो जाने के बाद भी अतिथि शिक्षकों का प्रदर्शन देर शाम तक जारी रहा। पॉलिसी पास करने पर शिक्षकों ने सरकार का धन्यवाद दिया, लेकिन कहा कि जब तक लिखित में पॉलिसी को नहीं पढ़ेंगे, तब तक धरना जारी रहेगा। ऑल इंडिया गेस्ट टीचर्स एसोसिएशन सदस्य शोएब राणा ने कहा कि अब तक पॉलिसी पास करने की लिखित कॉपी नहीं मिली है। इस संबंध में बताने के लिए प्रतिनिधिमंडल को भी नहीं बुलाया गया। पॉलिसी में क्या शामिल किया गया है और क्या नहीं, इसकी जानकारी नहीं है। पॉलिसी को पढ़ने के बाद ही धरना समाप्त करने के विषय में कहा जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता लागू हो सकती है, लिहाजा तब तक प्रदर्शन कर दबाव बनाएंगेे। वरना उनका भविष्य फिर अधर में लटक जाएगा। इससे पहले सुबह अतिथि शिक्षकों को तितर-बितर किया गया। उन्हें बसों में बैठा कर दूसरी जगह ले जाया गया, लेकिन संख्या काफी होने के कारण काफी शिक्षकों का धरना जारी रहा।