संसू, प्रतापगढ़ : जिले के परिषदीय स्कूलों में 68 हजार 500 शिक्षक
भर्ती में चयनित 624 शिक्षकों की होली फीकी रहेगी। इन शिक्षकों को नियुक्ति
के छह माह बाद भी वेतन नहीं मिल सका है। जबकि होली में दो दिन ही शेष हैं।
सचिव बेसिक शिक्षा रूबी सिंह ने इन सभी शिक्षकों का ऑनलाइन सत्यापन कराकर
फरवरी माह में ही वेतन निर्गत करने का आदेश दिया था।
वेतन न मिलने से अधिकांश शिक्षक भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं। इसे लेकर बीते माह शिक्षकों ने डीएम आवास पर धरना प्रदर्शन कर वेतन दिलाने की मांग भी की थी। नवनियुक्त शिक्षकों में अधिकांश शिक्षक गैर जनपद से आकर शिक्षण कार्य कर रहे हैं। करीब छह महीना बीतने को है, लेकिन शिक्षकों को वेतन अब तक नहीं मिल सका है। ऐसे में उनका किराये पर कमरा लेकर स्कूल आना जाना मुश्किल हो गया है। शिक्षक व उनके परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। कुछ शिक्षकों ने बताया कि कन्नौज, कुशीनगर, श्रावस्ती, बदायूं, पीलीभीत, कानपुर देहात, फर्रुखाबाद, गोरखपुर व अमेठी में नवनियुक्त शिक्षकों को वेतन मिल चुका है। सचिव बेसिक शिक्षा के आदेश के बाद बीएसए ने तीन बार में 407 शिक्षकों का आनलाइन सत्यापन कराकर फरवरी माह का वेतन निर्गत करने का आदेश दिया था। इनमें से पहली सूची 276 शिक्षकों की 18 फरवरी को जारी हुई। इसके बाद 66 शिक्षकों की सूची 28 फरवरी को तथा 65 शिक्षकों की सूची 18 मार्च को जारी की गई। इस संबंध में लेखाधिकारी बेसिक शिक्षा रमेश सिंह ने बताया कि बीएसए द्वारा सूची जारी करने के बाद खंड शिक्षा अधिकारियों से शिक्षकों के आवश्यक कागजात मांगे गए थे। अभी तक सभी के कागजात नहीं मिल सके हैं इस कारण वेतन निर्गत करने में विलंब हो रहा है।
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इनसेट--
68 हजार 500 की नियुक्ति के 400 से अधिक शिक्षकों का आनलाइन सत्यापन काराकर सूची जारी कर दी गई है, जल्द ही उन्हें वेतन मिलेगा।
-अशोक कुमार सिंह, बीएसए
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नहीं मिला मानदेय, पड़ा रंग में भंग
-ठेकेदार, अफसर की मनमानी से भुखमरी की कगार पर मजदूर
-मानदेय के भुगतान किए जाने का टीडीएम कर रहे दावा
संसू, प्रतापगढ़ : दूरसंचार निगम के अफसरों व ठेकेदारों की मनमानी से मजदूरों की होली फीकी रहेगी। मानदेय को लेकर मजदूरों ने कई बार अफसरों व ठेकेदार के यहां चक्कर लगाए, लेकिन सफलता हासिल नहीं हुई। उन्होंने इसकी शिकायत जिला प्रबंधक दूरसंचार से की है।
टेलीकॉम कैजुअल एंड कांट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन के परिमंडल सचिव जीतलाल मौर्य का आरोप है कि जनपद के उपखंड चिलबिला, सदर, पट्टी, लालगंज, कुंडा समेत उपखंड को मिलाकर कुल 105 मजदूर काम करते हैं। अफसरों व ठेकेदारों की मिलीभगत से मजदूरों का मानदेय नहीं मिल सका। ईपीएफ व ईएसआइ की कटौती के नाम पर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। ड्यूटी के दौरान एक श्रमिक की मौत हो गई, लेकिन उसके मानदेय के बकाए का भुगतान अब तक नहीं किया गया। सबसे खास बात यह है कि निगम के एक अफसर के मुताबिक मानदेय का पैसे का भुगतान चार माह पहले ही एसडीओ को कर दिया गया था। अब ठेकेदार ने मजदूरों को भुगतान क्यों नहीं किया। यह उनके गले के नीचे नहीं उतर रहा है। टीडीएम एके सिंह ने बताया कि मैने चार्ज लेने के कुछ ही दिन बाद मजदूरों के मानदेय का भुगतान कर दिया था। मजदूरों को अब पैसा क्यों नहीं दिया गया। वह इसकी जांच कराएंगे।
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जलनिगम के आपरेटरों को भी नहीं मिली फूटी कौड़ी
संसू, प्रतापगढ़ : जलनिगम से संचालित एकल समूह की पेयजल टंकियों के लगभग 100 आपरेटरों को पिछले कई माह से फूटी कौड़ी नहीं मिल सकी है। इससे इनकी भी होली फीकी रहेगी। इन सभी का पूरा परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गया है। संग्रामगढ़ के नरई पेयजल टंकी के आपरेटर धीरेंद्र कुमार मिश्र ने बताया कि जलनिगम के अधिशासी अभियंता ने बुधवार को होली के पूर्व मानदेय देने की बात कही थी लेकिन उनका फोन नहीं उठ रहा है। इस संबंध में जलनिगम के अधिशासी अभियंता से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया लेकिन उनका फोन नहीं उठा।
वेतन न मिलने से अधिकांश शिक्षक भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं। इसे लेकर बीते माह शिक्षकों ने डीएम आवास पर धरना प्रदर्शन कर वेतन दिलाने की मांग भी की थी। नवनियुक्त शिक्षकों में अधिकांश शिक्षक गैर जनपद से आकर शिक्षण कार्य कर रहे हैं। करीब छह महीना बीतने को है, लेकिन शिक्षकों को वेतन अब तक नहीं मिल सका है। ऐसे में उनका किराये पर कमरा लेकर स्कूल आना जाना मुश्किल हो गया है। शिक्षक व उनके परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। कुछ शिक्षकों ने बताया कि कन्नौज, कुशीनगर, श्रावस्ती, बदायूं, पीलीभीत, कानपुर देहात, फर्रुखाबाद, गोरखपुर व अमेठी में नवनियुक्त शिक्षकों को वेतन मिल चुका है। सचिव बेसिक शिक्षा के आदेश के बाद बीएसए ने तीन बार में 407 शिक्षकों का आनलाइन सत्यापन कराकर फरवरी माह का वेतन निर्गत करने का आदेश दिया था। इनमें से पहली सूची 276 शिक्षकों की 18 फरवरी को जारी हुई। इसके बाद 66 शिक्षकों की सूची 28 फरवरी को तथा 65 शिक्षकों की सूची 18 मार्च को जारी की गई। इस संबंध में लेखाधिकारी बेसिक शिक्षा रमेश सिंह ने बताया कि बीएसए द्वारा सूची जारी करने के बाद खंड शिक्षा अधिकारियों से शिक्षकों के आवश्यक कागजात मांगे गए थे। अभी तक सभी के कागजात नहीं मिल सके हैं इस कारण वेतन निर्गत करने में विलंब हो रहा है।
इनसेट--
68 हजार 500 की नियुक्ति के 400 से अधिक शिक्षकों का आनलाइन सत्यापन काराकर सूची जारी कर दी गई है, जल्द ही उन्हें वेतन मिलेगा।
-अशोक कुमार सिंह, बीएसए
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नहीं मिला मानदेय, पड़ा रंग में भंग
-ठेकेदार, अफसर की मनमानी से भुखमरी की कगार पर मजदूर
-मानदेय के भुगतान किए जाने का टीडीएम कर रहे दावा
संसू, प्रतापगढ़ : दूरसंचार निगम के अफसरों व ठेकेदारों की मनमानी से मजदूरों की होली फीकी रहेगी। मानदेय को लेकर मजदूरों ने कई बार अफसरों व ठेकेदार के यहां चक्कर लगाए, लेकिन सफलता हासिल नहीं हुई। उन्होंने इसकी शिकायत जिला प्रबंधक दूरसंचार से की है।
टेलीकॉम कैजुअल एंड कांट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन के परिमंडल सचिव जीतलाल मौर्य का आरोप है कि जनपद के उपखंड चिलबिला, सदर, पट्टी, लालगंज, कुंडा समेत उपखंड को मिलाकर कुल 105 मजदूर काम करते हैं। अफसरों व ठेकेदारों की मिलीभगत से मजदूरों का मानदेय नहीं मिल सका। ईपीएफ व ईएसआइ की कटौती के नाम पर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। ड्यूटी के दौरान एक श्रमिक की मौत हो गई, लेकिन उसके मानदेय के बकाए का भुगतान अब तक नहीं किया गया। सबसे खास बात यह है कि निगम के एक अफसर के मुताबिक मानदेय का पैसे का भुगतान चार माह पहले ही एसडीओ को कर दिया गया था। अब ठेकेदार ने मजदूरों को भुगतान क्यों नहीं किया। यह उनके गले के नीचे नहीं उतर रहा है। टीडीएम एके सिंह ने बताया कि मैने चार्ज लेने के कुछ ही दिन बाद मजदूरों के मानदेय का भुगतान कर दिया था। मजदूरों को अब पैसा क्यों नहीं दिया गया। वह इसकी जांच कराएंगे।
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जलनिगम के आपरेटरों को भी नहीं मिली फूटी कौड़ी
संसू, प्रतापगढ़ : जलनिगम से संचालित एकल समूह की पेयजल टंकियों के लगभग 100 आपरेटरों को पिछले कई माह से फूटी कौड़ी नहीं मिल सकी है। इससे इनकी भी होली फीकी रहेगी। इन सभी का पूरा परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गया है। संग्रामगढ़ के नरई पेयजल टंकी के आपरेटर धीरेंद्र कुमार मिश्र ने बताया कि जलनिगम के अधिशासी अभियंता ने बुधवार को होली के पूर्व मानदेय देने की बात कही थी लेकिन उनका फोन नहीं उठ रहा है। इस संबंध में जलनिगम के अधिशासी अभियंता से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया लेकिन उनका फोन नहीं उठा।