प्रयागराज। इलाहाबाद हईकोर्ट ने कहा है कि
सभी महिला कर्मचारियों को 180 दिन की
मातृत्व अवकाश प्राप्त करने का बैधानिक
अधिकार है ।
चाहे वह स्थायी, अस्थायी,
तदर्थ, संविदा या किसी भी अन्य रूप में
कर्मचारी हों मातृत्व अवकाश पाने का सभी को
समान अधिकार है । सरकार किसी के साथ
भेदभाव नहीं कर सकती ।
यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने अंशू
रानी अनुदेशक पूर्व माध्यमिक विद्यालय
गवाली बिजनौर की याचिका को स्वीकार करते
हुए दिया हैं । कोर्ट ने बीएसए को आदेश दिया
कि वह याची को छह माह का मातृत्व
अवकाश स्वीकृत करें। बीएसए ने याची को
सिर्फ 90 दिन का ही मातृत्व अवकाश स्वीकृत
किया था। कोर्ट ने कहा है कि याची को
अवकाश के दौरान का पूरा मानदेय दिया जाए
। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला
देते हुए कहा है कि सरकारी स्थायी महिला
कर्मी को 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे की
देखभाल करने के लिए 730 दिन की छुट्टी
पाने का भी अधिकार है ।
कोर्ट ने कहा है कि भारतीय संविधान सभी
को समान अधिकार देता है ।और जाति धर्म
लिंग आदि के आधार पर विभेद करने पर रोक
लगाता है, केंद्र सरकार ने कानून बनाया है।
ऐसे में सरकार मनमानी नहीं कर सकती।
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सभी महिला कर्मचारियों को 180 दिन की
मातृत्व अवकाश प्राप्त करने का बैधानिक
अधिकार है ।
चाहे वह स्थायी, अस्थायी,
तदर्थ, संविदा या किसी भी अन्य रूप में
कर्मचारी हों मातृत्व अवकाश पाने का सभी को
समान अधिकार है । सरकार किसी के साथ
भेदभाव नहीं कर सकती ।
यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने अंशू
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गवाली बिजनौर की याचिका को स्वीकार करते
हुए दिया हैं । कोर्ट ने बीएसए को आदेश दिया
कि वह याची को छह माह का मातृत्व
अवकाश स्वीकृत करें। बीएसए ने याची को
सिर्फ 90 दिन का ही मातृत्व अवकाश स्वीकृत
किया था। कोर्ट ने कहा है कि याची को
अवकाश के दौरान का पूरा मानदेय दिया जाए
। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला
देते हुए कहा है कि सरकारी स्थायी महिला
कर्मी को 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे की
देखभाल करने के लिए 730 दिन की छुट्टी
पाने का भी अधिकार है ।
कोर्ट ने कहा है कि भारतीय संविधान सभी
को समान अधिकार देता है ।और जाति धर्म
लिंग आदि के आधार पर विभेद करने पर रोक
लगाता है, केंद्र सरकार ने कानून बनाया है।
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