सरकारी कर्मियों के मामले में हाईकोर्ट की पूर्णपीठ का अहम फैसला, न्यायिक प्रकरण लंबित तो सरकारी कर्मी ग्रेच्युटी पाने के हकदार नहीं

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट के तीन जजों की पीठ ने एक अहम आदेश में कहा है कि सरकारी कर्मचारी के खिलाफ न्यायिक या विभागीय प्रक्रिया लंबित रहने के दौरान वह ग्रेच्युटी पाने का हकदार नहीं है।
इस प्रश्न को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की ही दो खंडपीठों के फैसलों में मतभिन्नता थी, जिसकी वजह से एकल न्यायपीठ ने इस मामले में दाखिल कई याचिकाओं की सुनवाई करते हुए प्रकरण तीन जजों की पूर्णपीठ को संदर्भित कर दिया। शिव गोपाल व अन्य कई याचिकाओं पर न्यायमूर्ति पंकज मित्तल, न्यायमूर्ति सुनीत कुमार और न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने सुनवाई की। याचीगण के खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया लंबित रहने के कारण रिटायरमेंट के बाद उनकी पेंशन और ग्रेच्युटी रोक दी गई थी, इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गईं।
एकल न्यायपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान पता चला कि ऐसे मामलों में ग्रेच्युटी के भुगतान को लेकर दो खंडपीठों के अलग-अलग निर्णय हैं। जय प्रकाश केस और फेनी सिंह केस में ग्रेच्युटी नहीं दिए जाने और ग्रेच्युटी दिए जाने को लेकर निर्णय दिए गए हैं। इसके मद्देनजर एकलपीठ ने मामला पूर्णपीठ को सुनवाई के लिए संदर्भित कर दिया। पूर्णपीठ ने इस विधिक प्रश्न पर विचार करते हुए कहा कि मामले में यूपी सिविल सर्विसेज (दसवां संशोधन) का रेग्युलेशन 919 (ए) महत्वपूर्ण है। रेग्युलेशन के मुताबिक सरकारी कर्मचारी के खिलाफ न्यायिक या विभागीय प्रक्रिया या प्रशासनिक अधिकरण के समक्ष किसी जांच के लंबित रहते उसे डेथ कम रिटायरमेंट ग्रेच्युटी नहीं दी जा सकती है।

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