68500 शिक्षक भर्ती में 6127 शिक्षकों का बदलेगा जिला आवंटन, हाईकोर्ट के आदेश से प्रदेश के जिले होंगे प्रभावित, दूसरी सूची में चयनितों पर तलवार:- जानिए गड़बड़ी कहां और कैसे हुई

बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों का समायोजन हुआ है। सभी जिलों में छात्र संख्या के अनुरूप शिक्षकों की नियुक्ति हो पाई है। अब फिर शिक्षक इधर से उधर होंगे।
इसमें दो माह चली प्रक्रिया पर पानी फिरना तय है। परिषद मुख्यालय का अनुमान है कि 68500 शिक्षक भर्ती में चयनित 6127 शिक्षकों का जिला आवंटन बदलेगा। इतना ही नहीं भर्ती की दूसरी सूची में इतने ही शिक्षक मनचाहे जिलों में तैनात हुए थे, अब उन पर भी तलवार लटक गई है, उन्हें दूसरे जिलों में भी जाना पड़ सकता है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवार को 68500 सहायक अध्यापक भर्ती के जिला आवंटन से संबंधित फैसला सुनाया है। यह लंबे समय से सुरक्षित था। इसमें कहा गया है कि एमआरसी (मेरिट में चुने गए आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी) को वरीयता वाले जिलों में तैनाती मिलेगी। इस आदेश पर अमल जल्द शुरू होगा, क्योंकि तीन माह में ऐसे अभ्यर्थियों से अर्जी लेकर नए शैक्षिक सत्र से पहले उन्हें वरीयता वाले जिलों में नियुक्ति दी जानी है। कोर्ट के आदेश से सभी जिलों में नवनियुक्त शिक्षक प्रभावित होंगे।

एमआरसी में 6127 शिक्षक ही क्यों?

शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में 1,25,746 अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया, उसमें से 1,07873 अभ्यर्थी इम्तिहान में शामिल हुए। उनमें महज 41,556 सफल हुए, जबकि 66,356 असफल करार दिए गए। परिषद मुख्यालय ने नियुक्ति के लिए अर्ह 34,660 की पहली सूची जारी की, जबकि 6127 अभ्यर्थी बाहर कर दिए गए थे, इनमें से अधिकांश सामान्य व कुछ ओबीसी थे।

हाईकोर्ट के आदेश से प्रदेश के जिले होंगे प्रभावित, दूसरी सूची में चयनितों पर तलवार

गड़बड़ी कहां और कैसे हुई

परिषद ने कुल भर्ती की सीटों 68500 की जगह सफल अभ्यर्थियों को आधार बनाकर नियुक्ति सूची जारी की। परीक्षा में सामान्य वर्ग के 15772, ओबीसी के 19168, एससी के 6493 व एसटी के 123 अभ्यर्थी सफल हुए थे। नियुक्ति का मानक बदलने से सामान्य व ओबीसी के कुछ अभ्यर्थी इसलिए बाहर हुए, क्योंकि उनकी सीटों पर अन्य आरक्षित वर्ग के मेधावी अभ्यर्थी चयनित हो गए थे। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का सामान्य की सीटों पर चयन होने से उन्हें जिला आवंटन में आरक्षण का लाभ न देकर मेरिट के अनुरूप जिला आवंटन कर दिया गया। अब कोर्ट ने उसी गलती को सुधारने का निर्देश दिया है।

सामान्य वर्ग को लाभ नहीं

भर्ती की दूसरी 6127 अभ्यर्थियों की चयन सूची जारी होने व चयनितों को गृह जिलों में नियुक्ति मिलने पर बवाल मचा। सामान्य वर्ग के मेधावी अभ्यर्थियों का कहना था कि यदि पहले ही 68500 पदों के सापेक्ष नियुक्ति आदेश जारी होता तो वे मनचाहे जिलों में नियुक्ति पा जाते, वह काम परिषद ने बाद में किया। उसी को कोर्ट में चुनौती दी गई। कोर्ट ने केवल आरक्षित वर्ग को ही लाभ देने का आदेश दिया है, ऐसे में सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी अब भी जहां के तहां पड़े रहेंगे।