बेसिक शिक्षा में समस्याएं सबको पता हैं समाधान भी पता हैं पर वो करेंगे नही क्योंकि उनको शिक्षा का निजीकरण करके जीडीपी सुधारनी है, प्रेरणा लागू करने का यही निचोड़ है
बेसिक शिक्षा में समस्याएं सबको पता हैं समाधान भी पता हैं पर वो करेंगे नही क्योंकि उनको शिक्षा का निजीकरण करके जीडीपी सुधारनी है। प्रेरणा लागू करने का यही निचोड़ है।
क्योंकि जो दुर्व्यवस्था बेसिक शिक्षा विभाग के जन्म से चली आ रही है आप उसको एक दिन में प्रेरणा लाकर नही बदल सकते ...
तरीका यही था कि प्रेरणा लागू करने लायक पहले माहौल यथा ट्रांसफर...इंफ्रास्ट्रक्चर... मूलभूत आवश्यकताओं पर गौर करते....
पर आपको जल्दी है क्योंकि आपकी नीतियों की वजह से आपके पास पैसे का अभाव है या कुछ ऐसी परियोजनाओं के लिए धन की कमी आड़े आ रही है जिससे आपकी छवि बने ।
और धन की कमी में आपको सबसे ज्यादा जो खटक रहा है वो है वेतन । इसमे भी शिक्षक का वेतन (तभी देखिए सितम्बर बीत रहा है पर महंगाई भत्ते का ज़िक्र तक नही ) क्योंकि 40000 का काम करने वाले आपको 10000 में भी मिल जाएंगे । सरकार को शिक्षण के आदर्श से मतलब नही वो सिर्फ दिन के 5 या 6 घण्टे की जॉब और ज्यादा वेतन देख रही है। वरना प्रेरणा की जरूरत हर सरकारी विभाग में है।
और आप निजीकरण एक साथ करेंगे नही इसके लिए मीडिया के द्वारा समाज मे शिक्षक की छवि धूमिल करेंगे ताकि कल को 5 लाख शिक्षको को जॉब से बाहर कर या उनके अधिकार सीमित कर 50 लाख अतिरिक्त वोट कमा सकें ।
और आप सफल भी हो रहे हैं । आम जनता प्रेरणा के पक्ष में है ...और शिक्षक व संघ बिखरे हुए...अब सिर्फ दो काम होंगे या तो इन्ही दुर्व्यवस्था के साथ प्रेरणा लागू होगा या बेसिक का निजीकरण ....
कोर्ट भूल जाईये क्योंकि शिक्षा सेवा प्राधिकरण का जन्म हो चुका है।
by Shakul Gupta
बेसिक शिक्षा में समस्याएं सबको पता हैं समाधान भी पता हैं पर वो करेंगे नही क्योंकि उनको शिक्षा का निजीकरण करके जीडीपी सुधारनी है। प्रेरणा लागू करने का यही निचोड़ है।
क्योंकि जो दुर्व्यवस्था बेसिक शिक्षा विभाग के जन्म से चली आ रही है आप उसको एक दिन में प्रेरणा लाकर नही बदल सकते ...
तरीका यही था कि प्रेरणा लागू करने लायक पहले माहौल यथा ट्रांसफर...इंफ्रास्ट्रक्चर... मूलभूत आवश्यकताओं पर गौर करते....
पर आपको जल्दी है क्योंकि आपकी नीतियों की वजह से आपके पास पैसे का अभाव है या कुछ ऐसी परियोजनाओं के लिए धन की कमी आड़े आ रही है जिससे आपकी छवि बने ।
और धन की कमी में आपको सबसे ज्यादा जो खटक रहा है वो है वेतन । इसमे भी शिक्षक का वेतन (तभी देखिए सितम्बर बीत रहा है पर महंगाई भत्ते का ज़िक्र तक नही ) क्योंकि 40000 का काम करने वाले आपको 10000 में भी मिल जाएंगे । सरकार को शिक्षण के आदर्श से मतलब नही वो सिर्फ दिन के 5 या 6 घण्टे की जॉब और ज्यादा वेतन देख रही है। वरना प्रेरणा की जरूरत हर सरकारी विभाग में है।
और आप निजीकरण एक साथ करेंगे नही इसके लिए मीडिया के द्वारा समाज मे शिक्षक की छवि धूमिल करेंगे ताकि कल को 5 लाख शिक्षको को जॉब से बाहर कर या उनके अधिकार सीमित कर 50 लाख अतिरिक्त वोट कमा सकें ।
और आप सफल भी हो रहे हैं । आम जनता प्रेरणा के पक्ष में है ...और शिक्षक व संघ बिखरे हुए...अब सिर्फ दो काम होंगे या तो इन्ही दुर्व्यवस्था के साथ प्रेरणा लागू होगा या बेसिक का निजीकरण ....
कोर्ट भूल जाईये क्योंकि शिक्षा सेवा प्राधिकरण का जन्म हो चुका है।
by Shakul Gupta