प्रोफेशनल मुद्दे से जो शिक्षकगण प्रभावित है
वो सभी बडे भाई anil rajbhar जी का सहयोग करे
क्योंकि प्रोफेशनल मुद्दे पर अनिल राजभर जी के प्रयास से ही सरकार का काउंटर प्रोफेशनल पर आपके फेवर मे लगा
*सुप्रीम कोर्ट ऑर्डर- 16 जुलाई 2019 और अवमानना याचिका 1228 ऑफ 2019*👉👉👉👉
*प्रोफेशनल मैटर विशेष*
सभी प्रोफेशनल साथियों को नमस्कार कुछ साथी अभी भी इस ऑर्डर को लेकर संशय में हैं और कुछ साथी भयभीत भी हैं, कारण वही पुराना सोशल मीडिया पर फैलाया गया भ्रम और कुछ चवन्नी छाप चंदा चोर नेताओं का महाज्ञान।
✳चलिये, कुछ प्रमुख बातों को यहाँ रखते हैं। 29 हज़ार गणित-विज्ञान भर्ती में 23 अगस्त 2013 के GO के अनुसार ऐसे सभी अभ्यर्थी जो स्नातक की उपाधि रखते थे जिसमें गणित एवं विज्ञान एक विषय के रूप में रही हो, वे आवेदन के लिए पात्र थे। 27 अगस्त 2013 को सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने गाइडलाइन जारी कर बीएससी, बीएससी (एग्रीकल्चर और होम साइंस)बीटेक,बीसीए आदि को इंटर विज्ञान होने पर स्नातक समकक्ष मानते हुए आवेदन का मौका दिया था।
✳ रिट संख्या 39466/2014, सत्येंद्र कुमार सिंह v/s स्टेट ऑफ उत्तर प्रदेश में जारी 11/09/2015 के आदेश के अनुसार कम्पीटेंट ऑथोरिटी को ये आदेश दिया गया कि प्रत्येक प्रोफेशनल कैंडिडेट्स की जांच के बाद ही कॉउंसलिंग में allow किया जाए, तथा ऐसे किसी भी कैंडिडेट को नियुक्त न किया जाए जिसने स्नातक स्तर पर गणित एवं विज्ञान को एक विषय के रूप में न पढ़ा हो। सभी प्रोफेशनल कैंडिडेट्स की नियुक्ति माननीय जज सुधीर अग्रवाल के आर्डर के अनुसार उच्च स्तरीय (प्रदेश एवं जिला स्तरीय कमेटी) के गठन एवं जांच के बाद हुई।18 सितंबर 2015,21 सितंबर 2015 और 29 सितंबर 2015 को सचिव बेसिक शिक्षा के आदेश पर सभी जिलों के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने प्रत्येक अभ्यर्थियों की स्नातक उपाधि में गणित/विज्ञान चेक करके ही नियुक्ति प्रदान की थी।
✳ स्पेशल अपील 261 of 2016 (प्रदीप कुमार v/s स्टेट ऑफ उत्तर प्रदेश) में उपरोक्त आर्डर को चैलेंज किया गया और DB ने इस अपील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सिंगल बेंच के ऑर्डर को छेड़ा नही जा सकता किन्तु अपीलेंट्स जब चाहें किसी अभ्यर्थी को लेकर अपनी आपत्ति/शिकायत ऑथोरिटी के सामने रख सकते है और ऑथोरिटी सारे रिकॉर्ड की जांच करे तथा अभ्यर्थी का पक्ष सुनकर आपत्ति/शिकायत निस्तारण करे।
ऑर्डर डेट-06/04/2016
✳ सुप्रीम कोर्ट में याचिका संख्या 35151/2018 प्रदीप कुमार v/s स्टेट ऑफ उत्तर प्रदेश डिले के आधार पर ख़ारिज हो गयी।
✳अब सिंगल बेंच के आर्डर 08 मई 2018 और 30 मई 2018 में ज़्यादा डिटेल में न जाते हुए, (क्योंकि तकनीकी रूप से दोनों में सुधीर अग्रवाल जी के आदेश को ही कॉपी किया गया है) सीधे माननीय सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर 16 जुलाई 2019 की बात करते है।
✳ माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपीलेंट्स (याचिका कर्ताओं) के रिटेन सबमिशन के आधार पर ऐसे व्यक्ति जो स्नातक स्तर पर बिना गणित और विज्ञान विषय के पास हुए हैं, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ऐसे सभी लोगो को 3 माह के अंदर ढूढें। *(ऑर्डर में कही भी नही लिखा है कि सिर्फ प्रोफेशनल डिग्री धारकों की जांच की जाए।)*
*यहाँ एक बात और ध्यान देने की यह है कि किसी भी कैंडिडेट को बाहर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने नही कहा है।* बल्कि इस प्रक्रिया को सेक्शन 23 (2) जो कि Right of children to Free and Compulsory Education Act, 2017 में जोड़ा गया है, के अनुसार करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है।
✳ अब बात करते हैं सेक्शन *23 (2) Right of Children to Free anf Compulsory Education Act, 2017* की, जिसकी ज़्यादा बात शायद अभी तक नही हुई है, इस संशोधन के अनुसार:
Provided further that every teacher appointed or in position as on the 31st March, 2015, who does not possess minimum qualifications as laid down under sub-section (1), shall acquire such minimum qualifications within a period of four years from the date of commencement of the Right of Children to Free and Compulsory Education (Amendmend) act 2017. ( 31 मार्च 2015 तक नियुक्ति पाए ऐसे सभी शिक्षक जो निर्धारित योग्यताएं नही रखते हैं, वो ये एक्ट लागू होने की तिथि से 4 वर्ष के भीतर निर्धारित योग्यताएं हासिल करेंगे।)
✳ हालांकि, ये बात ट्रेनिंग के संदर्भ में है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट को अपने ऑर्डर में क्यों मेंशन किया और जांच प्रक्रिया को Right of Children to Free and Compulsory Education (Amendmend) act 2017 के अनुसार पूरा करने की बात क्यो की?
✳ इस प्रश्न का जवाब क्या अभी तक प्रोफेशनल के किसी अगवाकार ने दिया?प्रोफेशनल वाले परेशान हैं उनका क्या होगा?
✳ प्रोफेशनल भाइयों, सुप्रीम कोर्ट के आर्डर के बाद आपकी नौकरी Right of Children to Free and Compulsory Education (Amendmend) act 2017 के तहत पूरी तरह से सुरक्षित हो गयी है।
हो सकता है, ऑर्डर का मतलब कुछ ज्ञानी लोग तरह तरह से निकालकर आपको समझाए, लेकिन आप स्वयं एक शिक्षक है और समझदार हैं। साथियों वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका 1228/2019 में राज्य सरकार द्वारा 3 माह में सभी स्नातकों की जिन्होंने 29334 भर्ती में नियुक्ति गणित/विज्ञान के सहायक अध्यापक पद पर पाई है जांच न करने के कारण 15 रेस्पोंडेंट्स को नोटिस करवा दिया है और सभी को 3 फरवरी को कोर्ट में अपना पक्ष रखने को कहा है और सुनवाई के समय रहने को कहा है। साथियों हम लोग सुप्रीम कोर्ट जैवेन्द्र की याचिका में प्रॉपर पार्टी थे और यदि हमारे हित प्रभावित होंगे तो हम भी अपना एडवोकेट करकर अपनी बात कोर्ट के समक्ष रख सकते है । साथियों 3 फरवरी के लिए सभी आर्थिक सहयोग करें और हमारी टीम के हाथ मजबूत करें।
अनिल राजभर
7376789588