New Budget 2020: नई टैक्स स्लैब के आधार पर छूट का लाभ उठाने के लिए आपको छोड़नी होंगी 70 रियायतें!

New Budget 2020: नई टैक्स स्लैब के आधार पर छूट का लाभ उठाने के लिए आपको छोड़नी होंगी 70 रियायतें!
New Budget 2020: नई टैक्स स्लैब के आधार पर छूट का लाभ उठाने के लिए आपको छोड़नी होंगी 70 रियायतें!


 इस बजट में आयकर की दरों (Income Tax New Slabs) में बड़े बदलाव का ऐलान किया. इस बार के बजट में मिडिल क्लास समेत लगभग हर वर्ग को राहत दी गई है. हालांकि, नए टैक्स स्लैब के साथ एक पेच भी जुड़ा हुआ है.

नए टैक्स स्लैब के मुताबिक, 5 लाख से 7.5 लाख रुपये तक की सालाना आय वालों को अब 20 फीसदी के मुकाबले सिर्फ 10 फीसदी की दर से ही टैक्स चुकाना होगा. वहीं, जिनकी सालाना आय 7.5 लाख रुपये से 10 लाख रुपए तक है, उन्हें सिर्फ 15 फीसदी की दर से ही टैक्स भरना होगा. हालांकि, अगर आप नई दरों से कर अदायगी करते हैं तो आपको टैक्स में मिलने वाली करीब 70 रियायतों को छोड़ना पड़ेगा. पहले बीमा, निवेश, घर का रेंट, मेडिकल, बच्चों की स्कूल फीस जैसी कुल 100 रियायतें दी गई थीं जबकि अब नए टैक्स स्लैब में 70 रियायतों को खत्म कर दिया गया है.

यह होंगी अब नई इनकम टैक्स दरें-

0-5 लाख तक की सालाना आय पर कोई टैक्स नहीं

2.5 – 5 लाख सालाना कमाई पर- 5% 

5-7.5 लाख सालाना आय पर- 10%

7.5 – 10 लाख तक की सालाना आय पर- 15%

10 – 12.5 लाख की सालाना आय पर - 20% 

12.5 – 15 लाख की सालाना आय पर- 25%

15 लाख और अधिक से ऊपर सालाना आय पर- 30%

इनकम टैक्स की पुरानी दरों से भी टैक्स देने की होगी व्यवस्था:- 
नए बजट 2020 में आयकर दाताओं को मौजूदा आयकर दर या नए आयकर दरों में से किसी एक को चुनने का प्रावधान देने की व्यवस्था है. अगर आप पुरानी दरों से टैक्स भरते हैं तो आप टैक्सेबल इनकम में मिलने वाली तमाम रियायतों का लाभ भी उठा सकते हैं लेकिन अगर आप निर्मला सीतारमण के ऐलान के मुताबिक नई दरों के हिसाब से टैक्स भरेंगे तो फिर आपको इन रियायतों को छोड़ना होगा.

अब किसी करदाता के लिए नई कर व्यवस्था या पुरानी कर व्यवस्था में से ज्यादा फायदेमंद क्या होगी, ये उसकी आय और निवेश पर निर्भर करता है. यानी हर व्यक्ति को अपना गणित लगाकर चुनाव करना होगा.

जानिये क्या कहते हैं विश्लेषक?
टैक्स और आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ सर अंशुमान तिवारी के अनुसार, इस प्रकार के इनकम टैक्स में बड़े बदलाव के बाद टैक्स रियायतों के जरिए बचत प्रोत्साहित करने की नीति भी समाप्त हो जाएगी. इस कारण बचत में गिरावट बढ़ेगी और बीमा, मेडिक्लेम, छोटी बचत स्कीमों पर भी बुरा असर पड़ने की उम्मीद है। अगर होम लोन पर टैक्स छूट भी इस नई टैक्स की नीति का हिस्सा होती है तो हाउसिंग भी प्रभावित होगी. छूट रियायत की वापसी के बदले कर रियायत के बाद बीमा, यूलिप, रियल एस्टेट कारोबारों का बुरा हाल होगा.