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मित्रो अवगत कराना है कि कल दिनाँक 19/4/2020 को राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा माननीय बेसिक शिक्षामंत्री जी को सम्बोधित एक पत्र यह सहमति ब्यक्त करते हुए लिखा गया है कि शिक्षक,शिक्षामित्र एवं अनुदेशकों का अगले तीन माह अप्रैल मई एवं जून माह के बेतन/मानदेय से 1 दिन का मानदेय काट कर मुख्यमंत्री राहत कोष में दिया जाए। मित्रो हम सब इस आपदा की स्थिति में उत्तर प्रदेश सरकार और भारत सरकार के साथ हैं । और देश से बढ़कर दूसरा कुछ भी नहीं है । लेकिन मित्रो क्या एक शिक्षक संगठन को हम शिक्षामित्रों के विषय में निर्णय लेने का अधिकार है । यह अधिकार सिर्फ प्रदेश के शिक्षा मित्रों और शिक्षामित्र संगठनों को है न कि किसी ऐसे संघठन या उसके मुखिया को जिनका शिक्षामित्रों से कोई सम्बन्ध नहीं रहा है में पूछना चाहता हूँ इनसे कि क्या कभी ये संघठन या इनके नुमाइंदों द्वारा शिक्षामित्रों की किसी लड़ाई में शिक्षामित्रों का साथ दिया है । क्या किसी संघर्ष में हमारे साथ खड़े हुए हैं क्या कभी हमारे साथ लाठियां खाई हैं क्या कभी किसी शिक्षामित्र की मौत पर दो आँशु बहाने उसके घर गए हैं । क्या कभी आज तक शिक्षामित्रों की कोई एक मांग अपने किसी माँग पत्र या आंदोलन के माध्यम से सरकार से की है । जब आज तक शिक्षामित्रों के लिए कुछ नहीं किया है तो फिर ये कौन होते हैं हमारे बारे में किसी तरह का निर्णय लेने वाले । यदि इतनी ही औकात है तो पहले सरकार से 12 माह का मानदेय दिलवाकर दिखाओ ।
मैं एक शिक्षामित्र तथा जनपद आगरा से शिक्षामित्रों का प्रतिनिधि होने के नाते राष्ट्रीय शेक्षिक महासंघ के इस पत्र एवं शिक्षामित्रों की ओर से झूठी एवं गलत सहमति प्रदान करने की घोर निंदा करते हुए आगाह भी करता हूँ कि भविष्य में कोई भी शिक्षक संगठन शिक्षामित्रों का ठेकेदार बनने की कोशिश न करे । और अपने समस्त साथियो से निवेदन करता हूँ कि आप सभी अपने अपने स्तर से इस निर्णय की निंदा करें । और मेरी पोस्ट को शेयर करें जिससे कि शिक्षामित्रों के साथ झूठी हमदर्दी दिखाने बाले समस्त शिक्षक संगठनों एवं हमारे शिक्षामित्र सथियों तक यह आवाज पहुँच सके।
धन्यवाद सथियो ।
आपका
वीरेन्द्र सिंह छौंकर
जिलाध्यक्ष
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र
संघ जनपद आगरा