प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदेश के अति पिछड़े (आकांक्षी ) जिलों के परिषदीय विद्यालयों में सेवारत अध्यापकों को बड़ी राहत दी है।
न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की कोर्ट ने कहा है कि इन जिलों में कार्यरत अध्यापकों को भी विशेष परिस्थितियों खासतौर से मेडिकल इमरजेंसी केस में अंतर्जनपदीय तबादले का अधिकार है। यह आदेश कोर्ट ने मंजू पाल व दर्जनों अन्य अध्यापकों की ओर से दाखिल याचिकाओं पर अधिवक्ता नवीन कुमार शर्मा को सुनकर दिया है। अदालत के इस फैसले से आकांक्षी जिलों में कार्यरत अध्यापकों के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण का रास्ता साफ हो गया है।मेडिकल इमरजेंसी में मिड टर्म अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की मांग संभव
याची गण का कहना था कि वर्ष 2019-20 के लिए जारी स्थानांतरण नीति में प्रविधान था कि आकांक्षी जनपद ( सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती, बहराइच, सोनभद्र चंदौली, फतेहपुर, चित्रकूट व बलरामपुर) में कार्यरत अध्यापकों का अंतर्जनपदीय स्थानांतरण नहीं किया जाएगा। इस शासनादेश को चुनौती दी गई थी। इसके बाद दिव्या गोस्वामी केस में दिए गए फैसले में हाई कोर्ट ने कहा था कि मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में मिड टर्म में भी अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की मांग की जा सकती है।
राज्य सरकार ने 15 दिसंबर 2020 को नया शासनादेश जारी किया
दिव्या गोस्वामी केस में फैसले के बाद राज्य सरकार ने 15 दिसंबर 2020 को नया शासनादेश तथा 17 दिसंबर 2020 को सर्कुलर जारी किया। सर्कुलर और शासनादेश में आकांक्षी जनपदों में कार्यरत अध्यापकों के स्थानांतरण के संबंध में कोई नियम तय नहीं है। याची की नियुक्ति 2015 में आकांक्षी जनपद बहराइच में की गई। उसका परिवार बरेली में रहता है। याची स्वयं कैंसर पीड़ित है और उसका इलाज बरेली में चल रहा है। उसने बरेली स्थानांतरण की मांग की थी जिसे इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि याची आकांक्षी जनपद में कार्यरत है।
शासनादेश और सर्कुलर में आकांक्षी जिलों से अंतर्जनपदीय स्थानांतरण पर कोई रोक नहीं
न्यायालय ने कहा, दिव्या गोस्वामी केस के फैसले के बाद आए शासनादेश और सर्कुलर में आकांक्षी जिलों से अंतर्जनपदीय स्थानांतरण पर कोई रोक नहीं है। वर्तमान में अंतर्जनपदीय स्थानांतरण पर रोक लगाने की कोई नीति प्रभावी नहीं है। इसलिए याची के बहराइच से बरेली स्थानांतरण की मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है। रूल 8(2)(डी )के तहत अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए एक जिले में कम से कम पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करना आवश्यक है, मगर विशेष परिस्थिति में अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के प्रार्थना पत्र पर बेसिक एजुकेशन बोर्ड अथवा निदेशक बेसिक एजुकेशन उपरोक्त अवधि से पहले भी विचार कर सकते हैं। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि बेसिक शिक्षा परिषद में सहायक अध्यापक का पद जिला स्तरीय कैडर का पद है इसलिए सामान्य तौर पर अन्य जिले में स्थानांतरण की मांग नहीं की जा सकती है।