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UP 69000 शिक्षक भर्ती: सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, जानें क्या है मामला?

 UP Teacher News: UP में 69000 शिक्षकों को SC से राहत मिली है। बता दें कि बीते 4 साल से ये सारे शिक्षक कोर्ट का चक्कर काट रहे हैं। इस पर SC ने 9 सितंबर को इलाहाबाद कोर्ट के उस फैसले पर फिलहाल रोक लगा दिया है, जिसमें शिक्षक भर्ती में बनाई गई 69000 लोगों की मेरिट लिस्ट को रद्द कर अगले 3 महीने में नई मेरिट लिस्ट बनाने की बात कही थी।

SC ने यूपी सरकार समेत हाईकोर्ट में पक्षकारों से नोटिस जारी कर इस संबंध में जवाब मांगा है। इसके लिए 7 पन्नों की लिखित दलील की मांग की गई है। मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को तय की गई है। अगली डेट में 14 दिनों के गैप पर SC ने कहा कि उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को अच्छी तरह से पढ़ने का टाइम चाहिए।

जानें इलाहाबाद HC के फैसले से जुड़ी बातें

बता दें कि इलाहाबाद HC ने टीचर भर्ती संबंधित मामले में यूपी सरकार को आदेश दिया था कि वो जून 2020 और जनवरी 2022 के सलेक्शन लिस्ट को रद्द कर दें। इसके बाद 2019 में हुए (ATRE) सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के आधार पर 69 हजार टीचर की नई मेरिट लिस्ट अगले 3 महीने में जारी करें। HC ने अपने फैसले में इस बात को भी शामिल किया था कि अगर कोई रिजर्वेशन ग्रुप का कैंडिडेट जनरल कैटेगरी के बराबर मेरिट लिस्ट में जगह बनाता है तो उसका चुनाव जनरल कैटगरी के आधार पर मान्य होगा। इसके बाद यूपी में बड़ी संख्या में नौकरी पेशा शिक्षकों को जॉब खोने का डर सताने लगा था।

अखिलेश यादव के सरकार से जुड़ा मामला बढ़ा आगे

यूपी में अखिलेश यादव के सरकार के वक्त 1 लाख 37 हजार शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के रूप में शामिल किया गया था। इसका मामला SC में पहुंच गया और समायोजन को रद्द कर दिया गया। इसका मतलब सहायक शिक्षक को फिर से शिक्षामित्रों बना दिया। इसके बाद राज्य की अगली सरकार यानी योगी के नेतृत्व वाली गवर्नमेंट को 1 लाख 37 हजार शिक्षकों की भर्ती का आदेश दिया। हालांकि, इस पर योगी सरकार ने कहा कि हम इतने सारे शिक्षकों की भर्ती नहीं कर सकते हैं। इसके बाद SC ने 2 फेज में पदों को भरने का आदेश जारी किया। जिसके आधार पर योगी सरकार ने 2018 में पहले फेज में 68500 शिक्षक पदों के लिए वैकेंसी निकाली। वहीं दूसरे फेज में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती का पद निकाला।

कटऑफ को लेकर शुरू हुआ खेल

6 जनवरी 2019 को हुई भर्ती परीक्षा में कटऑफ को लेकर विवाद शुरू हुआ, जिसमें अनारक्षित की कट ऑफ 67.11 और OBC की 66.73 फीसदी थी। इसके आधार पर 68 हजार लोगों को नौकरी मिली। लेकिन फिर आरक्षण नियमों को लेकर अनदेखी का आरोप लगा, जिसमें कहा गया कि बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 का पालन सही से नहीं किया गया। 69000 शिक्षकों ने एक साथ कहा कि नियमावली बताती है कि OBC कैटेगरी का कैंडिडेट अगर जनरल कटऑफ वाले अभ्यर्थी के बराबर नंबर पाता है तो उसका सिलेक्शन जनरल कैंडिडेट की तरह होनी चाहिए। उसे रिजर्वेशन का लाभ नहीं मिलना चाहिए।

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