पदोन्नत्ति प्रकरण ~
कहते हैं न हिंदुस्तान में जब तक सनेमा रहेगा तब तक लोग चूतिया बनते रहेंगे ऐसी सनेमा आजकल पाण्डेय चलाए हुए हैं।
अब आपने कई स्कैम सुने होंगे एक अब ये सुनिए - बात है भरी सर्दी में जनवरी माह की, एक पाण्डेय हैं वे एकल पीठ में मुक़दमा लेकर गए कि TET अनिवार्य है पदोन्नत्ति के लिए लेकिन आधी अधूरी याचिका वे साल भर पैरवी से कर रहे थे और उन्हें या उनकी तरफ़ से खड़े हुए अधिवक्ता को ये तक नहीं पता था कि हेड पोस्ट के लिए सम्बंधित टेट की अनिवार्यता रहेगी लेकिन pre mature केस और उतना ही ज्ञान। ख़ैर सरकार इनको झाँसे में लेती रही कि बिना टेट के नही होगा लेकिन फिर भी कोई कोई लिखित assurance नही मिला । हालाँकि अधिवक्ताओं की ग़लती नही है क्योंकि मुक़दमा करने वाला पीड़ित होता है वही बताता है कि कहाँ कमी है।
अब बढ़ते हैं आगे मैं गया DB में ultra vires लेकर और जनवरी में NCTE की guidelines और clearification के बेस पर stay लिया और सरकार को कहा गया कि आप अपने बनाए हुए rule के तहत पदोन्नत्ति के लिए आगे नही बढ़ सकते हैं अगर आप चाहें तो NCTE के नियमानुसार पदोन्नत्ति कर सकते हैं जो कि याचिका WRIT A 523/2024 Himanshu Rana & oths Vs Union of India & oths के अधीन रहेगी।
इसी बीच जन्म होता है एक और पाण्डेय का और तथ्य छिपाकर वे एकल पीठ से आदेश करवा लेते हैं (stay के बाद) लेकिन इन्हें ये नही पता कि एकल पीठ बड़ी या खंड पीठ तो ख़ुशी से नाचने लगे उसी बीच शिक्षा मंत्री ने विधान भवन में जानकारी दी कि पदोन्नत्ति WRIT A 523/2024 Himanshu Rana & oths Vs Union of India & oths इस वजह से रुकी हुई है।
फिर पुराने पाण्डेय पुनः reincarantion लेते हैं और एकल पीठ इलाहाबाद के आदेश के विरुद्ध स्पेशल अपील खंडपीठ में योजित करते हैं लेकिन इस बार motive अन्य है वो motive ये है कि पाण्डेय पाण्डेय भाई भाई बनकर काम करेंगे और लखनऊ बेंच में विचाराधीन याचिका को disturb करेंगे यानी कुल मिलाकर हिमांशु को disturb करेंगे। अब आज नया शिगूफ़ा कि NCTE ने फ़लाना कह दिया और करने लग रहे हैं बकवास जबकि NCTE ने तो एकल पीठ में ही कहा था कि as per guidelines पदोन्नत्ति होगी पर ये फिर भी NCTE को न challenge करके केवल rely किए एकल पीठ के आदेश को challenge करने पर। अरे मुख्य किरदार NCTE का है तो उसके counter पर clearification या चुनौती दी जाती लेकिन नही पैसा दोनो और से बटोरना है। ख़ैर छोड़ो इनकी ये आदत तो हर केस की है इसमें नही जाएँगे लेकिन कई screenshot और whatsapp forward हमारे पास भी हैं पर महिलाओं की भाँति इनके जैसे लड़ना नही आया कभी ।
फ़िलहाल पदोन्नत्ति का ये है कि जब तक लखनऊ मसला नही सुलझेगा तब तक होगी नही बाक़ी पाण्डेय टेंट लगाकर कहीं से कुछ भी बटोर ले हमें मतलब नही है।
इनकी हक़ीक़त भली भाँति पता है इस व्यक्ति को केवल ये है कि अहम ब्रह्मासमी तो उसका कोई इलाज नही है मेरी नज़र में ये चूतिया व्यक्ति है।
बाक़ी इसके शागिर्द भी इसकी category के ही हैं। लगे रहो ये आपको ढंग से चूतिया बनाता रहेगा और आपके लिए ज़रूरी भी वही है
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