विज्ञान
को और मजेदार ढंग से पढ़ाने के लिए अब शिक्षकों को कुछ अलग जतन करने
पड़ेंगे। विज्ञान को रोचक बनाकर पढ़ाने के लिए लम्बे अरसे बाद शिक्षकों को
फिर शिक्षण सामग्री खरीदने के लिए पैसा दिया गया है।
इसके तहत हर विज्ञान शिक्षक को 500 रुपए अगले शैक्षिक सत्र के लिए दिए जाएंगे।आओ करके सीखे की तर्ज पर विज्ञान पढ़ाने के निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं। अब निर्देश है कि जूनियर के विज्ञान के शिक्षक इस धन का उपयोग विज्ञान के सिद्धांतों को समझाने के लिए इस्तेमाल करें।
इसके लिए वे खुद सामग्री बना सकते हैं या फिर बाजार में मौजूद कम लागत की सामग्री खरीद सकते हैं। ये धनराशि सरकारी स्कूलों के अलावा सहायताप्राप्त स्कूलों के शिक्षकों को भी दी जाएगी बशर्ते वे विद्यार्थियों से कोई शिक्षण शुल्क न लेते हों। विज्ञान शिक्षकों को 20 मार्च तक ये धनराशि दे दी जाएगी।
शिक्षकों को इसकी खरीद के लिए विस्तृत दिशानिर्देश 10 मार्च तक उपलब्ध कराए जाएंगे। सर्व शिक्षा अभियान की राज्य परियोजना निदेशक शीतल वर्मा ने आदेश जारी कर दिए हैं। जूनियर स्कूलों में विज्ञान पढ़ाने पर इस सत्र से जोर दिया जा रहा है।
इसके लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है और राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने एक नया माडय़ूल भी बनाया है जिसमें विज्ञान को सिद्धांतों से सरल करके प्रयोगों के माध्यम से समझाने की बात है। इसमें रोजमर्रा की चीजों मसलन गेंद, पत्थर, लकड़ी आदि के माध्यम से प्रयोग कर विज्ञान समझाने पर बल दिया गया है।
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इसके तहत हर विज्ञान शिक्षक को 500 रुपए अगले शैक्षिक सत्र के लिए दिए जाएंगे।आओ करके सीखे की तर्ज पर विज्ञान पढ़ाने के निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं। अब निर्देश है कि जूनियर के विज्ञान के शिक्षक इस धन का उपयोग विज्ञान के सिद्धांतों को समझाने के लिए इस्तेमाल करें।
इसके लिए वे खुद सामग्री बना सकते हैं या फिर बाजार में मौजूद कम लागत की सामग्री खरीद सकते हैं। ये धनराशि सरकारी स्कूलों के अलावा सहायताप्राप्त स्कूलों के शिक्षकों को भी दी जाएगी बशर्ते वे विद्यार्थियों से कोई शिक्षण शुल्क न लेते हों। विज्ञान शिक्षकों को 20 मार्च तक ये धनराशि दे दी जाएगी।
शिक्षकों को इसकी खरीद के लिए विस्तृत दिशानिर्देश 10 मार्च तक उपलब्ध कराए जाएंगे। सर्व शिक्षा अभियान की राज्य परियोजना निदेशक शीतल वर्मा ने आदेश जारी कर दिए हैं। जूनियर स्कूलों में विज्ञान पढ़ाने पर इस सत्र से जोर दिया जा रहा है।
इसके लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है और राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने एक नया माडय़ूल भी बनाया है जिसमें विज्ञान को सिद्धांतों से सरल करके प्रयोगों के माध्यम से समझाने की बात है। इसमें रोजमर्रा की चीजों मसलन गेंद, पत्थर, लकड़ी आदि के माध्यम से प्रयोग कर विज्ञान समझाने पर बल दिया गया है।
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