नहीं जारी होगा 29,334 गणित-विज्ञान शिक्षक भर्ती का नियुक्ति पत्र : हाईकोर्ट में विशेष अपील निस्तारित,
तथ्यों की जानकारी के बिना ही बेसिक शिक्षा सचिव ने दिए थे बयान
तथ्यों की जानकारी के बिना ही बेसिक शिक्षा सचिव ने दिए बयान
नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने के आदेश पर होगा पुनर्विचार
29334 शिक्षकों की भर्ती पर अभी ग्रहण जारी
शासन ने दावे भले ही कर दिए हैं लेकिन उत्तर प्रदेश के जूनियर हाईस्कूलों में 29334 सहायक अध्यापकों की भर्ती फिलहाल नहीं हो सकेगी। बेसिक शिक्षा सचिव हीरा लाल गुप्ता ने तथ्यों की जानकारी के बिना ही मंगलवार को बयान जारी कर अभ्यर्थियों को भ्रम में डाल दिया है। हकीकत यह है कि एक अन्य अदालत से इस भर्ती पर रोक पहले ही लगी हुई थी जो अभी तक बरकरार है।
उल्लेखनीय है कि बेसिक शिक्षा सचिव ने मंगलवार को लखनऊ में बयान जारी किया था कि 29334 गणित एवं विज्ञान के शिक्षकों की भर्ती पर लगी रोक अदालत ने हटा ली है। इससे इसके नियुक्ति पत्र जारी करने की राह साफ हो गई है। बुधवार को इस मामले से जुड़े लोग समाचार पत्रों में प्रमुखता से यह खबर देखकर आश्चर्यचकित हो गए। जो तथ्य सामने आए हैं, उसके अनुसार कोर्ट ने नीलम कुमारी गौतम व अन्य की याचिका पर नियुक्ति पर रोक लगा रखी है जो अभी भी कायम है।
एक अन्य याचिका पर कोर्ट ने नियुक्ति प्रक्रिया दो माह में पूरी करने का निर्देश दिया था ताकि नये सत्र से जनहित में कक्षाएं चल सकें। इस आदेश के खिलाफ विशेष अपील दाखिल की गयी थी। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राजेश कुमार तथा न्यायमूर्ति शमशेर बहादुर सिंह की खण्डपीठ ने आदेश दिया है कि अपील में लिए गये आधारों को एकल न्याय पीठ के समक्ष पुनर्विचार अर्जी दाखिल की जाए। विधि व्यवस्था के जानकारों के अनुसार एक मामले में नियुक्ति का आदेश और दूसरे मामले में नियुक्ति पर रोक के चलते नियुक्ति पत्र देना संभव ना होगा।
इलाहाबाद (विधिसं)। उत्तर प्रदेश के जूनियर हाईस्कूलों में सहायक अध्यापकों के 29,344 पदोें पर नियुक्तियां फिलहाल नहीं हो सकेगी। हाईकोर्ट ने इन अध्यापकों के पदों को भरने के लिए चयन की प्रक्रिया पूरी करने को कहा है। परन्तु निर्देश दिया है कि किसी भी चयनित अभ्यर्थी को नियुक्ति पत्र जारी नहीं की जायेगी। दो जजों की खण्डपीठ ने 7 अप्रैल 2015 को पारित अपने आदेश में अध्यापकों की नियुक्ति पर लगी रोक का जिक्र करते हुए अपील निस्तारित कर दी है।
मामले के अनुसार उत्तर प्रदेश के जूनियर स्कूलों में 29,334 सहायक अध्यापकों का पद रिक्त है। इन पदों को भरने के लिए सरकार ने विज्ञापन निकाला परन्तु इन पदों पर नियुक्तियां नहीं हो पा रही थी। इसको लेकर दायर एक याचिका पर एकलपीठ ने सरकार को लताड़ लगायी थी तथा निर्देश दिया था कि प्रदेश सरकार दो माह के भीतर इन विद्यालयों में सभी रिक्त पदों पर चयन प्रक्रिया पूरी कर नियुक्ति पत्र जारी करे। एकल जज के इस आदेश को दो जजों के समक्ष विशेष अपील में चुनौती दी गयी थी। चुनौती अपीलार्थी अनिल कुमार सिंह ने दी थी तथा कहा था कि एकल जज का दो माह में चयन पूरा कर नियुक्ति पत्र जारी करने का आदेश गलत है।
इस अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राजेश कुमार व न्यायमूर्ति समशेर बहादुर सिंह की खण्डपीठ ने अपील को निस्तारित कर दिया तथा कहा कि अपीलार्थी अपनी बात को एकल जज के समक्ष पुनर्विचार अर्जी दायर कर रखे। दो जजों की खण्डपीठ ने अपने इस आदेश में एक अन्य याचिका नीलम कुमारी गौतम का भी जिक्र किया है तथा कहा है कि इस याचिका में एक अन्य एकल जज की पीठ ने इन सहायक अध्यापकों की चयन प्रक्रिया पूरा करने को कहा है परन्तु चयन के आधार पर नियुक्तियों पर रोक लगा रखी है। नियुक्ति पत्र पर रोक का यह आदेश अभी भी जारी है। दो जजों की पीठ ने भी अपने आदेश में इस स्थिति को स्पष्ट किया है।
तथ्यों की जानकारी के बिना ही बेसिक शिक्षा सचिव ने दिए थे बयान
तथ्यों की जानकारी के बिना ही बेसिक शिक्षा सचिव ने दिए बयान
नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने के आदेश पर होगा पुनर्विचार
29334 शिक्षकों की भर्ती पर अभी ग्रहण जारी
शासन ने दावे भले ही कर दिए हैं लेकिन उत्तर प्रदेश के जूनियर हाईस्कूलों में 29334 सहायक अध्यापकों की भर्ती फिलहाल नहीं हो सकेगी। बेसिक शिक्षा सचिव हीरा लाल गुप्ता ने तथ्यों की जानकारी के बिना ही मंगलवार को बयान जारी कर अभ्यर्थियों को भ्रम में डाल दिया है। हकीकत यह है कि एक अन्य अदालत से इस भर्ती पर रोक पहले ही लगी हुई थी जो अभी तक बरकरार है।
उल्लेखनीय है कि बेसिक शिक्षा सचिव ने मंगलवार को लखनऊ में बयान जारी किया था कि 29334 गणित एवं विज्ञान के शिक्षकों की भर्ती पर लगी रोक अदालत ने हटा ली है। इससे इसके नियुक्ति पत्र जारी करने की राह साफ हो गई है। बुधवार को इस मामले से जुड़े लोग समाचार पत्रों में प्रमुखता से यह खबर देखकर आश्चर्यचकित हो गए। जो तथ्य सामने आए हैं, उसके अनुसार कोर्ट ने नीलम कुमारी गौतम व अन्य की याचिका पर नियुक्ति पर रोक लगा रखी है जो अभी भी कायम है।
एक अन्य याचिका पर कोर्ट ने नियुक्ति प्रक्रिया दो माह में पूरी करने का निर्देश दिया था ताकि नये सत्र से जनहित में कक्षाएं चल सकें। इस आदेश के खिलाफ विशेष अपील दाखिल की गयी थी। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राजेश कुमार तथा न्यायमूर्ति शमशेर बहादुर सिंह की खण्डपीठ ने आदेश दिया है कि अपील में लिए गये आधारों को एकल न्याय पीठ के समक्ष पुनर्विचार अर्जी दाखिल की जाए। विधि व्यवस्था के जानकारों के अनुसार एक मामले में नियुक्ति का आदेश और दूसरे मामले में नियुक्ति पर रोक के चलते नियुक्ति पत्र देना संभव ना होगा।
इलाहाबाद (विधिसं)। उत्तर प्रदेश के जूनियर हाईस्कूलों में सहायक अध्यापकों के 29,344 पदोें पर नियुक्तियां फिलहाल नहीं हो सकेगी। हाईकोर्ट ने इन अध्यापकों के पदों को भरने के लिए चयन की प्रक्रिया पूरी करने को कहा है। परन्तु निर्देश दिया है कि किसी भी चयनित अभ्यर्थी को नियुक्ति पत्र जारी नहीं की जायेगी। दो जजों की खण्डपीठ ने 7 अप्रैल 2015 को पारित अपने आदेश में अध्यापकों की नियुक्ति पर लगी रोक का जिक्र करते हुए अपील निस्तारित कर दी है।
मामले के अनुसार उत्तर प्रदेश के जूनियर स्कूलों में 29,334 सहायक अध्यापकों का पद रिक्त है। इन पदों को भरने के लिए सरकार ने विज्ञापन निकाला परन्तु इन पदों पर नियुक्तियां नहीं हो पा रही थी। इसको लेकर दायर एक याचिका पर एकलपीठ ने सरकार को लताड़ लगायी थी तथा निर्देश दिया था कि प्रदेश सरकार दो माह के भीतर इन विद्यालयों में सभी रिक्त पदों पर चयन प्रक्रिया पूरी कर नियुक्ति पत्र जारी करे। एकल जज के इस आदेश को दो जजों के समक्ष विशेष अपील में चुनौती दी गयी थी। चुनौती अपीलार्थी अनिल कुमार सिंह ने दी थी तथा कहा था कि एकल जज का दो माह में चयन पूरा कर नियुक्ति पत्र जारी करने का आदेश गलत है।
इस अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राजेश कुमार व न्यायमूर्ति समशेर बहादुर सिंह की खण्डपीठ ने अपील को निस्तारित कर दिया तथा कहा कि अपीलार्थी अपनी बात को एकल जज के समक्ष पुनर्विचार अर्जी दायर कर रखे। दो जजों की खण्डपीठ ने अपने इस आदेश में एक अन्य याचिका नीलम कुमारी गौतम का भी जिक्र किया है तथा कहा है कि इस याचिका में एक अन्य एकल जज की पीठ ने इन सहायक अध्यापकों की चयन प्रक्रिया पूरा करने को कहा है परन्तु चयन के आधार पर नियुक्तियों पर रोक लगा रखी है। नियुक्ति पत्र पर रोक का यह आदेश अभी भी जारी है। दो जजों की पीठ ने भी अपने आदेश में इस स्थिति को स्पष्ट किया है।
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