ग्रामीण भारत की स्कूली शिक्षा पर काम करने वाली गैर सरकारी संस्था प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन की ASER (एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट) नाम से जारी 10वीं वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा पर भारी खर्च के बाद भी स्थिति में अपेक्षित सुधार देखने को नहीं मिला है।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु -
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु -
- कक्षा 8 के 25 प्रतिशत बच्चे दूसरी कक्षा का पाठ भी नहीं पढ़ सकते।
कक्षा 5 के 47 प्रतिशत बच्चे कक्षा 2 का पाठ भी नहीं पढ़ सकते।
कक्षा 2 के 19 प्रतिशत बच्चे 1 से 9 तक के अंक भी नहीं पहचानते।
ग्रामीण क्षेत्र के लगभग 24.4 प्रतिशत स्कूलों में पेयजल तक की सुविधा नहीं है।
34.8 प्रतिशत से अधिक स्कूलों में शौचालय नहीं हैं या उपयोग करने लायक नहीं है।
लगभग 21.9 प्रतिशत स्कूलों में पुस्तकालय नहीं है।
पिछले पांच-छह वर्षों के दौरान हिमाचल, बिहार, ओडिशा और कर्नाटक में कक्षा 5 के बच्चों की पढ़ने की क्षमता में सुधार हआ है, लेकिन मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सहित कुछ राज्यों में बच्चों के पढ़ने की क्षमता पहले से कम कम हुई है।
मध्य प्रदेश में कक्षा 8 तक के लगभग 30 प्रतिशत बच्चे ऎसे हैं, जो अंग्रेजी का एक भी अक्षर नहीं पहचान पाते। लगभग 80 प्रतिशत बच्चे कैपिटल लेटर के बारे में नहीं जानते और 85 प्रतिशत से अधिक बच्चे साधारण शब्द नहीं पढ़ सकते।
राजस्थान में कक्षा 8 तक के लगभग 77 प्रतिशत बच्चे ऎसे हैं, जो अंग्रेजी का एक भी अक्षर नहीं पहचान पाते। लगभग 85 प्रतिशत बच्चे कैपिटल लेटर के बारे में नहीं जानते और 79 प्रतिशत से अधिक बच्चे साधारण शब्द नहीं पढ़ सकते।
छत्तीसगढ़ शिक्षा के मामले में देश के सबसे पिछड़े राज्यों में है। आज भी यहां के 6 से 14 आयु वर्ग के 2 प्रतिशत बच्चों ने स्कूल का मुंह नहीं देखा है। यहाँ:
कक्षा 5 के 18 प्रतिशत बच्चे ही कक्षा 3 के भाग का प्रश्न हल कर पाते हैं।
कक्षा 5 के 18 प्रतिशत बच्चे ही कक्षा 3 के भाग का प्रश्न हल कर पाते हैं।
कक्षा 8 के 70.3 प्रतिशत बच्चों को कक्षा 3 के सवाल हल करने नहीं आते।
कक्षा 3 के 30.4 प्रतिशत बच्चे अंग्रेजी के बड़े अक्षर (कैपिटल लैटर्स) नहीं पहचानते।
कक्षा 5 के 10.7 प्रतिशत बच्चे ही अंग्रेजी के सरल वाक्य पढ़ पाते हैं।
कक्षा 8 के 44.7 प्रतिशत बच्चे अंग्रेजी के सरल शब्द भी नहीं पहचानते।
गणित के मामले में शिक्षा की स्थिति सबसे अधिक गंभीर है:-
मध्य प्रदेश में कक्षा 8 के 33 प्रतिशत बच्चे 10 से 99 तक के अंक नहीं पहचान पाते, 70 प्रतिशत बच्चे भाग नहीं दे सकते, 76 प्रतिशत बच्चे घटाना नहीं जानते।
राजस्थान में यह संख्या क्रमशः 22.5 प्रतिशत, 52 प्रतिशत और 77 प्रतिशत है।
उत्तर प्रदेश में:-
ग्रामीण सरकारी स्कूलों की कक्षा 5 में पढ़ रहे 55.9 प्रतिशत बच्चे पढ़ नहीं पाते।
कक्षा 5 में पढ़ रहे 56.2 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो सही तरीके से कक्षा 2 का पाठ भी नहीं पढ़ पाते।
कक्षा 5 में पढ़ रहे 56.2 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो सही तरीके से कक्षा 2 का पाठ भी नहीं पढ़ पाते।
ग्रामीण क्षेत्रों में 4.1 प्रतिशत बच्चे आज भी स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत 2.9 प्रतिशत है।
कक्षा 5 में पढ़ रहे 8.2 प्रतिशत बच्चे अक्षर भी पढ़ना नहीं जानते, देश में इस कक्षा के लिए यह औसत 5.7 प्रतिशत है।
6-14 वर्ष आयु वर्ग के 94.9 प्रतिशत बच्चे स्कूलों में नामांकित हैं। 2012 की तुलना में यह 1.3 प्रतिशत बढ़ा है।
निजी स्कूलों में पिछले पांच वर्षो में नामांकन दर 35.8 से बढ़कर 49 प्रतिशत हो गई है।
सरकारी स्कूलों में यह दर 57.3 प्रतिशत से घटकर 43.6 प्रतिशत रह गई है।
सरकारी स्कूलों में यह दर 57.3 प्रतिशत से घटकर 43.6 प्रतिशत रह गई है।
आठवीं तक फेल न करने की नीति के बावजूद इस कक्षा तक के 14.2 प्रतिशत बच्चे (निजी व सरकारी दोनों तरह के स्कूलों के) पैसे देकर ट्यूशन पढ़ते हैं।
निशुल्क एवं अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) लागू होने के बाद प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में दो रुझान स्पष्ट रहे हैं—स्कूलों की संख्या और उनमें दाखिले में वृद्धि हुई है, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता गिरी है।
राष्ट्रीय स्तर पर छात्रों के पढ़ने और गणित के साधारण सवालों को हल करने की योग्यता में कोई सुधार नहीं हुआ।
राष्ट्रीय स्तर पर छात्रों के पढ़ने और गणित के साधारण सवालों को हल करने की योग्यता में कोई सुधार नहीं हुआ।
अपने बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिलाने का रुझान भी बढ़ा है।
सरकारी स्कूलों में सामान्य सुविधाओं में सुधार हुआ है।
आरटीई लागू होने का सकारात्मक प्रभाव यह हुआ कि 6-14 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के स्कूल में दाखिले में भारी वृद्धि हुई है। इस आयु वर्ग के सभी बच्चे स्कूल जाएं, आरटीई के इस प्रावधान पर अमल लगभग 100 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
कुछ राज्यों में बच्चों के धाराप्रवाह पढ़ सकने की क्षमता सुधरी है।
तमिलनाडु और बिहार में उल्लेखनीय प्रगति हुई। तमिलनाडु में 2012 में कक्षा 5 के 31.9 प्रतिशत बच्चे ही दूसरी कक्षा की पठन सामग्री को धाराप्रवाह पढ़ पाते थे। अब में यह दर 46.9 प्रतिशत हो गई है।
यह सफलता अलग-अलग आयु वर्गों के बच्चों को उनकी सीखने की क्षमता के अनुसार अलग कक्षाओं में बैठाने के अभिनव प्रयोग से हासिल की गई।
सीखने की गुणवत्ता में कमी का मुख्य कारण शिक्षकों की योग्यता और उनके पढ़ाने का तरीका है।
प्रथम फाउंडेशन ने 577 जिलों के 16,497 गांवों के 5 लाख 70 हजार बच्चों का सर्वे कर यह रिपोर्ट तैयार की है! !
सरकारी नौकरी - Government of India Jobs Originally published for http://e-sarkarinaukriblog.blogspot.com/ Submit & verify Email for Latest Free Jobs Alerts Subscribe सरकारी नौकरी - Government Jobs - Current Opening All Exams Preparations , Strategy , Books , Witten test , Interview , How to Prepare & other details