1295 विद्यालयों के 1,46,816 बच्चों को मिलेगा दूध
श्रावस्ती। परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शासन की मंशा के अनुरूप बुधवार को पहले दिन शत प्रतिशत बच्चों को एमडीएम में पौष्टिक दूध नहीं दिया जा सका। पर्याप्त मात्रा में दूध न मिल पाने के कारण पहले दिन मात्र 30 प्रतिशत बच्चे ही इसका लाभ ले सके। इस पर विभाग ने शिक्षकों को अपने स्तर से दूध की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है।
जिले में संचालित 1295 परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 1,46,816 बच्चे शिक्षणरत हैं। जिन्हें मध्याह्न भोजन योजना के तहत प्रत्येक बुधवार को 200 एमएल दूध व कोफ्ता चावल देने का शासनादेश जारी किया गया है। इसके लिए एमडीएम निदेशक श्रद्धा मिश्रा द्वारा जिलाधिकारी व जिला बेसिक शिक्षाधिकारी को एक सप्ताह पूर्व अर्धशासकीय पत्र भी भेजा गया था। इसके अनुपालन में बुधवार को पहले दिन मात्र 30 प्रतिशत बच्चों को ही दूध उपलब्ध कराया जा सका। इसकी समीक्षा के बाद डीएम राघवेंद्र विक्रम सिंह ने जिला बेसिक शिक्षाधिकारी महेश प्रताप सिंह से शत प्रतिशत दूध न मिलने की रिपोर्ट तलब की। जिसमें जिले में डेयरी की अनुपलब्धता व पर्याप्त मात्रा में दूध उपलब्ध होने को कारण बताया गया। जिससे शत-प्रतिशत बच्चे पौष्टिक दूध पीने से वंचित हो रहे हैं। इस बारे में जानकारी देते हुए जिला समन्वयक अजीत कुमार उपाध्याय बताते हैं कि दूध की व्यवस्था करना संबंधित विद्यालयों के शिक्षकों का कार्य है। मध्याह्न भोजन योजना प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है। ऐसे में जिन विद्यालयों में बच्चों को मीनू के अनुसार एमडीएम न मिलने की शिकायत मिली, वहां तैनात शिक्षकों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी।
पहले दिन 30 प्रतिशत विद्यार्थियों को ही मिला सका दूध
मीनू के अनुसार एमडीएम न मिलने पर शिक्षकों के विरुद्ध होगी कार्रवाई
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श्रावस्ती। परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शासन की मंशा के अनुरूप बुधवार को पहले दिन शत प्रतिशत बच्चों को एमडीएम में पौष्टिक दूध नहीं दिया जा सका। पर्याप्त मात्रा में दूध न मिल पाने के कारण पहले दिन मात्र 30 प्रतिशत बच्चे ही इसका लाभ ले सके। इस पर विभाग ने शिक्षकों को अपने स्तर से दूध की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है।
जिले में संचालित 1295 परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 1,46,816 बच्चे शिक्षणरत हैं। जिन्हें मध्याह्न भोजन योजना के तहत प्रत्येक बुधवार को 200 एमएल दूध व कोफ्ता चावल देने का शासनादेश जारी किया गया है। इसके लिए एमडीएम निदेशक श्रद्धा मिश्रा द्वारा जिलाधिकारी व जिला बेसिक शिक्षाधिकारी को एक सप्ताह पूर्व अर्धशासकीय पत्र भी भेजा गया था। इसके अनुपालन में बुधवार को पहले दिन मात्र 30 प्रतिशत बच्चों को ही दूध उपलब्ध कराया जा सका। इसकी समीक्षा के बाद डीएम राघवेंद्र विक्रम सिंह ने जिला बेसिक शिक्षाधिकारी महेश प्रताप सिंह से शत प्रतिशत दूध न मिलने की रिपोर्ट तलब की। जिसमें जिले में डेयरी की अनुपलब्धता व पर्याप्त मात्रा में दूध उपलब्ध होने को कारण बताया गया। जिससे शत-प्रतिशत बच्चे पौष्टिक दूध पीने से वंचित हो रहे हैं। इस बारे में जानकारी देते हुए जिला समन्वयक अजीत कुमार उपाध्याय बताते हैं कि दूध की व्यवस्था करना संबंधित विद्यालयों के शिक्षकों का कार्य है। मध्याह्न भोजन योजना प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है। ऐसे में जिन विद्यालयों में बच्चों को मीनू के अनुसार एमडीएम न मिलने की शिकायत मिली, वहां तैनात शिक्षकों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी।
पहले दिन 30 प्रतिशत विद्यार्थियों को ही मिला सका दूध
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