आगरा के 1400 शिक्षकों की डिग्री फर्जी होने का शक
आगरा (ब्यूरो)। बेसिक शिक्षा विभाग में आगरा जनपद में तैनात 1,400 सहायक अध्यापकों की बीएड की डिग्री फर्जी हो सकती है। डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में फर्जी डिग्री मामले की जांच कर रही एसआईटी ने इसकी हकीकत जानने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग से इनके शैक्षणिक दस्तावेज ले लिए हैं। सत्यापन भी शुरू किया जा चुका है।
ये डिग्रियां 2007 से 2010 के मध्य की हैं। एसआईटी को बताया गया था कि विवि से संबद्ध कॉलेजों ने फर्जीवाड़ा करके आवंटित सीटों से अधिक बीएड की हजारों डिग्रियां जारी कर दीं। परीक्षा में उतने ही अभ्यर्थी बैठे, जितनी सीट आवंटित थीं। बाकी को बगैर परीक्षा के ही डिग्री दे दी गई। इनमें से जनपद में ही 1,400 सहायक अध्यापक भी नियुक्ति हो गए। एसआईटी के सूत्रों ने बताया कि इसकी जानकारी मिलते ही बेसिक शिक्षा विभाग से ऐसे सभी अध्यापकों की डिटेल मांगी गई थी।
इसमें अभ्यर्थी और उसके पिता का नाम, उनका स्थायी-अस्थायी पता, ट्रेनिंग बाद पहली ज्वाइनिंग वाला क्षेत्र और शैक्षणिक रिकार्ड शामिल है। अब इनकी डिग्रियों का रिकार्ड विवि में देखा जा रहा है। इनके अलावा ऐसे भी मामले आ रहे हैं, जिनमें बीएड में अंक बढ़ाने के लिए मार्क्सशीट में व्हाइटनर का प्रयोग किया गया। एसआईटी की जांच से विवि से लेकर उन कॉलेजों तक में हड़कंप मचा है, जिन पर फर्जी डिग्री जारी करने का शक है।
गौरतलब है कि बेसिक शिक्षा विभाग में पिछले दिनों कराई गई जांच पड़ताल में 10 सहायक अध्यापकों की डिग्री फर्जी पाई गई थी। ये शिक्षा मित्र से सहायक अध्यापक बने थे। इनके खिलाफ एफआईआर के आदेश हो चुके हैं।
छठे रिमांडर के बाद भेजी रिपोर्ट
सहायक शिक्षकाें के विवरण के लिए एसआईटी ने पांच बार बीएसए को रिमांडर दिया। छठी बार रिपोर्ट न भेजने पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी। इसके बाद डिटेल उपलब्ध कराई गई।
सुनील कुमार ने खोला था घोटाला
बीएड की फर्जी मार्कशीट का घोटाला अभ्यर्थी सुनील कुमार की जागरूकता के चलते हुआ। 2013 में हाईकोर्ट में फर्जी मार्कशीट की शिकायत हाईकोर्ट में की थी। इसके तार डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय से जुड़े पाए गए।
क्या है पूरा मामला:
डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय से संबंद्घ बीएड कालेजों ने निर्धारित बीएड सीट से अधिक अभ्यर्थियों को मार्कशीट जनरेट कर प्रदान कर दी। पहला मामला 2005-06 के मध्य आया। अंदेशा लगाया जा रहा है। 2010 तक 25 हजार से अधिक फर्जी मार्कशीट वितरण कर दी गई हैं।
सभी ने 2007 से 2010 के बीच डा. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय से किया है बीएड
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आगरा (ब्यूरो)। बेसिक शिक्षा विभाग में आगरा जनपद में तैनात 1,400 सहायक अध्यापकों की बीएड की डिग्री फर्जी हो सकती है। डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में फर्जी डिग्री मामले की जांच कर रही एसआईटी ने इसकी हकीकत जानने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग से इनके शैक्षणिक दस्तावेज ले लिए हैं। सत्यापन भी शुरू किया जा चुका है।
ये डिग्रियां 2007 से 2010 के मध्य की हैं। एसआईटी को बताया गया था कि विवि से संबद्ध कॉलेजों ने फर्जीवाड़ा करके आवंटित सीटों से अधिक बीएड की हजारों डिग्रियां जारी कर दीं। परीक्षा में उतने ही अभ्यर्थी बैठे, जितनी सीट आवंटित थीं। बाकी को बगैर परीक्षा के ही डिग्री दे दी गई। इनमें से जनपद में ही 1,400 सहायक अध्यापक भी नियुक्ति हो गए। एसआईटी के सूत्रों ने बताया कि इसकी जानकारी मिलते ही बेसिक शिक्षा विभाग से ऐसे सभी अध्यापकों की डिटेल मांगी गई थी।
इसमें अभ्यर्थी और उसके पिता का नाम, उनका स्थायी-अस्थायी पता, ट्रेनिंग बाद पहली ज्वाइनिंग वाला क्षेत्र और शैक्षणिक रिकार्ड शामिल है। अब इनकी डिग्रियों का रिकार्ड विवि में देखा जा रहा है। इनके अलावा ऐसे भी मामले आ रहे हैं, जिनमें बीएड में अंक बढ़ाने के लिए मार्क्सशीट में व्हाइटनर का प्रयोग किया गया। एसआईटी की जांच से विवि से लेकर उन कॉलेजों तक में हड़कंप मचा है, जिन पर फर्जी डिग्री जारी करने का शक है।
गौरतलब है कि बेसिक शिक्षा विभाग में पिछले दिनों कराई गई जांच पड़ताल में 10 सहायक अध्यापकों की डिग्री फर्जी पाई गई थी। ये शिक्षा मित्र से सहायक अध्यापक बने थे। इनके खिलाफ एफआईआर के आदेश हो चुके हैं।
छठे रिमांडर के बाद भेजी रिपोर्ट
सहायक शिक्षकाें के विवरण के लिए एसआईटी ने पांच बार बीएसए को रिमांडर दिया। छठी बार रिपोर्ट न भेजने पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी। इसके बाद डिटेल उपलब्ध कराई गई।
सुनील कुमार ने खोला था घोटाला
बीएड की फर्जी मार्कशीट का घोटाला अभ्यर्थी सुनील कुमार की जागरूकता के चलते हुआ। 2013 में हाईकोर्ट में फर्जी मार्कशीट की शिकायत हाईकोर्ट में की थी। इसके तार डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय से जुड़े पाए गए।
क्या है पूरा मामला:
डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय से संबंद्घ बीएड कालेजों ने निर्धारित बीएड सीट से अधिक अभ्यर्थियों को मार्कशीट जनरेट कर प्रदान कर दी। पहला मामला 2005-06 के मध्य आया। अंदेशा लगाया जा रहा है। 2010 तक 25 हजार से अधिक फर्जी मार्कशीट वितरण कर दी गई हैं।
सभी ने 2007 से 2010 के बीच डा. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय से किया है बीएड
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