इलाहाबाद (ब्यूरो)। प्रदेश में नई सरकार के गठन के तीन वर्ष से अधिक का
समय बीत जाने के बाद भी प्राथमिक शिक्षा की दिशा में कोई सुधार नहीं हुआ
है। प्राथमिक विद्यालयों के लिए 2011 में घोषित 72825 शिक्षकों के पदों पर
चार वर्ष बाद भी नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकी है। अभी
तक प्राथमिक विद्यालयों में इन शिक्षकों की तैनाती नहीं हो सकी है।
शिक्षामित्रों की समायोजन प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद इन शिक्षामित्राें में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी के बीच ही मिड-डे मील तैयार करने के काम में शिक्षकों को लगा देने से पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
प्रदेश के 1.13 लाख प्राथमिक विद्यालयों में इस समय लगभग चार लाख शिक्षक तैनात हैं, जबकि प्रदेश के 46 हजार उच्च प्राथमिक विद्यालयों में लगभग 80 हजार शिक्षक तैनात हैं। प्राथमिक विद्यालयों के चार लाख शिक्षकों में 72825 शिक्षक सहित लगभग सवा लाख शिक्षामित्र भी शामिल हैं। इस प्रकार वर्तमान समय में प्राथमिक विद्यालयों में लगभग दो लाख शिक्षक ही तैनात हैं। आंकड़ों की दृष्टि से देखा जाए तो इस समय एक विद्यालय पर दो शिक्षक भी तैनात नहीं हैं।
72825 शिक्षकों की भर्ती में लगभग 54 हजार शिक्षकों का प्रशिक्षण लगभग पूरा हो चुका है। इन प्रशिक्षु शिक्षकों को तैनाती से पहले विभाग की ओर से 24-25 अगस्त को होने वाली परीक्षा पास करनी होगी। परीक्षा पास होने के बाद ही इन शिक्षकों को विद्यालयों में तैनाती मिलेगी। शिक्षामित्रों के समायोजन का मामला कोर्ट की रोक के बाद ठप पड़ा हैं। ऐसे में विद्यालयों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है। सचिव बेसिक शिक्षा परिषद संजय सिन्हा का कहना है कि 72825 शिक्षकों के साथ अभी 15 हजार बीटीसी, विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षितों को नियुक्ति मिलनी है। ऐसे में शिक्षकाें की कमी पूरी की जा सकेगी। उन्होंने बताया कि शिक्षामित्रों का समायोजन का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। सरकार इस बारे में कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी।
फैसले का अध्ययन करने के बाद लेंगे निर्णय: महाधिवक्ता
मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने की स्पेशल अपील की संस्तुति
इलाहाबाद(ब्यूरो)। मंत्रियों, अफसरों और सरकार से वेतन पाने वाले सभी कर्मचारियों के बच्चों का परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में पढ़ना अनिवार्य करने संबंधी हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद इस पर मंथन शुरू हो गया है। पचास पेज से अधिक के विस्तृत फैसले में अदालत ने प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा की बदहाली पर कड़ी टिप्पणियां की हैं। इस आदेश के परिपेक्ष्य में सरकार भी अपनी रणनीति बनाने में जुट गई है। महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह का कहना है कि कोर्ट के आदेश का अध्ययन किया जा रहा है। इसके हर पहलू पर विचार करने के बाद निर्णय लिया जाएगा कि सरकार स्पेशल अपील करेगी या आदेश को लागू करेगी। उन्होंने कहा कि तत्काल कोई निर्णय लेना जल्दबाजी होगी, इसलिए हम फैसले के हर पहलू पर गौर कर लेना चाहते हैं। वहीं दूसरी ओर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने फैसले के खिलाफ स्पेशल अपील दाखिल की महाधिवक्ता से संस्तुति की है। रमेश उपाध्याय का कहना है कि कोर्ट के निर्णय के कानूनी पहलुओं पर विचार करने के उपरांत उन्होंने अपनी संस्तुति भेजी है
शिक्षकों की कमी पढ़ाई ठप
प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में पहले से ही शिक्षकों की कमी बनी है। ऐसे में विद्यालयों में तैनात शिक्षकों को मिड-डे मील वितरण और उसे तैयार करवाने की जिम्मेदारी दे देने से पढ़ाई-लिखाई ठप है। विद्यालयों में बच्चे पढ़ाई के लिए नहीं बल्कि मिड-डे मील खाने के लिए जा रहे हैं। मिड-डे मील के फेर में स्कूलों में पढ़ाई पटरी से उतरी है।
पढ़ाई, उपचार के लिए बने कानून
इलाहाबाद (ब्यूरो)। इलाहाबाद हाईकोर्ट के दिए गए फैसले को लेकर जहां लोगों में खुशी का माहौल है वहीं जनसंगठनों ने इस फैसले का स्वागत किया है। जनसंगठनों ने मांग की है कि शिक्षा और उपचार के लिए नए कानून बनने चाहिए ताकि सभी को एक समान सुविधा मुहैया हो सके।
यंग लायर्स एसोसिएशन की बुधवार को हुई आम सभा में मंत्री सुनील पांडेय ने कहा कि नौकरशाहों और सरकारी कर्मचारियों के बच्चे अगर सरकारी स्कूलों पढ़ेंगे तो व्यवस्था में सुधार आएगा। पूर्व बार अध्यक्ष विनोद चंद्र दूबे और अधिवक्ता जगदीश त्रिपाठी ने इसे एतिहासिक फैसला बताया। कहा कि इस पर कानून बनाए जाने की जरूरत है। प्रगतिशील समाज पार्टी और जनहित संघर्ष समिति ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों के बच्चों के सरकारी स्कूल में पढ़ने से उन स्कूलों की दशा में सुधार आएगा। समिति की बैठक में राजेश केसरवानी, लल्लू कुशवाहा, दिनेश विश्वकर्मा, रवि शुक्ला, महेश आदि और प्रगतिशील समाज पार्टी की बैठक में रंजीत सिंह, डीपी सिंह, उमेश तिवारी, सतेंद्र कुशवाहा, राज कुमार पाल मौजूद रहे।
सूबे के 1.13 लाख विद्यालयों में प्रति विद्यालय में दो शिक्षक भी नहीं
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शिक्षामित्रों की समायोजन प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद इन शिक्षामित्राें में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी के बीच ही मिड-डे मील तैयार करने के काम में शिक्षकों को लगा देने से पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
प्रदेश के 1.13 लाख प्राथमिक विद्यालयों में इस समय लगभग चार लाख शिक्षक तैनात हैं, जबकि प्रदेश के 46 हजार उच्च प्राथमिक विद्यालयों में लगभग 80 हजार शिक्षक तैनात हैं। प्राथमिक विद्यालयों के चार लाख शिक्षकों में 72825 शिक्षक सहित लगभग सवा लाख शिक्षामित्र भी शामिल हैं। इस प्रकार वर्तमान समय में प्राथमिक विद्यालयों में लगभग दो लाख शिक्षक ही तैनात हैं। आंकड़ों की दृष्टि से देखा जाए तो इस समय एक विद्यालय पर दो शिक्षक भी तैनात नहीं हैं।
72825 शिक्षकों की भर्ती में लगभग 54 हजार शिक्षकों का प्रशिक्षण लगभग पूरा हो चुका है। इन प्रशिक्षु शिक्षकों को तैनाती से पहले विभाग की ओर से 24-25 अगस्त को होने वाली परीक्षा पास करनी होगी। परीक्षा पास होने के बाद ही इन शिक्षकों को विद्यालयों में तैनाती मिलेगी। शिक्षामित्रों के समायोजन का मामला कोर्ट की रोक के बाद ठप पड़ा हैं। ऐसे में विद्यालयों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है। सचिव बेसिक शिक्षा परिषद संजय सिन्हा का कहना है कि 72825 शिक्षकों के साथ अभी 15 हजार बीटीसी, विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षितों को नियुक्ति मिलनी है। ऐसे में शिक्षकाें की कमी पूरी की जा सकेगी। उन्होंने बताया कि शिक्षामित्रों का समायोजन का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। सरकार इस बारे में कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी।
फैसले का अध्ययन करने के बाद लेंगे निर्णय: महाधिवक्ता
मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने की स्पेशल अपील की संस्तुति
इलाहाबाद(ब्यूरो)। मंत्रियों, अफसरों और सरकार से वेतन पाने वाले सभी कर्मचारियों के बच्चों का परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में पढ़ना अनिवार्य करने संबंधी हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद इस पर मंथन शुरू हो गया है। पचास पेज से अधिक के विस्तृत फैसले में अदालत ने प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा की बदहाली पर कड़ी टिप्पणियां की हैं। इस आदेश के परिपेक्ष्य में सरकार भी अपनी रणनीति बनाने में जुट गई है। महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह का कहना है कि कोर्ट के आदेश का अध्ययन किया जा रहा है। इसके हर पहलू पर विचार करने के बाद निर्णय लिया जाएगा कि सरकार स्पेशल अपील करेगी या आदेश को लागू करेगी। उन्होंने कहा कि तत्काल कोई निर्णय लेना जल्दबाजी होगी, इसलिए हम फैसले के हर पहलू पर गौर कर लेना चाहते हैं। वहीं दूसरी ओर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने फैसले के खिलाफ स्पेशल अपील दाखिल की महाधिवक्ता से संस्तुति की है। रमेश उपाध्याय का कहना है कि कोर्ट के निर्णय के कानूनी पहलुओं पर विचार करने के उपरांत उन्होंने अपनी संस्तुति भेजी है
शिक्षकों की कमी पढ़ाई ठप
प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में पहले से ही शिक्षकों की कमी बनी है। ऐसे में विद्यालयों में तैनात शिक्षकों को मिड-डे मील वितरण और उसे तैयार करवाने की जिम्मेदारी दे देने से पढ़ाई-लिखाई ठप है। विद्यालयों में बच्चे पढ़ाई के लिए नहीं बल्कि मिड-डे मील खाने के लिए जा रहे हैं। मिड-डे मील के फेर में स्कूलों में पढ़ाई पटरी से उतरी है।
पढ़ाई, उपचार के लिए बने कानून
इलाहाबाद (ब्यूरो)। इलाहाबाद हाईकोर्ट के दिए गए फैसले को लेकर जहां लोगों में खुशी का माहौल है वहीं जनसंगठनों ने इस फैसले का स्वागत किया है। जनसंगठनों ने मांग की है कि शिक्षा और उपचार के लिए नए कानून बनने चाहिए ताकि सभी को एक समान सुविधा मुहैया हो सके।
यंग लायर्स एसोसिएशन की बुधवार को हुई आम सभा में मंत्री सुनील पांडेय ने कहा कि नौकरशाहों और सरकारी कर्मचारियों के बच्चे अगर सरकारी स्कूलों पढ़ेंगे तो व्यवस्था में सुधार आएगा। पूर्व बार अध्यक्ष विनोद चंद्र दूबे और अधिवक्ता जगदीश त्रिपाठी ने इसे एतिहासिक फैसला बताया। कहा कि इस पर कानून बनाए जाने की जरूरत है। प्रगतिशील समाज पार्टी और जनहित संघर्ष समिति ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों के बच्चों के सरकारी स्कूल में पढ़ने से उन स्कूलों की दशा में सुधार आएगा। समिति की बैठक में राजेश केसरवानी, लल्लू कुशवाहा, दिनेश विश्वकर्मा, रवि शुक्ला, महेश आदि और प्रगतिशील समाज पार्टी की बैठक में रंजीत सिंह, डीपी सिंह, उमेश तिवारी, सतेंद्र कुशवाहा, राज कुमार पाल मौजूद रहे।
सूबे के 1.13 लाख विद्यालयों में प्रति विद्यालय में दो शिक्षक भी नहीं
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