सूबे के बीएड कॉलेजों में सत्र 2016-18 के लिए आवेदन की प्रक्रिया बुधवार
से शुरू होगी। प्रवेश परीक्षा आयोजक लखनऊ विश्वविद्यालय में बीएड के
समन्वयक प्रो. वाईके शर्मा ने बताया कि अभ्यर्थी आठ मार्च तक ऑनलाइन
पंजीकरण करा सकते हैं।
इसके बाद फीस जमा करके फॉर्म पूरा करने की अंतिम तिथि 12 मार्च रखी गई है। जबकि पहले ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 10 मार्च रखी गई थी। प्रवेश परीक्षा का आयोजन 22 अप्रैल को हेागा।
प्रो. शर्मा ने बताया कि अभ्यर्थी बीएड की वेबसाइट
www.upbed.nic.in
पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए अभ्यर्थी को सबसे पहले वेबसाइट पर अपना पंजीकरण करना होगा। इसके बाद वह ई-चालान के जरिये या ऑनलाइन ही अपना आवेदन शुल्क जमा कर सकेगा।
जनरल व ओबीसी अभ्यर्थियों के लिए एक हजार रुपये और एससी व एसटी अभ्यर्थियों के 550 रुपये आवेदन शुल्क रखा गया है। फीस जमा करने के बाद अभ्यर्थी को अपने ट्रांजक्शन आईडी के माध्यम से अपना ऑनलाइन फॉर्म भरना होगा। पूरे भरे हुए फॉर्म की हार्ड कॉपी लखनऊ विश्वविद्यालय भेजने की अंतिम तिथि 21 मार्च रखी गई है।
अनुदानित कॉलेजों में प्रवेश पर अभी संशय
बीएड में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन गुरुवार से शुरू रहे हैं लेकिन सूबे के अनुदानित कॉलेजों में प्रवेश की गुत्थी अभी तक नहीं सुलझ पाई है। नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) के नए मानकों के अनुसार 50 छात्रों के एक सेक्शन पर सात टीचरों की संख्या करने को लेकर अभी तक अनुदानित कॉलेजों में नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई। सभी अनुदानित कॉलेजों में पहले की तरह ही एक सेक्शन पर आठ शिक्षक ही हैं। फिलहाल जो स्थितियां बन रही हैं, उनके अनुसार अनुदानित कॉलेजों में नियुक्ति होना काफी मुश्किल दिख रहा है। ऐसे में बीएड प्रवेश के लिए सूबे के 112 अनुदानित कॉलेजों की लगभग 1100 सीटों पर प्रवेश होता दिखाई नहीं देता। ऐसे में अभ्यर्थियों के पास महज स्ववित्तपोषित कॉलेजों में ही प्रवेश का विकल्प रह जाएगा। बता देें ‘अमर उजाला’ ने चार फरवरी के अंक में सूबे के अनुदानित कॉलेजों में बीएड प्रवेश पर संकट शीर्षक से खबर प्रकाशित करके अभ्यर्थियों को आने वाली समस्या को को उठा चुका है।
कहीं घट न जाए आवेदनों की संख्या
सत्र 2016-18 के लिए बीएड में आवेदनों की संख्या घटने की संभावना जताई जा रही है। इसके दो प्रमुख कारण हैं। पहला, बीएड का कोर्स दो साल का होने से अभ्यर्थियों का रुझान 2015 से ही इसमें घटने लगा है। दूसरा, इस बार की प्रवेश प्रक्रिया में अनुदानित कॉलेजों का विकल्प फिलहाल न होना भी बुरा प्रभाव डालेगा। अनुदानित व स्ववित्तपोषित कॉलेजों के शुल्क में सात से आठ गुना फीस का अंतर है। अनुदानित कॉलेजों में जहां 6-8 हजार रुपये फीस है, वहीं स्ववित्तपोषित कॉलेजों में 50 हजार रुपये से अधिक। यदि जल्द ही अनुदानित कॉलेजों में एनसीटीई के नए मानकों के अनुसार शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई तो वह काउंसलिंग में शामिल नहीं हो पाएंगे।
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इसके बाद फीस जमा करके फॉर्म पूरा करने की अंतिम तिथि 12 मार्च रखी गई है। जबकि पहले ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 10 मार्च रखी गई थी। प्रवेश परीक्षा का आयोजन 22 अप्रैल को हेागा।
प्रो. शर्मा ने बताया कि अभ्यर्थी बीएड की वेबसाइट
www.upbed.nic.in
पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए अभ्यर्थी को सबसे पहले वेबसाइट पर अपना पंजीकरण करना होगा। इसके बाद वह ई-चालान के जरिये या ऑनलाइन ही अपना आवेदन शुल्क जमा कर सकेगा।
जनरल व ओबीसी अभ्यर्थियों के लिए एक हजार रुपये और एससी व एसटी अभ्यर्थियों के 550 रुपये आवेदन शुल्क रखा गया है। फीस जमा करने के बाद अभ्यर्थी को अपने ट्रांजक्शन आईडी के माध्यम से अपना ऑनलाइन फॉर्म भरना होगा। पूरे भरे हुए फॉर्म की हार्ड कॉपी लखनऊ विश्वविद्यालय भेजने की अंतिम तिथि 21 मार्च रखी गई है।
अनुदानित कॉलेजों में प्रवेश पर अभी संशय
बीएड में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन गुरुवार से शुरू रहे हैं लेकिन सूबे के अनुदानित कॉलेजों में प्रवेश की गुत्थी अभी तक नहीं सुलझ पाई है। नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) के नए मानकों के अनुसार 50 छात्रों के एक सेक्शन पर सात टीचरों की संख्या करने को लेकर अभी तक अनुदानित कॉलेजों में नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई। सभी अनुदानित कॉलेजों में पहले की तरह ही एक सेक्शन पर आठ शिक्षक ही हैं। फिलहाल जो स्थितियां बन रही हैं, उनके अनुसार अनुदानित कॉलेजों में नियुक्ति होना काफी मुश्किल दिख रहा है। ऐसे में बीएड प्रवेश के लिए सूबे के 112 अनुदानित कॉलेजों की लगभग 1100 सीटों पर प्रवेश होता दिखाई नहीं देता। ऐसे में अभ्यर्थियों के पास महज स्ववित्तपोषित कॉलेजों में ही प्रवेश का विकल्प रह जाएगा। बता देें ‘अमर उजाला’ ने चार फरवरी के अंक में सूबे के अनुदानित कॉलेजों में बीएड प्रवेश पर संकट शीर्षक से खबर प्रकाशित करके अभ्यर्थियों को आने वाली समस्या को को उठा चुका है।
कहीं घट न जाए आवेदनों की संख्या
सत्र 2016-18 के लिए बीएड में आवेदनों की संख्या घटने की संभावना जताई जा रही है। इसके दो प्रमुख कारण हैं। पहला, बीएड का कोर्स दो साल का होने से अभ्यर्थियों का रुझान 2015 से ही इसमें घटने लगा है। दूसरा, इस बार की प्रवेश प्रक्रिया में अनुदानित कॉलेजों का विकल्प फिलहाल न होना भी बुरा प्रभाव डालेगा। अनुदानित व स्ववित्तपोषित कॉलेजों के शुल्क में सात से आठ गुना फीस का अंतर है। अनुदानित कॉलेजों में जहां 6-8 हजार रुपये फीस है, वहीं स्ववित्तपोषित कॉलेजों में 50 हजार रुपये से अधिक। यदि जल्द ही अनुदानित कॉलेजों में एनसीटीई के नए मानकों के अनुसार शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई तो वह काउंसलिंग में शामिल नहीं हो पाएंगे।
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