टीईटी नेताओं द्वारा उठाये जाने वाले कदमों की सच्चाई : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

यूपी के मेरे जाने अनजाने टीईटी के वैचारिक साथियों आज कुछ सच्चाई आप सभी के सामने रखना अतिआवश्यक है जिससे आप सभी जागरूक दूरदर्शी टीईटी मिलकर समय रहते टीईटी के तथाकथित एवं खरपतवारों की तरह उग रहे नेताओं द्वारा उठाये जाने वाले कदमों (अदूरदर्शी कदमों/ कानूनी अल्पज्ञान/ वैचारिक संकीर्णता/न समझी/ व्यक्तिगत स्वार्थ आदि के कारण)
को रोके और सही दिशा में चलने को (व्यक्तिगत तौर पर मिलकर , फ़ोन पर बात करके व सोशल मीडिया के माध्यम से) मजबूर करें वरना ये आपके भविष्य के सपने को गर्क में डुबाने की राह पर चलने की तैयारी कर रहे हैं |
ध्यान से पढ़िए और समझें भी -----
१)२५ मार्च २०१४ को माननीय उच्त्तम न्यायालय ने ७२८२५ पदों को टीईटी मेरिट के आधार पर १२ सप्ताह में भरने का आदेश यूपी सरकार को दिया था | १२ हफ्ते बीत जाने के बाद जब सरकार अगली तारीख पर कोर्ट पहुंची कोर्ट के सामने सरकार एक विनती करके नहीं ले गयी कोर्ट अपने आदेश की अवेलहना देखकर सख्त नाराजगी व्यक्त करते हुए १७ दिसम्बर २०१४ को सरकार को मौखिक तौर पर कहना शुरू किया कि जाइए पहले १०००० भर्ती करके लाइए तब आपकी सुनेंगे , फिर २५००० भर्ती करके लाने को कहा, फिर आरक्षित वर्ग में ७०% व अनाराक्षित वर्ग में ७५% करके लाने को कहा तभी अधिवक्ता विकास सिंह खड़े होकर ५% और मेरिट डाउन कराते हुए ६५% (९७ अंक आराक्षित वर्ग ) व ७०% (१०५ अंक अनाराक्षित वर्ग) अंक पाने वालों की नियुक्ति का आदेश करा लिया वो भी ७२८२५ पदों के सापेक्ष में न कि समस्त ६५% व ७०% अंक पाने वाले सभी को नियुक्ति देने के लिए २५ फ़रवरी २०१५ को कोर्ट ने साफ़ तौर पर मना कर दिया था कि यह विज्ञापन ७२८२५ पदों का है जो मेरिट में आएगा वही सेलेक्ट होगा ६५% व ७०% अंक पाने वाले सभी नहीं |
२)फिर अगली तारीख में कोर्ट ने आरक्षित वर्ग में ५% और नीचे मेरिट कर दी इसका कारण मात्र यह था कि स्पेशल केटेगरी व एससी केटेगरी की महिलाएं पुराने कट ऑफ में नहीं मिल रही थी और सीटें खाली जा रही थी इसलिए कोर्ट ने ६०% (९० अंक) आरक्षित वर्ग में करा दिया ७२८२५ पदों के सापेक्ष में न की ९० अंक तक सभी की नियुक्ति के लिए |
३)कोर्ट ने १७ दिसम्बर २०१४ के आदेश (६५% व ७०% ) के ७ दिसम्बर २०१६ तक हर बार की सुनवाई में ये ही कहा है कि कोर्ट द्वारा तय किया गया कट ऑफ (९० व १०५ अंक) में ७२८२५ विज्ञापित पदों के सापेक्ष आरक्षण के नियम के तेहत ही भर्ती हो न कि ९० अंक आरक्षित वर्ग में , १०५ अंक अनारक्षित वर्ग में पाने वाले सभी को नियुक्ति दी जाए |
४)मेरे टीईटी के भोले भाले सच्चे अभ्यर्थियों बहुत ध्यान से अगली बात समझें ९० अंक आरक्षित (ओबीसी) व १०५ अंक अनारक्षित वर्ग के बीच १५ अंकों का अंतर है , पूरा उत्तरप्रदेश बताये ऐसी कौन सी भर्ती है जिसमे ओबीसी व सामान्य वर्ग में १५ अंकों का अंतर हो बहुत अधिक ओबीसी या सामान्य वर्ग में २-४ अंकों के अंतर की स्थितियां होती हैं | यहाँ ९० व १०५ के बीच १५ अंकों का अंतर है माननीय उच्त्तम न्यायालय ऐसा आदेश कभी नहीं कर सकता कि ९० व १०५ अंक पाने वाले सभी का करके लाओ ऐसा आदेश अगर माननीय उच्त्तम न्यायालय कर दे तो आरक्षण के सारे नियम ध्वस्त हो जाएंगे और आरक्षण के नियमों का फॉलो हुए बिना न कोई भर्ती हुई है और न ही ऐसी भर्ती करने का आदेश हो सकता है | पर वैचारिक गन्दगी के पैदाईश टीईटी के कुछ नेता आरक्षण के नियम से भी ऊपर और माननीय उच्त्तम न्यायालय से भी आगे हो गए हैं और ९० अंक से १०५ अंक पाने वालों को भरमाकर आईए डालकर या रिट डालकर कतोफ्फ़ में आने वाले सभी को जॉब दिलाने का आदेश माननीय उच्त्तम न्यायालय से लाने का गजब का झांसा देकर फरेब का इतना बड़ा खेलकर सभी को बेवकूफ बनाकर ऐसा कार्य कर रहे हैं कि शर्म आती है इनकी न समझी पर , ऐसे नेताओं को ७२८२५ पदों के विज्ञापन से सम्बंधित आईए डालने से रोका जाए क्यूंकि ७२८२५ पदों की वेकेंसी क्लोज होते ही सारी नयी पड़ने वाली आईए स्वतः समाप्त हो जाएंगी और आईए में नाम दर्ज कराने वाले माननीय उच्त्तम न्यायालय में याची भी नहीं रह जाएंगे तब सिर्फ टीईटी अभ्यर्थी माथा पीटेंगे कि अब माननीय उच्त्तम न्यायालय में याची भी नहीं रह गए इसलिए इन नेताओं से रिट डलवाओ आईए नहीं |
शेष विस्तार से अगली पोस्ट में |
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