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एसआइटी जांच से उड़ी शिक्षकों की नींद : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : विश्वविद्यालय के बीएड फर्जीवाड़ा की जांच से फीरोजाबाद के भी कई शिक्षकों की नींद उड़ी हुई है। दो दर्जन से ज्यादा शिक्षकों को अब तक एसआइटी नोटिस भेज कर लखनऊ तलब कर चुकी है।
इससे अन्य शिक्षकों में खासी बेचैनी है, खासतौर पर वो शिक्षक परेशान हैं, जिन्होने बीएड के इस खेल में बैकडोर से डिग्री हासिल कर नौकरी पा ली। लेकिन अब इस जांच में उनके फंसने की संभावना बढ़ती जा रही है।
विभागीय सूत्रों की माने तो फीरोजाबाद में फर्जी डिग्री से नौकरी करने वाले शिक्षकों की बड़ी तादाद है। अगर ईमानदारी से जांच हो तो बड़ी संख्या में शिक्षकों पर कार्रवाई होगी।
विभागीय सूत्रों की माने तो फीरोजाबाद में भी बड़े पैमाने पर आगरा एवं अन्य जिलों के शिक्षक बीएड की उन डिग्रियों के बल पर ही नौकरी कर रहे हैं, जिन डिग्रियों को विवि के कॉकस द्वारा बनाया गया है। कई शिक्षकों ने तो बीएड की एक दिन क्लास तक नहीं ली थी, बल्कि अंतिम वक्त पर लाखों रुपये देकर उनका प्रवेश हुआ तथा परीक्षाओं में बैठा कर इनकी फ‌र्स्ट डिवीजन की डिग्री बनाई गई। हाई मेरिट के आधार पर यह शिक्षक परिषदीय स्कूलों में नौकरी भी पा गए। अब एसआइटी की जांच में बीएड के फर्जीवाड़े की परत दर परत खुल रही है तो इन शिक्षकों की नींद भी उड़ रही है।
तीन चरणों में बुलाए गए थे शिक्षक
एसआइटी द्वारा जांच काफी संजीदगी के साथ में की जा रही है। एक साथ जांच के स्थान पर चरणों में शिक्षकों को अभिलेखों सहित तलब किया जा रहा है। फीरोजाबाद में तीन चरणों में 28 नोटिस भेजे गए। पहले चरण में 11 शिक्षकों को एसआइटी ने नोटिस भेज कर तलब किया तो दूसरे चरण में नौ शिक्षकों को नोटिस भेजे। जनवरी माह के अंतिम सप्ताह में भी नौ शिक्षकों को लखनऊ तलब किया गया था। ऐसे में अन्य शिक्षकों को डर सता रहा है कहीं उनकी भी पेशी एसआइटी के समक्ष न हो जाए।
फीरोजाबाद से जुड़े रहे हैं कर्मचारियों के तार

विवि में कार्य करने वाले कॉकस के तार फीरोजाबाद से जुड़े रहे हैं। सिर्फ बीएड की डिग्री ही नहीं, बल्कि स्नातक की अंकतालिका में भी बड़े पैमाने पर नंबरों में हेर-फेर की गई। थर्ड डिवीजन वालों को अंतिम वर्ष में 80 फीसद तक नंबर विवि कर्मचारियों की मिली भगत से हासिल हुए। इसके लिए कर्मचारियों ने फीरोजाबाद के ही उन शिक्षकों को जिम्मेदारी सौंप रखी, जो कर्मचारियों के खास हुआ करते थे। फर्जीवाड़े के इस खेल में फर्जी डिग्री से शिक्षक बनने वालों ने छात्र-छात्राओं के काम कराने के नाम पर बड़ा खेल खेला।
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