--- बेसिक शिक्षा विभाग में एंटी करप्शन टीम ने मारा छापा
--- बीएसए कार्यालय में तैनात प्रधान लिपिक "कुंजबिहारी" को रिश्वत लेते रंगे हाथ किया गिरफ्तार
--- तथ्यहीन शिकायत की जाँच के नाम पर शिक्षक वेगराज सिंह से ली थी 10 हजार की रिश्वत
--- भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए "यूटा" बना यमराज
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मथुरा के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में तैनात प्रधान लिपिक-कुंजबिहारी को प्राथमिक विद्यालय भगवान गढ़ी ब्लॉक- नौहझील में कार्यरत शिक्षक- वेगराज सिंह से 10 हजार की रिश्वत लेना आज बहुत भारी पड़ गया।
सामान्यतः रिश्वत लेने के आदी भ्रष्ट बड़े बाबू कुंजबिहारी ने रोजाना की तरह शिक्षक से जैसे ही 10 हजार रूपये लेकर अपने पास रखे, वैसे ही मौके पर सादे भेष में सब कुछ अपनी नजरों में कैद कर वहाँ पहले से ही जाल बिछाए बैठे एंटीकरप्शन के अधिकारियों और सदस्यों ने उसको बतौर रिश्वत लिए 10 हजार रूपये सहित दबोच लिया।
पीड़ित शिक्षक वेगराज सिंह ने बताया कि उसके विरुद्ध बीएसए कार्यालय में लम्बित तथ्यहीन शिकायत की जाँच के नाम पर उक्त भ्रष्ट प्रधान लिपिक काफी समय से उसका मानसिक उत्पीडन कर रहा था। और शिकायत की जाँच के नाम पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारी का पत्र दिखाकर शिक्षक से 20 हजार रूपये बतौर रिश्वत माँग रहा था। पीड़ित शिक्षक ने शिकायत के पूर्णतः तथ्यहीन होने के साक्ष्यों से भी भ्रष्ट बाबू को अवगत कराया था लेकिन प्रधान लिपिक कुंजविहारी ने साफ शब्दों में कह दिया था कि "गोबर गिरता है तो कुछ लेकर ही उठता है" इसलिए बिना लिए-दिए शिकायत निक्षेपित नहीं होगी। शिक्षक के काफी अनुनय-विनय के बाद बाबू वमुश्किल 10 हजार रूपये लेने पर तैयार हुआ।
पीड़ित शिक्षक ने प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष-यशवीर सिंह राघव के साथ यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन(यूटा) के प्रदेश संयोजक- शिवराज सिंह से सम्पर्क साधा और उनकी सलाह के बाद आगरा में एंटी करप्शन विभाग में अधिकारियों से सम्पर्क स्थापित किया।
एंटीकरप्शन टीम द्वारा 10 हजार रूपये के नोटों पर पाउडर लगाकर पीड़ित शिक्षक को दिए और पूर्व निर्धारित वायदे के अनुसार शिक्षक वेगराज सिंह ने आज जैसे ही पाउडर लगे नोट बतौर रिश्वत भ्रष्ट बाबू कुंजबिहारी को दिए , मौके पर पूरा नजारा देख रहे एंटीकरप्शन टीम के सदस्यों ने भ्रष्ट बाबू को रिश्वत में लिए 10 हजार रूपये सहित दबोच लिया।
शिक्षा विभाग के साथ-साथ अन्य विभागों में से भ्रष्टाचार का सफाया करने के लिए संकल्पित यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन(यूटा) के सहयोग व प्रेरणा से अब तक करीब एक दर्जन से अधिक भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी रंगे हाथ गिरफ्तार करवाकर जेल भिजवाए जा चुके हैं।
यूटा के प्रदेश संयोजक शिवराज सिंह ने बताया कि वैसे तो प्रत्येक सरकारी महकमे में भ्रष्टाचार व्याप्त है लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है यहाँ महिला शिक्षिकाओं से सी.सी.एल.स्वीकृति के नाम पर खंड शिक्षा अधिकारियों द्वारा खुलेआम 5 हजार रूपये महीने, एरियर बिल पास करवाने के नाम पर 10 प्रतिशत, मेडिकल स्वीकृति के नाम पर 2 से 3 हजार रूपये मासिक, नवनियुक्त अध्यापकों से वेतन लगवाने के नाम पर 10 हजार, और सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों से जी.पी.ऍफ़. भुगतान और पेंशन निर्धारण के नाम पर 80 हजार रूपये की रिश्वत ली जाती है। लेकिन यूटा ने ठान लिया है कि उनकी टीम द्वारा पूरे प्रदेश में चिन्हित 200 भ्रष्ट अधिकारी उनकी रडार पर हैं और वो उनको जेल भिजवाकर ही रहेंगे। हालाँकि यूटा को यमराज की संज्ञा देने वाले भ्रष्ट अधिकारियों में अन्दर ही अन्दर काफी डर तो बैठा है लेकिन पैसे के लालच में वे अभी सुधार के मूड में नहीं जिसका ही परिणाम है कि आज बीएसए कार्यालय का प्रधान लिपिक "कुंजबिहारी" सलाखों के पीछे है।
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--- बीएसए कार्यालय में तैनात प्रधान लिपिक "कुंजबिहारी" को रिश्वत लेते रंगे हाथ किया गिरफ्तार
--- तथ्यहीन शिकायत की जाँच के नाम पर शिक्षक वेगराज सिंह से ली थी 10 हजार की रिश्वत
--- भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए "यूटा" बना यमराज
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मथुरा के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में तैनात प्रधान लिपिक-कुंजबिहारी को प्राथमिक विद्यालय भगवान गढ़ी ब्लॉक- नौहझील में कार्यरत शिक्षक- वेगराज सिंह से 10 हजार की रिश्वत लेना आज बहुत भारी पड़ गया।
सामान्यतः रिश्वत लेने के आदी भ्रष्ट बड़े बाबू कुंजबिहारी ने रोजाना की तरह शिक्षक से जैसे ही 10 हजार रूपये लेकर अपने पास रखे, वैसे ही मौके पर सादे भेष में सब कुछ अपनी नजरों में कैद कर वहाँ पहले से ही जाल बिछाए बैठे एंटीकरप्शन के अधिकारियों और सदस्यों ने उसको बतौर रिश्वत लिए 10 हजार रूपये सहित दबोच लिया।
पीड़ित शिक्षक वेगराज सिंह ने बताया कि उसके विरुद्ध बीएसए कार्यालय में लम्बित तथ्यहीन शिकायत की जाँच के नाम पर उक्त भ्रष्ट प्रधान लिपिक काफी समय से उसका मानसिक उत्पीडन कर रहा था। और शिकायत की जाँच के नाम पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारी का पत्र दिखाकर शिक्षक से 20 हजार रूपये बतौर रिश्वत माँग रहा था। पीड़ित शिक्षक ने शिकायत के पूर्णतः तथ्यहीन होने के साक्ष्यों से भी भ्रष्ट बाबू को अवगत कराया था लेकिन प्रधान लिपिक कुंजविहारी ने साफ शब्दों में कह दिया था कि "गोबर गिरता है तो कुछ लेकर ही उठता है" इसलिए बिना लिए-दिए शिकायत निक्षेपित नहीं होगी। शिक्षक के काफी अनुनय-विनय के बाद बाबू वमुश्किल 10 हजार रूपये लेने पर तैयार हुआ।
पीड़ित शिक्षक ने प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष-यशवीर सिंह राघव के साथ यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन(यूटा) के प्रदेश संयोजक- शिवराज सिंह से सम्पर्क साधा और उनकी सलाह के बाद आगरा में एंटी करप्शन विभाग में अधिकारियों से सम्पर्क स्थापित किया।
एंटीकरप्शन टीम द्वारा 10 हजार रूपये के नोटों पर पाउडर लगाकर पीड़ित शिक्षक को दिए और पूर्व निर्धारित वायदे के अनुसार शिक्षक वेगराज सिंह ने आज जैसे ही पाउडर लगे नोट बतौर रिश्वत भ्रष्ट बाबू कुंजबिहारी को दिए , मौके पर पूरा नजारा देख रहे एंटीकरप्शन टीम के सदस्यों ने भ्रष्ट बाबू को रिश्वत में लिए 10 हजार रूपये सहित दबोच लिया।
शिक्षा विभाग के साथ-साथ अन्य विभागों में से भ्रष्टाचार का सफाया करने के लिए संकल्पित यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन(यूटा) के सहयोग व प्रेरणा से अब तक करीब एक दर्जन से अधिक भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी रंगे हाथ गिरफ्तार करवाकर जेल भिजवाए जा चुके हैं।
यूटा के प्रदेश संयोजक शिवराज सिंह ने बताया कि वैसे तो प्रत्येक सरकारी महकमे में भ्रष्टाचार व्याप्त है लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है यहाँ महिला शिक्षिकाओं से सी.सी.एल.स्वीकृति के नाम पर खंड शिक्षा अधिकारियों द्वारा खुलेआम 5 हजार रूपये महीने, एरियर बिल पास करवाने के नाम पर 10 प्रतिशत, मेडिकल स्वीकृति के नाम पर 2 से 3 हजार रूपये मासिक, नवनियुक्त अध्यापकों से वेतन लगवाने के नाम पर 10 हजार, और सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों से जी.पी.ऍफ़. भुगतान और पेंशन निर्धारण के नाम पर 80 हजार रूपये की रिश्वत ली जाती है। लेकिन यूटा ने ठान लिया है कि उनकी टीम द्वारा पूरे प्रदेश में चिन्हित 200 भ्रष्ट अधिकारी उनकी रडार पर हैं और वो उनको जेल भिजवाकर ही रहेंगे। हालाँकि यूटा को यमराज की संज्ञा देने वाले भ्रष्ट अधिकारियों में अन्दर ही अन्दर काफी डर तो बैठा है लेकिन पैसे के लालच में वे अभी सुधार के मूड में नहीं जिसका ही परिणाम है कि आज बीएसए कार्यालय का प्रधान लिपिक "कुंजबिहारी" सलाखों के पीछे है।
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