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बीएसए साहब ने महिलाओं पर दिखाई दबंगई , बीएसए पर अबतक कार्रवाई नहीं

बांदा। अपने मानदेय प्रपत्र में हस्ताक्षर कराने के लिए सोमवार को महिला कर्मी बेसिक शिक्षा अधिकारी के दफ्तर गई थीं। यहां उनकी मांगें तो नहीं सुनी गई, उल्टे बीएसए साहब ने महिलाओं पर दबंगई दिखाई।
जी हां, बीएसए ने न सिर्फ महिला कर्मियों के साथ बदतमीजी की, बल्कि उनकी पिटाई तक कर डाली।

ये रोती-बिलखती महिलाएं बाँदा के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों की रसोईयां और लेखाकार हैं। जिनका आरोप है कि बीएसए ओपी त्रिपाठी ने उनको गालियां देते हुए उनके रजिस्टर और चेक फाड़ दिये। उनको लात-घूंसों से मारा, जिससे उनके कपड़े तक फट गये। इन महिलाओं का कहना है कि उन्होंने कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में वार्डेन द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार की जिलाधिकारी द्वारा कराई गयी जांच में सच बताया था।
जिसके चलते भ्रष्टाचार में लिप्त बेसिक शिक्षा अधिकारी ने उन्हें नौकरी से निकाले जाने की धमकियां दी थी और उनकी संविदा का नवीनीकरण न करके उनकी सेवाएं भी खत्म कर दी।

बीएसए की इस हरकत के खिलाफ वहां मौजूद शिक्षक ने भी कड़ा विरोध किया। महिला उत्पीड़न करने वाले बीएसए के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। इस सम्बन्ध में बीएसए ने संविदा समाप्त करने का ज़िम्मेदार जिलाधिकारी को बताते हुए अपने ऊपर लगे आरोप सिरे से नकार दिये।

एक ओर अपने पर लगे आरोपों से बीएसए ने पल्ला झाड़ा और आरेापों को बेबुनियाद बताया। वहीँ इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी योगेश कुमार का कहना है कि जांच कराने के  बाद यदि मामला सही निकलता है तो बीएसए के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की जाएगी।
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