सातवें वेतन आयोग के तहत 56 तरह के भत्तों को खत्म किए जाने और बाकी भत्तों
को मर्ज कर उनकी संख्या घटाए जाने का प्रस्ताव है। इस पर विचार के लिए एक
कमेटी भी गठित की गई है। अगर भत्ते खत्म होते हैं और कुछ
अन्य भत्तों को मर्ज किया जाता है तो इससे केंद्रीय कर्मियों को तगड़ा
झटका लगेगा।
कम से कम उन भत्तों के खत्म किए जाने या मर्ज होने से ज्यादा नुकसान होगा, जो आयकर कटौती से मुक्त हैं।
कर एवं वित्त सलाहकार पवन जायसवाल का कहना है कि जजेज, डिफेंस और सिविलियंस कर्मियों के लिए तकरीबन 200 प्रकार के भत्ते हैं। इनमें 56 भत्तों को समाप्त किए जाने की तैयारी है। सरकार चाहती है कि कुल तीन दर्जन प्रकार के भत्ते हों और पूरा ध्यान वेतन एवं महंगाई भत्ते पर दिया जाए। कुछ भत्ते ऐसे हैं जो करमुक्त होते हैं। मसलन, पर्वतीय क्षेत्र भत्ता, प्रतिकूल मौसम भत्ता, बफीला क्षेत्र भत्ता पर 300 से 800 रुपये तक, सीमा क्षेत्र भत्ता, सुदूर क्षेत्र भत्ता, दुष्कर क्षेत्र भत्ता पर 200 से 1300 रुपये तक, जनजाति क्षेत्र/अनुसूचित क्षेत्र भत्ता पर 200 रुपये तक, बच्चों की शिक्षा भत्ता पर 100 रुपये, बच्चों के हॉस्टल भत्ता पर 300 रुपये, ट्रांसपोर्ट भत्ता पर 1600 रुपये और खदान में काम करने वालों के लिए अंडरग्राउंड भत्ता पर 800 रुपये तक की धनराशि प्रतिमाह करमुक्त होती है।
इसी तरह परिवहन भत्ता भी करमुक्त होता है, जितना कार्यालय के कार्यों के लिए की गई यात्रा पर खर्च होता है। कुछ हद तक मकान किराया भत्ता भी करमुक्त होता है। सातवें वेतन आयोग के तहत मकान किराया भत्ता में बढ़ोतरी की गई है। इससे मकान मालिक किराया बढ़ाएंगे लेकिन कर्मचारियों को इससे कोई लाभ नहीं मिलेगा, बल्कि करदेयता बढ़ेगी। ऐसे तमाम प्रकार के करों को अगर समाप्त या मर्ज किया जाता है तो कर्मचारियों पर आयकर का बोझ बढ़ेगा। पूरा फोकस उनके वेतन एवं महंगाई भत्ते पर होगा और दोनों पर ही आयकर कटौती का प्रावधान है।
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कम से कम उन भत्तों के खत्म किए जाने या मर्ज होने से ज्यादा नुकसान होगा, जो आयकर कटौती से मुक्त हैं।
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कर एवं वित्त सलाहकार पवन जायसवाल का कहना है कि जजेज, डिफेंस और सिविलियंस कर्मियों के लिए तकरीबन 200 प्रकार के भत्ते हैं। इनमें 56 भत्तों को समाप्त किए जाने की तैयारी है। सरकार चाहती है कि कुल तीन दर्जन प्रकार के भत्ते हों और पूरा ध्यान वेतन एवं महंगाई भत्ते पर दिया जाए। कुछ भत्ते ऐसे हैं जो करमुक्त होते हैं। मसलन, पर्वतीय क्षेत्र भत्ता, प्रतिकूल मौसम भत्ता, बफीला क्षेत्र भत्ता पर 300 से 800 रुपये तक, सीमा क्षेत्र भत्ता, सुदूर क्षेत्र भत्ता, दुष्कर क्षेत्र भत्ता पर 200 से 1300 रुपये तक, जनजाति क्षेत्र/अनुसूचित क्षेत्र भत्ता पर 200 रुपये तक, बच्चों की शिक्षा भत्ता पर 100 रुपये, बच्चों के हॉस्टल भत्ता पर 300 रुपये, ट्रांसपोर्ट भत्ता पर 1600 रुपये और खदान में काम करने वालों के लिए अंडरग्राउंड भत्ता पर 800 रुपये तक की धनराशि प्रतिमाह करमुक्त होती है।
इसी तरह परिवहन भत्ता भी करमुक्त होता है, जितना कार्यालय के कार्यों के लिए की गई यात्रा पर खर्च होता है। कुछ हद तक मकान किराया भत्ता भी करमुक्त होता है। सातवें वेतन आयोग के तहत मकान किराया भत्ता में बढ़ोतरी की गई है। इससे मकान मालिक किराया बढ़ाएंगे लेकिन कर्मचारियों को इससे कोई लाभ नहीं मिलेगा, बल्कि करदेयता बढ़ेगी। ऐसे तमाम प्रकार के करों को अगर समाप्त या मर्ज किया जाता है तो कर्मचारियों पर आयकर का बोझ बढ़ेगा। पूरा फोकस उनके वेतन एवं महंगाई भत्ते पर होगा और दोनों पर ही आयकर कटौती का प्रावधान है।
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