ब्यूरो/ अमर उजाला, आगरा यूपी के आगरा जिले के एक सरकारी विद्यालय में जब डीआईओएस ने सवाल पूछा, प्रदेश के मुख्यमंत्री का नाम क्या है? सामने खड़े छात्र छत की ओर देखने लगे। डीआईओएस ने दोहराया, बताइए। लेकिन जवाब नहीं मिला। छात्रों ने मौन साध लिया।
दूसरा सवाल, आपके प्रदेश का नाम क्या है? इस बार छात्र छत नहीं, फर्श की ओर देखने लगे। बोले कुछ भी नहीं। डीआईओएस पूछते रहे, छात्रों का मौन नहीं टूटा। तीसरा सवाल था, प्रदेश की राजधानी का नाम क्या है? छात्र एक -दूसरे को देखने लगे, लेकिन जवाब किसी ने भी नहीं दिया।
यह हाल पहली या दूसरी नहीं, नौवीं कक्षा के छात्रों का है। डीआईओएस ने पूछा, कॉमर्स पढ़ते हो, जवाब मिला हां सर, हमारे कोर्स में है। सवाल हुआ, कॉमर्स की स्पेलिंग क्या है? छात्र नहीं लिख पाए। 19 का पहाड़ा सुनाने के लिए कहा तो शुरू करते ही अटक गए। जिला विद्यालय निरीक्षक दिनेश कुमार यादव शुक्रवार को सुबह 10:30 बजे सेंट जोंस इंटर कालेज, हास्पिटल रोड का निरीक्षण करने पहुंचे थे।
विद्यालय में शिक्षकों की भरमार के बावजूद विद्यार्थी नदारद मिले।
कक्षा नौ ‘ए’ और ‘बी’ में केवल दो विद्यार्थी उपस्थित मिले। कक्षा 10 में तीन छात्र बैठे थे, इनको पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं थे। कारण पूछने पर प्रधानाचार्य स्पष्ट जवाब नहीं दे सके। शिक्षक डायरी तक नहीं बनाई गई है। शैक्षणिक माहौल बेहद खराब मिला। यही नहीं विद्यालय दो के बजाय चार जुलाई से खोला गया। इस संबंध में भी प्रधानाचार्य ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया।
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दूसरा सवाल, आपके प्रदेश का नाम क्या है? इस बार छात्र छत नहीं, फर्श की ओर देखने लगे। बोले कुछ भी नहीं। डीआईओएस पूछते रहे, छात्रों का मौन नहीं टूटा। तीसरा सवाल था, प्रदेश की राजधानी का नाम क्या है? छात्र एक -दूसरे को देखने लगे, लेकिन जवाब किसी ने भी नहीं दिया।
यह हाल पहली या दूसरी नहीं, नौवीं कक्षा के छात्रों का है। डीआईओएस ने पूछा, कॉमर्स पढ़ते हो, जवाब मिला हां सर, हमारे कोर्स में है। सवाल हुआ, कॉमर्स की स्पेलिंग क्या है? छात्र नहीं लिख पाए। 19 का पहाड़ा सुनाने के लिए कहा तो शुरू करते ही अटक गए। जिला विद्यालय निरीक्षक दिनेश कुमार यादव शुक्रवार को सुबह 10:30 बजे सेंट जोंस इंटर कालेज, हास्पिटल रोड का निरीक्षण करने पहुंचे थे।
विद्यालय में शिक्षकों की भरमार के बावजूद विद्यार्थी नदारद मिले।
कक्षा नौ ‘ए’ और ‘बी’ में केवल दो विद्यार्थी उपस्थित मिले। कक्षा 10 में तीन छात्र बैठे थे, इनको पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं थे। कारण पूछने पर प्रधानाचार्य स्पष्ट जवाब नहीं दे सके। शिक्षक डायरी तक नहीं बनाई गई है। शैक्षणिक माहौल बेहद खराब मिला। यही नहीं विद्यालय दो के बजाय चार जुलाई से खोला गया। इस संबंध में भी प्रधानाचार्य ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया।
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