11 जुलाई 2016 को लगी याचिकाओं के विषय में आज अमित सर से जाकर मिला जिनका सार ये है :-
1) प्रवेश बंसल वाली याचिका W p (c) 121/2016 शेष बचे शिक्षा मित्रों के समायोजन हेतु है
जिसकी एक सुनवाई पहले भी हो चुकी है लेकिन वो शिक्षा मित्र मेटर के साथ टैग थी और रजिस्ट्री जो कि अब उत्तरप्रदेश की शैक्षिक दुर्व्यवस्था को लेकर खुद ही असमंजसता में है और समझ नहीं पा रही है कि कौन सा मुद्दा शिक्षक को लेकर है और कौन सा शिक्षा मित्र को इसलिए इसे सिविल अपील से टैग ही नहीं किया बाकी जानी 27 को ही है अगर दीपक सर की कृपा बनी रही तो ।
2) slp मतलब विशेष अनुज्ञा याचिका जो कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के विरोध में होती है इसी प्रकार एक एसएलपी 5302-5305 करके सरकार द्वारा डाली गई है जिसमे केवल वृहद पीठ के आदेश को चुनौती दी है नाकी बीएड वालों का विरोध ये पक्का 27 जुलाई को जाएगी।
बाकी टेट मोर्चे के विधिक ज्ञानियों को बता दूँ कि सरकार 31 जुलाई 2014 की समय सीमा की बात करके अपने मुख्य सचिव और एनसीटीई को फंसा देगी क्योंकि मुख्य सचिव उत्तरप्रदेश शासन ने जो लेटर एमएचआरडी को समय सीमा बढ़वाने के लिए भेजा था उसमे अपना कुकृत्य बता दिया था कि हम शिक्षा के लिए उत्तरप्रदेश में अनैतिक और असंवैधानिक कार्य करने जा रहे हैं वो भी योग्य लोगों के पेट पर लात मारकर । बात रही एनसीटीई की तो माननीय उच्च न्यायालय में कह ही चुके हैं हमें क्या पता था जी ? ये संविदा कर्मी है जबकि झूठ वे भी बोल रहे हैं क्योंकि कृष्ण मुरारी माननीय न्यायधीश 2011 में इसी ग्राउंड पर स्टे दिए थे तब रिजवान भी वहां थे।
3) जो मना करते है नेता वही करते हैं 11 जुलाई 2016 को फेसबुक पर चिल्लाएंगे कि ट्रेनिंग की याचिका स्वीकार हो गई है जबकि जरूरत क्या थी जब 2-2 विचाराधीन थी लेकिन बाज नहीं आएँगे , करो जो करना है जितना बिगाड़ना है बिगाड़ो केस को। 27 जुलाई 2016 का वेट कीजिये पूरा मुद्दा तभी सुना जाएगा ।
हिमान्शु राणा
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1) प्रवेश बंसल वाली याचिका W p (c) 121/2016 शेष बचे शिक्षा मित्रों के समायोजन हेतु है
जिसकी एक सुनवाई पहले भी हो चुकी है लेकिन वो शिक्षा मित्र मेटर के साथ टैग थी और रजिस्ट्री जो कि अब उत्तरप्रदेश की शैक्षिक दुर्व्यवस्था को लेकर खुद ही असमंजसता में है और समझ नहीं पा रही है कि कौन सा मुद्दा शिक्षक को लेकर है और कौन सा शिक्षा मित्र को इसलिए इसे सिविल अपील से टैग ही नहीं किया बाकी जानी 27 को ही है अगर दीपक सर की कृपा बनी रही तो ।
2) slp मतलब विशेष अनुज्ञा याचिका जो कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के विरोध में होती है इसी प्रकार एक एसएलपी 5302-5305 करके सरकार द्वारा डाली गई है जिसमे केवल वृहद पीठ के आदेश को चुनौती दी है नाकी बीएड वालों का विरोध ये पक्का 27 जुलाई को जाएगी।
बाकी टेट मोर्चे के विधिक ज्ञानियों को बता दूँ कि सरकार 31 जुलाई 2014 की समय सीमा की बात करके अपने मुख्य सचिव और एनसीटीई को फंसा देगी क्योंकि मुख्य सचिव उत्तरप्रदेश शासन ने जो लेटर एमएचआरडी को समय सीमा बढ़वाने के लिए भेजा था उसमे अपना कुकृत्य बता दिया था कि हम शिक्षा के लिए उत्तरप्रदेश में अनैतिक और असंवैधानिक कार्य करने जा रहे हैं वो भी योग्य लोगों के पेट पर लात मारकर । बात रही एनसीटीई की तो माननीय उच्च न्यायालय में कह ही चुके हैं हमें क्या पता था जी ? ये संविदा कर्मी है जबकि झूठ वे भी बोल रहे हैं क्योंकि कृष्ण मुरारी माननीय न्यायधीश 2011 में इसी ग्राउंड पर स्टे दिए थे तब रिजवान भी वहां थे।
3) जो मना करते है नेता वही करते हैं 11 जुलाई 2016 को फेसबुक पर चिल्लाएंगे कि ट्रेनिंग की याचिका स्वीकार हो गई है जबकि जरूरत क्या थी जब 2-2 विचाराधीन थी लेकिन बाज नहीं आएँगे , करो जो करना है जितना बिगाड़ना है बिगाड़ो केस को। 27 जुलाई 2016 का वेट कीजिये पूरा मुद्दा तभी सुना जाएगा ।
हिमान्शु राणा
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