यदि 24/08/2016 की सुनवाई में खुलकर बहस न हो सकी तो परिणाम अचयनितों के पक्ष में आना बहुत मुश्किल

यदि 24/08/2016 की सुनवाई में कायदे से खुलकर बहस न हो सकी व अगले दो या तीन दिन तक तारीख लगकर बहस न हो सकी तो परिणाम आम अचयनितों के पक्ष में आने में बहुत मुश्किल है क्योंकि इतने सारे मुद्दे मुख्य सिविल अपील 4347 /4375 मे टैग है कि जिनका निपटारा होना अतिशीघ्र असम्भव ही होगा
परन्तु यदि किसी दुर्भाग्यवश तारीख लम्बी मिलने की कोर्ट रूम में सूरत दिखायी पङे तो ऐसी स्थिति व परिस्थिति में सभी टीमों के अधिवक्ताओं के द्वारा याची लाभ प्राप्त करने के लिए एक सुर में माननीय दीपक कुमार मिश्रा जी से विनती करना पड़ेगा और कहना पड़ेगा कि माई लार्ड मुकदमे की वजह से बेरोजगार याची आर्थिक व मानसिक रूप से जर्जर हो चुके हैं लिहाजा जब तक मुकदमें का निस्तारण नही हो जाता है तबतक आप हमारे याचियों को रिलीफ ग्रांट करने का राज्य सरकार को आदेश करें। इसका एक अति गंभीर प्वाइंट यह भी उठाया जाए कि माई लार्ड जब आप हाईकोर्ट की संवैधानिक पीठ के द्वारा आदेशित अयोग्य शिक्षा मित्रों के रद्द खत्म समायोजन पर अंतरिम स्टे दे सकते हैं और जिसके दम पर इन शत्रु पक्ष के लोगों का जीवन यापन चल रहा है तो हमारे याचियों के साथ ऐसा भेदभाव क्यों किया जा रहा है।...................... यदि कोई भी स्थिति नही बन पा रही है तो अकैडमिक टीम के द्वारा ईमानदारी से सामूहिक कल्याण की भावना को मन से संकल्पित होकर फाईनल बहस के लिए दबाव बनाना चाहिए और निस्वार्थ को त्यागकर वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी सर को हर हाल में खङा करना चाहिए।......... टीम 2012.... टीम के मुखिया विजेन्द्र कश्यप जी को भी सेम कंडीशन पर बहस फाईनल बहस कराने के लिए अकैडमिक टीम का साथ देना चाहिए।......... हाल ही में कल धमाकेदार इंट्री माननीय राहुल पांडेय जी के द्वारा मार्गदर्शित वर्गीकरण याचिका 13922 के बल पर भी फाईनल बहस के लिए दीपक मिश्रा जी के ऊपर दबाव बनाना अति उत्तम सिद्ध होगा क्योंकि हकीकत में यदि देखा जाए तो जितना माननीय दीपक मिश्रा जी को गुमराह किया गया है, उसमें सबसे ज्यादा हाथ हरामखोर 65000 चयनित मंडली के आदमखोर भेङियों के द्वारा व रही कही कसर सरकार ने भी किया है क्योंकि अन्दर खाने की इन चयनित हरामखोरों के द्वारा सरकार के साथ जरूर डील या करार किया गया होगा कि 72825 भर्ती को सीमित पदों पर समेट दिया जाए और हम आपके विरुद्ध कोर्ट में चुनौती नहीं देगें।..... वास्तव में यदि देखा जाए तो उत्तर प्रदेश व भारत के इतिहास में सबसे ज्यादा विवादित, असंवैधानिक भ्रस्टाचार से लिप्त पोषित बदनाम मनहूष भर्ती है जिसमें हरामखोर सफेदाधारियों की नाजायज भरमार है।......... एक महत्वपूर्ण बात यदि फाईनल बहस के लिए माननीय दीपक मिश्रा जी के ऊपर दबाव नही डाला गया तो याचियों को नौकरी नही बाबा जी का ठूललू मिलेगा.... ये बात सभी अचयनित याचियों गाँठ बाँध कर रख लो क्योंकि दीपक मिश्रा जी की कमजोरी वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी जी जान चुके हैं और शायद आपको पता होगा कि जिसने नियमों से परे जाकर बेफालतू का रायता फैला दिया है और वो सर्वशक्तिमान भी है और उसके लिए मजबूरी कि वो भी भारतीय कानून के दायरे में रहकर ही फाईनल आर्डर देना ही पड़ेगा तो जब आप उसकी कमजोर नस पर दबाव डालोगे तो अपने आर्डर अपनी बनी बनायी फिजा को बचाने के लिए तुम अचयनित याचियों को भी राहत देकर या खुश करने के लिए मजबूर होगा। ये राज रहस्य कोई भी आदमखोर आप लोगों को नही बतायेंगे क्योकि सबको अपनी नौकरी की चिंता व आम बेरोजगारों का रक्त पीने में मुँह लग गया है और एक विशेष बात मुझको धमकाने की फोन पर कोशिश मत करना क्योंकि मैं पहले से ही मरा हुआ हुँ 5 साल में कई बार अगर धोखे से भी कुछ गलती की तो याद रखना मेरा नाम बहुत सुन्दर और सीधा है और सूरत भी...... इसके धोखे में मत रहना........ एक बात पहले से ही मरा क्या कर सकता है इसका अंदाजा शायद तुम लोगों को हो..... सच लिखने में लेखनी कभी बन्द नही होगी जब तक हमारे चाहने वाले नहीं मना कर देते........
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