सुप्रीम कोर्ट में 1.37 लाख शिक्षामित्रों के साथ साथ 72825 शिक्षकों की चयन प्रक्रिया को भी हो सकता है खतरा

टीईटी से राहत देने का अधिकार NCTE और केंद्र को भी नहीं है , यह बात मैंने 2011 में कही था जब RTE एक्ट, भारत सरकार की अधिसूचना एवं टीईटी कंडक्ट की गाइड लाइन पढ़ी थी ।आज फिर कह रहा हूँ कि सिर्फ संसद से टीईटी से राहत मिल सकती है ।

बड़ी सीधी सी बात है कि मै भी सरकार के सुर में सुर मिलाकर शिक्षामित्रों को दिनांक 23 अगस्त 2010 के पूर्व का शिक्षक मानने को तैयार हूँ लेकिन फिर जब वे RTE एक्ट के पूर्व के शिक्षक हैं तो उनको RTE एक्ट के बाद नियुक्त करने की क्या जरुरत है ?
इसीलिए न्यायमूर्ति डॉ० साहब ने उत्तर प्रदेश में इनका नियुक्ति पत्र जो कि RTE एक्ट लागू होने के चार वर्ष बाद वर्ष 2014 से निर्गत होना शुरू हुआ था रद्द किया ।
उत्तराखंड में तो NCTE और केंद्र दोनों ने बाकायदा शिक्षामित्रों को इजाजत दी थी कि वे बगैर टीईटी नियुक्त हों ।
एकल बेंच ने केंद्र और NCTE की इजाजत निरस्त की और खंडपीठ में NCTE और केंद्र ने इजाजत ही वापस ले ली ।
यह भी आज स्पष्ट करना चाहता हूँ कि सुप्रीम कोर्ट में 1.37 लाख शिक्षामित्रों के साथ साथ 72825 शिक्षकों की चयन प्रक्रिया को भी खतरा हो सकता है ।
इस का एक मात्र कारण है कि खंडपीठ की जीत का वादियों द्वारा दुरूपयोग करना ।
जिस तरह खंडपीठ ने वादियों को प्रक्रिया को सर्विस रूल पर बताकर जीत दी थी वादी उसपर सर्विस रूल फॉलो न करा सके और विवाद सुप्रीम कोर्ट में पूर्णतया उलझ गया और नये-नये अंतरिम आदेश से प्रक्रिया की कमर टूट गयी और याची राहत भी ताबूत में अंतिम कील साबित हो सकती है क्योंकि अब याची राहत सबको देना ही 72825 प्रक्रिया का एक मात्र बचाव का साधन है ।
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines