कपिलदेव यादव जी कि रिट पर जो एकेडमिक मेरिट की नींव रखी गई थी उस पर सुप्रीम कोर्ट से अंतिम फैसला आना शेष है।एकेडमिक टीम के महान व सीनियर अधिवक्ता सर्व श्री राकेश द्विवेदी जी ने श्रृँखलाबद्ध अंतरिम फैसले का लाभ उठाते हुए एकेडमिक भर्ती से प्रभावितों को जबर्दस्त याची राहत दिलाया।
कपिलदेव यादव जी की रिट के याचियों की जीत की बदौलत अन्य याचियों को भी लाभ मिलना लाजिमी था और मिला भी।सारे पक्षों के याचियों की संख्या 1100 हुई और इन याचियों की ऐडहाॅक नौकरी(अस्थाई और स्पेशल भर्ती)2011 की भर्ती में लग गई है जो अपने अंतिम दौर में है।
चर्चा एकेडमिक टीम में भी शुरु हुई लेकिन एकेडमिक टीम लोगों को लूटने में विश्वाश कभी नहीं की और याचियों की दुकान लगाने की जगह 72825 शिक्षक भर्ती 2012 की पैरवी करने पर दृढ़ संकल्पित रही।जब याचियों का मार्केट बढ़ने लगा और एकेडमिक सहयोगियों में भी याची बनने की लालसा बढ़ी तो मजबूरी में एकेडमिक टीम भी याची इसलिए बनाने पर विचार किया कि यदि अपने लोगों को याची नहीं बनाये तो ये लोग टीम से टूटकर स्वार्थियों और दलाल विरोधियों से जुड़कर याची बन जायेंगे और हमारी एकेडमिक रिट पर नये विज्ञापन पर पैरवी कमजोर पड़ जायेगी।
अब बात करते हैं अचयनित याची और चयनित याचियों के बीच भ्रम फैलाने वालों की।जो कह रहे हैं चयनित याची अचयनितों को धोखा दे रहे या अचयनितों को अपने लिए खतरा मान रहे हैं।तो मैं ऐसे वाहियात और मौकापरस्त लोगों से पूछना चाहता हूँ कि आपकी तारीफ??????
क्या आप
(1)टीईटी संघर्ष मोर्चे के दलाल नहीं हैं???
(2)क्या आपने टीईटी मेरिट जिंदाबाद नहीं बोला था???
(3)क्या आप समायोजन के झुनझुने फेंककर नई पैंतरेबाजी कर खाँची भर याची बनाकर संदिग्ध नहीं हुए।
हम पूरी एकेडमिक टीम मंडली के चयनित याची ही याची लाभ के बुनियाद पर एकेडमिक मेरिट को जिंदा रखने में सफल हुए हैं जो अंतिम फैसले के इंतजार में है।
टीईटी मेरिट की पैदाईशों ने कभी टीईटी 90 नंबर पर नौकरी पक्की कराकर चंदा लूटना और खुद नौकरी मजे से करके मजा ले रहे।कभी समायोजन का राग अलापकर टीईटी पास वालों को खूब जमकर लूटा और जब इतना से भी पेट नहीं भरा तो एकेडमिक टीम के श्रेय पर खाँची भर याची बना डाला और याचियों को ऐसे लूटा जैसे लाचार नारी की इज्जत अमरीशपुरी लूटता है।सरकार भी डर गई।कोर्ट भी।जबकि ऐसे दोगले नेतृत्वों ने ये सब एकेडमिक मेरिट की लड़ाई और पैरवी कमजोर करने की खतरनाक साजिश की है।
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कपिलदेव यादव जी की रिट के याचियों की जीत की बदौलत अन्य याचियों को भी लाभ मिलना लाजिमी था और मिला भी।सारे पक्षों के याचियों की संख्या 1100 हुई और इन याचियों की ऐडहाॅक नौकरी(अस्थाई और स्पेशल भर्ती)2011 की भर्ती में लग गई है जो अपने अंतिम दौर में है।
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चर्चा एकेडमिक टीम में भी शुरु हुई लेकिन एकेडमिक टीम लोगों को लूटने में विश्वाश कभी नहीं की और याचियों की दुकान लगाने की जगह 72825 शिक्षक भर्ती 2012 की पैरवी करने पर दृढ़ संकल्पित रही।जब याचियों का मार्केट बढ़ने लगा और एकेडमिक सहयोगियों में भी याची बनने की लालसा बढ़ी तो मजबूरी में एकेडमिक टीम भी याची इसलिए बनाने पर विचार किया कि यदि अपने लोगों को याची नहीं बनाये तो ये लोग टीम से टूटकर स्वार्थियों और दलाल विरोधियों से जुड़कर याची बन जायेंगे और हमारी एकेडमिक रिट पर नये विज्ञापन पर पैरवी कमजोर पड़ जायेगी।
अब बात करते हैं अचयनित याची और चयनित याचियों के बीच भ्रम फैलाने वालों की।जो कह रहे हैं चयनित याची अचयनितों को धोखा दे रहे या अचयनितों को अपने लिए खतरा मान रहे हैं।तो मैं ऐसे वाहियात और मौकापरस्त लोगों से पूछना चाहता हूँ कि आपकी तारीफ??????
क्या आप
(1)टीईटी संघर्ष मोर्चे के दलाल नहीं हैं???
(2)क्या आपने टीईटी मेरिट जिंदाबाद नहीं बोला था???
(3)क्या आप समायोजन के झुनझुने फेंककर नई पैंतरेबाजी कर खाँची भर याची बनाकर संदिग्ध नहीं हुए।
हम पूरी एकेडमिक टीम मंडली के चयनित याची ही याची लाभ के बुनियाद पर एकेडमिक मेरिट को जिंदा रखने में सफल हुए हैं जो अंतिम फैसले के इंतजार में है।
टीईटी मेरिट की पैदाईशों ने कभी टीईटी 90 नंबर पर नौकरी पक्की कराकर चंदा लूटना और खुद नौकरी मजे से करके मजा ले रहे।कभी समायोजन का राग अलापकर टीईटी पास वालों को खूब जमकर लूटा और जब इतना से भी पेट नहीं भरा तो एकेडमिक टीम के श्रेय पर खाँची भर याची बना डाला और याचियों को ऐसे लूटा जैसे लाचार नारी की इज्जत अमरीशपुरी लूटता है।सरकार भी डर गई।कोर्ट भी।जबकि ऐसे दोगले नेतृत्वों ने ये सब एकेडमिक मेरिट की लड़ाई और पैरवी कमजोर करने की खतरनाक साजिश की है।
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